विविध
जुलाई 2020
- 07 Oct 2020
- 58 min read
PRS के प्रमुख हाइलाइट्स
- कोविड-19
- विश्वविद्यालयों में परीक्षाएँ कराने के लिये संशोधित दिशा-निर्देश और SOP
- स्कूलों में डिजिटल शिक्षा के लिये दिशा-निर्देश
- घरेलू उड़ानों के लिये सेक्टर वर्गीकरण एवं हवाई किराया बैंड्स की वैधता अवधि में वृद्धि
- दवाओं के आयात के लिये पंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि में वृद्धि
- समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
- 2020-21 की पहली तिमाही में रिटेल मुद्रास्फीति 6.5% पर
- शिक्षा
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
- श्रम और रोज़गार
- श्रम संबंधी स्थायी समिति की सामाजिक सुरक्षा संहिता पर रिपोर्ट
- वेतन संहिता नियम, 2019 के अंतर्गत अधिसूचित मसौदा नियम
- इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी
- गैर-व्यक्तिगत डेटा शासन पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट
- वित्त
- NBFC और HFC की तरल योजना के संचालन हेतु दिशा-निर्देश
- कुछ देशों से सार्वजनिक खरीद पर प्रतिबंध
- सेबी ने निवेश सलाहकार (संशोधन) विनियम, 2020
- सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण
- मसौदा ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020
- उपभोक्ता मामले
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
- विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009
- परिवहन
- रेलवे मंत्रालय ने यात्री रेल सेवाओं के संचालन के लिये निजी भागीदारी को आमंत्रित किया
- मसौदा अखिल भारतीय पर्यटक वाहन प्राधिकरण और परमिट नियम, 2020
- मर्चेंट शिपिंग (पशुओं के वहन की शर्त) नियम, 2020
- कृषि
- कृषि अवसंरचना कोष को मंज़ूरी
- कृषि निर्यात संबंधी समूह की रिपोर्ट
- रक्षा
- थलसेना में महिला अधिकारियों के लिये स्थायी कमीशन को मंज़ूरी
- रक्षा मंत्रालय ने मसौदा रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020
- DAC ने 38,900 करोड़ रुपए मूल्य के उपकरणों के पूंजीगत अधिग्रहण को मंज़ूरी
- सशस्त्र बलों को 300 करोड़ रुपए तक की पूंजीगत खरीद का अधिकार
- विद्युत
- अक्षय और थर्मल स्रोतों के मिश्रण से बिजली खरीद की प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया के लिये दिशा-निर्देश
- मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाज़ार) विनियम, 2020
- मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत आपूर्ति का विनियमन) (पहला संशोधन) विनियम, 2020
- अक्षय ऊर्जा अनुसंधान और तकनीकी विकास कार्यक्रम
- पीएम-कुसुम योजना
कोविड-19
- विश्वविद्यालयों में परीक्षाएँ कराने के लिये संशोधित दिशा-निर्देश और SOP जारी
विश्वविद्यालय कक्षाएँ अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने विश्वविद्यालयों में परीक्षाएँ कराने के लिये संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इससे पहले (अप्रैल 2020) UGC ने जुलाई 2020 में विश्वविद्यालयों में परीक्षाएँ कराने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये थे। संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों को सितंबर 2020 के अंत तक परीक्षाएँ समाप्त कर लेनी चाहिये। वे इसे ऑफलाइन, ऑनलाइन या ब्लेंडेड (ऑनलाइन+ऑफलाइन) मोड में संचालित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित प्रावधान हैं:
- अगर कोई विद्यार्थी विश्वविद्यालय की परीक्षा नहीं दे पता है तो उसे दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाना चाहिये। यह सिर्फ इस एकैडमिक सेशन के लिये लागू होगा।
- बैकलॉग वाले फाइनल ईयर या फाइनल सेमेस्टर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन अनिवार्य रूप से परीक्षाओं के जरिये ही किया जाना चाहिये। इंटरमीडिएट सेमेस्टर/ईयर वाले विद्यार्थियों के मामले में विश्वविद्यालय उनकी तैयारी के स्तर, आवासीय स्थिति, महामारी के प्रकोप और दूसरे अन्य मामलों को ध्यान में रखते हुए परीक्षाएँ ले सकता है।
इसके अतिरिक्त मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource and Development) ने परीक्षा कराने (विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं और दूसरी अनुसूचित परीक्षाओं, जैसे IIT-JEE और NEET आदि) के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) जारी की है। SOP के अनुसार:
- जहाँ आवाजाही पर प्रतिबंध है, वहाँ विद्यार्थियों को जारी किये गए एडमिट/आइडेंटिटी कार्ड्स को पास के तौर पर माना जाना चाहिये। स्थानीय प्रशासन को इस संबंध में निर्देश देना चाहिये।
- परीक्षा केंद्रों की दीवारों, फर्श, दरवाज़ों, और गेट्स को सैनिटाइज़ किया जाना चाहिये, सैनिटाइज़र की बोतलें दी जानी चाहिये। विद्यार्थियों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ उन्हें मास्क दिया जाना चाहिये।
- सीटिंग अरेंजमेंट में सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जानी चाहिये, दो विद्यार्थियों के बीच कम-से-कम दो मीटर की दूरी होनी चाहिये। बुखार, जुकाम या खाँसी के लक्षण वाले मरीज़ों को अलग कमरे में बैठाया जाना चाहिये और दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाना चाहिये।
- किसी एक जगह पर भीड़ को रोकने के लिये आने-जाने के सभी दरवाज़े खोल दिये जाने चाहिये।
- स्कूलों में डिजिटल शिक्षा के लिये दिशा-निर्देश
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने स्कूलों में डिजिटल शिक्षा के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इन दिशा-निर्देशों में बताया गया है कि डिजिटल लर्निंग के लिये स्कूल क्या कदम उठा सकते हैं और सुझाव दिया गया है कि एक दिन में ऑनलाइन कक्षा कितने घंटे की हो सकती हैं और कितनी संख्या में कक्षाएँ की जा सकती हैं।
- घरेलू उड़ानों के लिये सेक्टर वर्गीकरण एवं हवाई किराया बैंड्स की वैधता अवधि में वृद्धि
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू उड़ानों के लिये सेक्टर वर्गीकरण और हवाई किराया बैंड्स को बढ़ाया है। महामारी के दौरान घरेलू उड़ानों का आंशिक संचालन शुरू करने के लिये मंत्रालय ने उड़ानों की अवधि के आधार पर सेक्टर तय किये थे और मई 2020 में इन सेक्टरों के लिये न्यूनतम और अधिकतम किराया निर्धारित किया गया था। इसके तहत न्यूनतम किराया 2,000 रुपए और अधिकतम किराया 18,600 रुपए तय किया गया था (अन्य प्रभारों जैसे GST को छोड़कर) जो कि 24 अगस्त, 2020 तक वैध था। अब इसे 24 नवंबर, 2020 तक बढ़ाया गया है।
- दवाओं के आयात के लिये पंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि में वृद्धि
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने भारत में बिक्री और वितरण के लिये दवाओं के आयात हेतु पंजीकरण प्रमाण-पत्र की वैधता बढ़ा दी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि दवाओं की आपूर्ति पर असर न हो। यह 27 जनवरी, 2021 तक वैध रहेगा। यह उन मौजूदा पंजीकरण प्रमाण-पत्र धारकों पर लागू होगा जिन्होंने अपने प्रमाण-पत्र की वैधता तिथि समाप्त होने से पहले पंजीकरण के नवीनीकरण हेतु आवेदन किया है।
समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
- वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में रिटेल मुद्रास्फीति 6.5% पर
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष 2011-12) अप्रैल 2020 की 7.3% की तुलना में जून 2020 में 6.1% हो गई (वर्ष-दर-वर्ष)।
खाद्य मुद्रास्फीति जून में 7.9% थी जो कि अप्रैल में 10.5% से कम रही। थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष 2011-12) लगातार तीसरे महीने नेगेटिव रही। WPI मुद्रास्फीति जून में नकारात्मक (1.8%) रही। जून 2019 में CPI मुद्रास्फीति 3%, खाद्य मुद्रास्फीति 2.2% और WPI मुद्रास्फीति 2% थी।
रेखाचित्र 1: 2020-21 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति (परिवर्तन का %, वर्ष-दर-वर्ष)
शिक्षा
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy- NEP 2020) जारी की गई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development- MHRD) ने जून 2017 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया था।
श्रम और रोज़गार
- श्रम संबंधी स्थायी समिति की सामाजिक सुरक्षा संहिता पर रिपोर्ट
श्रम संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब) ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 (Code on Social Security, 2019) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह संहिता सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों का स्थान लेती है। यह उपक्रमों के आकार या श्रमिकों के वेतन की सीमा के आधार पर उनके लिये सामाजिक सुरक्षा को अनिवार्य बनाती है। सरकार निम्नलिखित के लिये योजनाएँ बना सकती है:
(i) असंगठित श्रमिक, जैसे स्वरोज़गार प्राप्त या गृह आधारित श्रमिक।
(ii) गिग वर्कर्स जो कि परंपरागत नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों से बाहर काम करते हैं।
(iii) प्लेटफॉर्म वर्कर्स, जो कि सेवाएँ प्रदान करने के लिये ऑनलाइन मंच का उपयोग करते हैं। मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कवरेज: समिति ने कहा कि संहिता में सभी श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये फ्रेमवर्क बनाना चाहिये जिसमें सुरक्षित वित्तीय प्रतिबद्धता सुनिश्चित हो और जिसे एक निश्चित समयसीमा में प्रदान किया जाए। समिति ने सुझाव दिया कि सरकार को:
(i) उपक्रम के आकार संबंधी सीमा पर दोबारा विचार करना चाहिये।
(ii) एक मॉडल स्कीम बनाई जानी चाहिये जिसमें सभी राज्यों के असंगठित श्रमिकों के लिये अनिवार्य न्यूनतम अहर्ता निर्दिष्ट हो।
(iii) सभी असंगठित, भवन निर्माण और बागान श्रमिकों को बेरोज़गारी बीमा प्रदान करना चाहिये।
(iv) लौह अयस्क और बीड़ी बनाने वाली इकाइयों जैसे विशिष्ट उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों के लिये कल्याणकारी कोषों को फिर से प्रस्तावित करना चाहिये।
(v) ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिये सेवा की अवधि को पाँच वर्ष से एक वर्ष करना चाहिये। - परिभाषाएँ: समिति ने विभिन्न परिभाषाओं में संशोधन के सुझाव दिये। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) सामाजिक सुरक्षा के दायरे को बढ़ाना ताकि उसमें अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा सुझाए गए नौ घटकों को शामिल किया जा सके (जिसमें बेरोज़गारी, मातृत्व, वृद्धावस्था और चिकित्सा लाभ शामिल हों)।
(ii) कर्मचारियों’ का दायरा बढ़ाया जाए ताकि उसमें आँगनवाड़ी और आशा कार्यकर्त्ता शामिल हो सकें।
(iii) श्रमिक का दायरा बढ़ाया जाए ताकि उसमें गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स शामिल हो सकें। - प्रशासन: समिति ने कहा कि संहिता में फ्रेगमेंटेड डिलीवरी स्ट्रक्चर है और कई संगठन विभिन्न लाभों का वितरण कर रहे हैं। उसने सुझाव दिया कि सरकार को सामाजिक सुरक्षा के प्रबंधन के लिये एक ठोस व्यवस्था बनाने पर विचार करना चाहिये।
- रजिस्ट्रेशन: सभी पात्र इस्टैबलिशमेंट्स को संहिता के अंतर्गत संबंधित सामाजिक सुरक्षा संगठन में पंजीकृत करना होगा। समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिये:
(i) इस्टैबलिशमेंट्स की परिभाषा को विस्तार दिया जाए ताकि उपक्रमों की सभी श्रेणियों जैसे ओन एकाउंट वाले उपक्रमों को इसमें शामिल किया जा सके।
(ii) यूनिफाइड और कंप्लायंस प्लेटफॉर्म प्रदान किये जाए।
(iii) सभी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के प्रबंधन के लिये सिंगल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी प्रदान की जाए। - अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक (ISMW): समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिये:
(i) ISMW के लिये एक अलग कोष।
(ii) उनकी परिभाषा का विस्तार दिया जाए ताकि दूसरे राज्य के स्वरोज़गार वाले कर्मचारियों को इसमें शामिल किया जा सके।
(iii) प्रवासी श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाए और उसे असंगठित श्रमिकों के डेटाबेस से लिंक किया जाए। - आधार: असंगठित श्रमिक संहिता के अंतर्गत अपने आधार नंबर से खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। समिति ने कहा कि आधार को सिर्फ तभी अनिवार्य किया जाना चाहिये जब भारत के समेकित कोष से व्यय किया जाए। साथ ही कहा कि मंत्रालय ने इस प्रावधान की दोबारा जाँच करने का आश्वासन दिया है।
- वेतन संहिता नियम, 2019 के अंतर्गत अधिसूचित मसौदा नियम
श्रम और रोज़गार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिये वेतन संहिता के अंतर्गत मसौदा नियम अधिसूचित किये हैं। ये मसौदा नियम केंद्रीय क्षेत्र के सभी संस्थानों पर लागू होंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी
- गैर-व्यक्तिगत डेटा शासन पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गैर-व्यक्तिगत डेटा से संबंधित मुद्दों के अध्ययन के लिये गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
वित्त
- NBFC और HFC की तरल योजना के संचालन हेतु दिशा-निर्देश
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के अंग के रूप में ‘गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों’ (Non-Banking Finance Companies- NBFC), हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (Housing Finance Companies- HFC) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (Micro-Finance Institutions-MFI) की तरलता स्थिति में सुधार के लिये 30,000 करोड़ रुपए की विशेष तरलता योजना (Special Liquidity Scheme) शुरू करने की घोषणा की थी।
- कुछ देशों से सार्वजनिक खरीद पर प्रतिबंध
वित्त मंत्रालय ने सामान्य वित्तीय नियमावली, 2017 (General Financial Rules 2017) में संशोधन किये हैं ताकि व्यय विभाग को यह अधिकार दिया जा सके कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर कुछ देशों से की जाने खरीद पर प्रतिबंध लगा सके।
- सेबी ने निवेश सलाहकार (संशोधन) विनियम, 2020
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India- SEBI) ने निवेश सलाहकार (संशोधन) विनियम, 2020 [Investment Advisers (Amendment) Regulations, 2020] को अधिसूचित किया। यह सेबी (निवेश सलाहकार) विनियम, 2013 में संशोधन करता है। संशोधित विनियम 1 अक्तूबर, 2020 से प्रभावी होंगे। एक निवेश सलाहकार ऐसा व्यक्ति होता है जो ग्राहकों को निवेश उत्पादों की खरीद या बिक्री या पोर्टफोलियो प्रबंधन की सलाह देता है। किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा ऐसी सेवाएँ तभी दी जा सकती हैं, जब वह वर्ष 2013 के नियमों के अंतर्गत पंजीकृत हो। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कार्यों का पृथक्करण: 2020 के विनियम व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत सलाहकारों को सलाह देने और निवेश उत्पादों के वितरक के रूप में कार्य करने पर कुछ प्रतिबंध लगाते हैं। व्यक्तिगत निवेश सलाहकार वितरण सेवाएँ प्रदान नहीं कर सकते। गैर-व्यक्तिगत निवेश सलाहकार दोनों सेवाओं को प्रदान करने के लिये पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी सलाहकार सेवाओं को वितरण सेवाओं से अलग रखना होगा और इसके लिये उन्हें अलग पहचान योग्य विभाग/प्रभाग के माध्यम से सलाहकार सेवाएँ प्रदान करनी होंगी। उल्लेखनीय है कि 2013 के विनियमों के अंतर्गत सलाहकार किसी ग्राहक को दोनों सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।
- कार्यान्वयन सेवाएँ प्रदान करने के लिये कोई शुल्क नहीं: निवेश सलाहकार प्रतिभूति बाज़ार में प्रत्यक्ष योजनाओं या उत्पादों के माध्यम से कार्यान्वयन सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। हालाँकि इस तरह की सेवाएँ प्रदान करने के लिये कोई शुल्क (जैसे कमीशन और शुल्क) नहीं लिया जा सकता है।
- पंजीकरण के लिये शुद्ध मूल्य की आवश्यकता: 2020 के विनियम निवेश सलाहकार के रूप में पंजीकरण की आवश्यकता के लिये निवल मूल्य की सीमा को बढ़ाते हैं। व्यक्तिगत निवेश सलाहकारों के लिये यह सीमा एक लाख रुपए से पाँच लाख रुपए तक और गैर-व्यक्तिगत निवेश सलाहकारों के लिये 25 लाख रुपए से 50 लाख रुपए की गई है।
- व्यक्तिगत सलाहकारों का निगमीकरण: अगर निवेश सलाहकार के रूप में पंजीकृत व्यक्तियों के ग्राहकों की संख्या 150 से अधिक है तो उन्हें गैर-व्यक्तिगत निवेश सलाहकार के तौर पर दोबारा पंजीकरण कराना होगा।
सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण
- मसौदा ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020
ड्राफ्ट ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 सार्वजनिक टिप्पणियों के लिये अधिसूचित किये गए हैं। नियम ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं। यह ट्रांसजेंडर लोगों के कल्याण और संरक्षण के लिये प्रावधान करता है। मसौदा नियमों में निम्न शामिल हैं:
- पहचान प्रमाण-पत्र जारी करना: अधिनियम के अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पहचान प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिये ज़िला मेजिस्ट्रेट को आवेदन करना होता है। नियमों में अपेक्षा की गई है कि पहचान प्रमाण-पत्र के आवेदन के लिये आवेदन-पत्र के साथ एक शपथ-पत्र भी जमा कराया जाएगा जिसमें आवेदक की लिंग पहचान की घोषणा की जाएगी। नाबालिग की स्थिति में बच्चे के माता-पिता या गार्जियन आवेदन करेंगे। अगर बच्चे को देखभाल या संरक्षण की ज़रूरत है तो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अंतर्गत बाल कल्याण समिति आवेदन प्रस्तुत करेगी।
- प्रमाण-पत्र 30 दिनों के भीतर जारी होना चाहिये। ज़िला मजिस्ट्रेट की तरफ से एक ट्रांसजेंडर पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा। ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हीं आवेदकों को प्रमाण-पत्र जारी किये जाएंगे, जो उसके क्षेत्राधिकार में आवेदन की तारीख से 12 महीने पहले से लगातार रह रहे हों।
- संशोधित प्रमाण-पत्र जारी करना: अगर व्यक्ति ने सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी कराई हो तो सर्जरी करने वाले अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण-पत्र भी जमा कराया जाएगा। आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर संशोधित पहचान प्रमाण-पत्र जारी होना चाहिये जिसमें व्यक्ति का लिंग पुरुष या महिला लिखा हो।
- अपील: अगर पहचान प्रमाण-पत्र का आवेदन रद्द हो जाता है तो आवेदक रद्द होने की तारीख से 60 दिनों के भीतर फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है। अपील संबंधित सरकार द्वारा नामित अपीलीय प्राधिकरण को निर्देशित होगी।
- कल्याणकारी उपाय: केंद्र और राज्य सरकारें चिकित्सा, बीमा, ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिये छात्रवृत्ति और सस्ते आवास जैसे मामलों पर कल्याणकारी योजनाएँ बनाएगी। इसके अतिरिक्त नियम लागू होने के दो वर्ष के भीतर केंद्र और राज्य सरकारें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भेदभाव से बचाने के लिये नीति बनाएगी।
- सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक समिति होनी चाहिये। अगर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को किसी तरह के उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़े तो वे इस समिति के पास जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त सभी प्रतिष्ठानों में समान अवसर नीति और एक अनुपालन अधिकारी होना चाहिये।
उपभोक्ता मामले
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के अंतर्गत कुछ नियम अधिसूचित किये।
- विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 (Legal Metrology Act, 2009) में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। अधिनियम वज़न और माप के मानदंड स्थापित और उन्हें लागू करता है और उनके व्यापार को नियंत्रित करता है। प्रस्तावित मुख्य संशोधन निम्नलिखित हैं:
- कुछ अपराधों का वैधीकरण: अधिनियम के अंतर्गत अगर व्यक्ति कुछ अपराध दोबारा करता है तो उसके लिये कैद की सज़ा दी जाती है। इन अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) अमानक (नॉन स्टैंडर्ड) बाट और माप का इस्तेमाल, मैन्युफैक्चरिंग या बिक्री।
(ii) अमानक बाट और माप के साथ छेड़छाड़ या उसे बदलना।
(iii) मात्रा में अमानक पैकेज को बेचना।
(iv) बिना लाइसेंस के बाट और माप का मैन्युफैक्चर।
प्रस्तावित संशोधन कैद के प्रावधान को हटाते हैं और कहते हैं कि दोबारा अपराध करने पर अपराधी को जुर्माना भरना पड़ेगा। उदाहरण के लिये अमानक बाट और माप का इस्तेमाल करने पर अधिकतम जुर्माने को 50,000 रुपए से बढ़ाकर दस लाख रुपए किया गया है।
विभाग ने कहा कि इन अपराधों को वैध ठहराया जा सकता है क्योंकि ज़रूरी नहीं कि इसके पीछे आपराधिक उद्देश्य हो और इससे बड़े पैमाने पर जनहित प्रभावित नहीं होता हो। इसलिये इन अपराधों के लिये कैद की सज़ा के बजाय जुर्माना ही पर्याप्त है। उसने यह भी कहा कि तकनीकी प्रकृति वाले अपराधों के लिये क्रिमिनल के बजाय सिविल लायबिलिटी लगाई जा सकती है।
- बिक्री की परिभाषा: अधिनियम के अंतर्गत ‘बिक्री’ की परिभाषा में संपत्ति और वस्तुओं का हस्तांतरण शामिल है। प्रस्तावित संशोधन बिक्री की परिभाषा का दायरा बढ़ाते हैं, ताकि सेवाओं को इसमें शामिल किया जा सके।
- एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक्री की सजा: प्रस्तावित संशोधन एक्ट में एक प्रावधान जोड़ते हैं। इस प्रावधान के अंतर्गत प्री-पैकेज़्ड कमोडिटी को अधिकतम रिटेल मूल्य (एमआरपी) से ज़्यादा पर बेचना, वितरित करना, डिलीवर करना या अन्यथा हस्तांतरित करना अपराध है। इसके लिये 5,000 रुपए से लेकर 25,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। एक से अधिक बार अपराध करने पर जुर्माना एक लाख रुपए तक हो सकता है।
परिवहन
- रेलवे मंत्रालय ने यात्री रेल सेवाओं के संचालन के लिये निजी भागीदारी को आमंत्रित किया
रेल मंत्रालय ने 109 मूल-गंतव्य पेयर मार्गों पर यात्री रेलों के संचालन हेतु निजी क्षेत्र को भागीदारी हेतु आमंत्रित किया है। इसके तहत 151 ट्रेनों का संचालन किया जाएगा।
- मसौदा अखिल भारतीय पर्यटक वाहन प्राधिकरण और परमिट नियम, 2020
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने मसौदा नियम जारी किये हैं जो मोटर वाहन (पर्यटन परिवहन संचालकों के लिये अखिल भारतीय परमिट) नियम, 1993 [Motor Vehicles (All India Permit for Tourist Transport Operators) Rules, 1993] का स्थान लेंगे। मसौदा नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- प्राधिकरण और परमिट: मसौदा नियमों के अनुसार, परिवहन अथॉरिटी ऑथराइज़ेशन देगी ताकि परिवहन वाहन संचालक टैक्स या फीस चुका कर भारतीय क्षेत्र में वाहन चला सकें। जिस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में वाहन चलाया जाएगा वह शुल्क या फीस की वसूली कर सकता है। परिवहन प्राधिकरण परमिट जारी करेगी जिसके बाद टैक्स या फीस का भुगतान किये बिना भारतीय क्षेत्र में वाहन संचालक वाहन चला सकेंगे। आवेदन के साथ सौंपे गए दस्तावेज़ों की जाँच के बाद परमिट दिया जाएगा। अगर आवेदन मिलने के 30 दिनों के भीतर आवेदन पर फैसला नहीं लिया जाता तो माना जाएगा कि प्राधिकार या परमिट दे दिया गया है और वह इलेक्ट्रॉनिकली जनरेट हो जाएगा। प्राधिकार या परमिट को एक से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता, ऐसा सिर्फ न्यायिक परिवहन प्राधिकरण की अनुमति से ही किया जा सकता है।
- फीस: आवेदन के साथ फीस जमा की जाती है। मसौदा नियम प्रत्येक प्रकार के परिवहन वाहन के लिये फीस निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिये नौ लोगों से कम की क्षमता वाले परिवहन वाहन को एसी परमिट लेने के लिये 25,000 रुपए वार्षिक चुकाने होंगे। प्राधिकार या परमिट के लिये भुगतान किया गया शुल्क मासिक आधार पर न्यायिक राज्य को भेज दिया जाएगा।
- बीमा कवरेज: प्राधिकार या परमिट के अंतर्गत संचालित होने वाले प्रत्येक वाहन के पास ड्राइवर और पैसेंजर लायबिलिटी के लिये वैध बीमा कवरेज होना चाहिये।
- पर्यटकों की सूची: परमिट के अंतर्गत चलने वाले वाहन में हमेशा इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक रूप में यात्रियों की सूची होनी चाहिये। इस सूची में प्रत्येक यात्री के मूल स्थान और गंतव्य का विवरण होना चाहिये। यह सूची अधिकृत अधिकारियों द्वारा मांगने पर दी जानी चाहिये। प्राधिकार और परमिट रखने वाले प्रत्येक पर्यटक वाहन संचालक को एक वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिये यात्रा विवरण सहित यात्रियों का रिकॉर्ड रखना चाहिये। इस तरह के रिकॉर्ड को न्यायिक परिवहन प्राधिकरण या किसी अन्य कानून प्रवर्तन अधिकारी की मांग पर उपलब्ध कराया जाना चाहिये। यात्रियों का कोई रिकॉर्ड किसी अन्य व्यक्ति, संगठन या कंपनी के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिये।
- मर्चेंट शिपिंग (पशुओं के वहन की शर्त) नियम, 2020
शिपिंग मंत्रालय (Ministry of Shipping) ने मर्चेंट शिपिंग (पशुओं के वहन की शर्त) नियम, 2020 [Merchant Shipping (Conditions for Carriage of Livestock) Rules, 2020] को अधिसूचित किया है। ये नियम समुद्र के ज़रिये पशुओं के वहन पर लागू होंगे, भले ही उन्हें देश से बाहर आयात या निर्यात किया जा रहा हो अथवा भारत के एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह पर ले जाया जा रहा हो। नियमों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- पशु जहाज़ को मंज़ूरी: कोई व्यक्ति समुद्र से पशुओं का वहन तभी कर सकता है, जब उसे पशु जहाज़ की मंज़ूरी मिली हो। इस मंज़ूरी को हासिल करने के लिये जहाज़ को मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 (Merchant Shipping Act, 1958) के अंतर्गत रजिस्टर होना चाहिये। फॉरेन फ्लैगशिप के मामले में उसे भारत सरकार के किसी मान्यता प्राप्त संगठन से पशु जहाज़ के रूप में वर्गीकृत होना चाहिये तभी शिपिंग महानिदेशालय मंज़ूरी देगा। यह मंज़ूरी 5 वर्ष की अवधि के लिये वैध होगी। महानिदेशक निदेशालय की वेबसाइट पर मंज़ूरी प्राप्त जहाज़ों की सूची प्रकाशित करेगा।
- प्रतिकूल मौसम: यात्रा से पहले जहाज़ के मास्टर के पास मौसम का 96 घंटे का पूर्वानुमान होना चाहिये जो कि उसे भारतीय मौसम विज्ञान सेवा से प्राप्त होगा और इसमें यात्रा मार्ग की वायु एवं समुद्री स्थितियों की जानकारी होगी। मास्टर को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि अगर पूर्वानुमान में प्रतिकूल समुद्री एवं वायु स्थितियों की आशंका दर्ज की गई है तो जहाज़ भारतीय बंदरगाह से रवाना न हो।
- यात्रा की योजना: जब तक महानिदेशक से भावी यात्रा की योजना को मंज़ूरी नहीं मिल जाती, तब तक कोई व्यक्ति न खुद जहाज़ पर पशुओं को चढ़ा सकता है और न ही दूसरे व्यक्ति को ऐसा करने की मंज़ूरी दे सकता है। इस योजना में प्रस्थान से गंतव्य तक के भावी मार्ग को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें उन बंदरगाहों की सूची भी शामिल होगी, जहाँ भावी यात्रा के दौरान जहाज़ रुक सकते हैं और इन बंदरगाहों के बीच की दूरी भी लिखी होगी।
- जहाज़ के मास्टर के कार्य: जहाज़ के मास्टर के पशुओं की ढुलाई और देखभाल से जुड़े कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) पशुओं की ढुलाई से पहले जहाज़ का निरीक्षण।
(ii) यह सुनिश्चित करना कि ढुलाई सक्षम व्यक्ति द्वारा की जाए।
(iii) यह सुनिश्चित करना कि पशुओं को जहाज़ पर उचित तरीके से रखा जाए और क्रू के सदस्य उनकी देखभाल करें।
कृषि
- कृषि अवसंरचना कोष को मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय योजना कृषि अवसंरचना कोष को मंज़ूरी दी। आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज के अंतर्गत मई 2020 में इस कोष की घोषणा की गई थी।
- कृषि निर्यात संबंधी समूह की रिपोर्ट
15वें वित्त आयोग ने फरवरी 2020 में कृषि निर्यात हेतु एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था। इस समूह ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 की अवधि के दौरान राज्यों को प्रदर्शन आधारित इनसेंटिव पर सुझाव देने के लिये ग्रुप बनाया गया था। इसका लक्ष्य कृषि निर्यात में वृद्धि और ऐसी फसलों को बढ़ावा देना है जो कि उच्च निर्यात प्रतिस्थापन करे। समूह का अनुमान है कि वैल्यू चेन में 8-10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से भारत का कृषि निर्यात कुछ वर्षों में 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
ग्रुप के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) मांग के आधार पर कुछ फसलों की वैल्यू चेन पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
(ii) मूल्य संवर्द्धन पर ध्यान देते हुए क्लस्टर आधारित सप्लाई चेन बनाई जाए।
(iii) राज्य के नेतृत्व में निर्यात योजनाएँ बनाई जाए (यानी इन क्लस्टर्स के लिये व्यावसायिक योजनाएँ), जिन्हें मौजूदा योजनाओं, वित्त आयोग के आवंटनों और निजी निवेश के सहयोग से वित्तपोषित किया जाएगा।
(iv) कार्यान्वयन के वित्तपोषण और सहयोग के लिये एक व्यापक संस्थागत प्रणाली तैयार की जाए।
रक्षा
- थलसेना में महिला अधिकारियों के लिये स्थायी कमीशन को मंज़ूरी
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय थलसेना में महिला अधिकारियों के लिये स्थायी कमीशन को मंज़ूरी दी।
- रक्षा मंत्रालय ने मसौदा रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020
रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 (Defence Acquisition Procedure, 2020) का मसौदा जारी किया। DAP में भारतीय रक्षा बलों के लिये हथियार और उपकरणों की खरीद का प्रावधान होता है। मसौदा का एक पूर्व संस्करण मार्च 2020 में सार्वजनिक टिप्पणियों के लिये जारी किया गया था। मसौदा को प्राप्त टिप्पणियों और आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत घोषित रक्षा सुधारों के आधार पर संशोधित किया गया है। मसौदा DAP रक्षा खरीद प्रक्रिया, 2016 में संशोधन करता है और इसका लक्ष्य स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाना और रक्षा उपकरणों की खरीद की समयसीमा को कम करना है। मसौदा DAP की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- लीजिंग: डीपीपी-2016 पूंजीगत अधिग्रहण के दो तरीके बताता है: (i) खरीद, (ii) खरीद और निर्माण। मसौदा DAP अधिग्रहण का एक अन्य तरीका बताता है, ‘लीजिंग’। लीजिंग प्रारंभिक पूंजीगत परिव्यय का विकल्प है जिसमें समय-समय पर किराये का भुगतान किया जाएगा। ऐसा उन स्थितियों में किया जाता है जब: (i) एक निश्चित समय पर खरीद व्यावहारिक न हो (ii) किसी एसेट की ज़रूरत सिर्फ एक निर्दिष्ट समय पर हो।
- स्वदेशी कंटेंट (IC) को बढ़ाना: DPP-2016 उपरोक्त दो तरीकों से 5 श्रेणियों में पूंजीगत अधिग्रहण को निर्दिष्ट करती है। ये 5 श्रेणियाँ इस प्रकार हैं (तालिका 1 के नोट्स में स्पष्ट)।
(i) खरीद (भारतीय- IDDM),
(ii) खरीद (भारतीय),
(iii) खरीद और निर्माण (भारतीय),
(iv) खरीद और निर्माण, और
(v) खरीद (ग्लोबल)।
संशोधित DPP एक छठी श्रेणी को शामिल करती है, खरीद (ग्लोबल- भारत में निर्माण)। इसके अतिरिक्त उसने खरीद की विभिन्न श्रेणियों में IC आवश्यकता को भी बढ़ा दिया है। उपरिलिखित श्रेणियों में IC आवश्यकताओं को तालिका 1 में सूचीबद्ध किया गया है।
- हथियार जिनका आयात प्रतिबंधित है: घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत घोषित रक्षा सुधारों को लागू करने के लिये मंत्रालय आयात हेतु प्रतिबंधित हथियारों की एक सूची को अधिसूचित करेगा। यह सूची समय-समय पर अपडेट की जाएगी। इन उपकरणों को खरीद (भारतीय-IDDM), खरीद (भारतीय), खरीद और निर्माण (भारतीय) (अगर खरीद की मात्रा शून्य है) तथा खरीद और निर्माण (अगर खरीद की मात्रा शून्य है) के अंतर्गत खरीदा जा सकता है।
तालिका 1: अधिग्रहण की विभिन्न श्रेणियों में स्वदेशी कंटेंट की ज़रूरत
श्रेणी |
डीपीपी-2016 |
डीपीपी-2020 |
खरीद (भारतीय- IDDM) |
40% या अधिक |
50% या अधिक |
खरीद (भारतीय) |
40% या अधिक |
50% या अधिक (स्वदेशी डिज़ाइन के लिये) |
खरीद और निर्माण (भारतीय) |
निर्माण के हिस्से का 50% या उससे अधिक |
निर्माण के हिस्से का 50% या उससे अधिक |
खरीद और निर्माण |
निर्दिष्ट नहीं |
50% या अधिक |
खरीद (ग्लोबल-भारत में मैन्यूफैक्चर) |
श्रेणी मौजूद नहीं |
50% या अधिक |
खरीद (ग्लोबल) |
निर्दिष्ट नहीं |
30% या अधिक (भारतीय वेंडरों के लिये) |
- DAC ने 38,900 करोड़ रुपए मूल्य के उपकरणों के पूंजीगत अधिग्रहण को मंज़ूरी
रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council- DAC) ने 38,900 करोड़ रुपए मूल्य के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स और उपकरणों के पूंजीगत अधिग्रहण को मंज़ूरी दी। इसमें से 31,130 करोड़ रुपए का अधिग्रहण घरेलू उद्योग से किया जाएगा। इसमें गोला-बारूद (Ammunitions), आयुध उन्नयन (Armament Upgrades) और लंबी दूरी की भूमि पर हमला करने वाली क्रूज़ मिसाइल प्रणाली सहित विभिन्न उपकरणों के लिये 20,400 करोड़ रुपए की मंज़ूरी शामिल है। इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 12 सुखोई (Su-30 MKI) विमानों की खरीद के लिये 10,730 करोड़ रुपए मंजूर किये गए हैं।
DAC ने रूस से 21 MIG एयरक्राफ्ट्स और मौजूदा 59 MIG-29 एयरक्राफ्ट्स के अपग्रेडेशन की खरीद के लिये 7,418 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है।
- सशस्त्र बलों को 300 करोड़ रुपए तक की पूंजीगत खरीद का अधिकार
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 300 करोड़ रुपए तक के पूंजीगत अधिग्रहण के लिये सशस्त्र बलों को खरीद का अधिकार दिया है ताकि वे अपने बढ़ती ज़रूरतों को पूरा कर सकें। यह फैसला उत्तरी सीमाओं की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लिया गया था। सशस्त्र बलों को खरीद की शक्ति देने से यह उम्मीद की जाती है कि रक्षा उपकरणों की खरीद में कम समय लगेगा। छह महीने के भीतर ऑर्डर दे दिये जाएंगे और एक वर्ष के भीतर डिलीवरी शुरू हो जाएगी।
विद्युत
- अक्षय और थर्मल स्रोतों के मिश्रण से बिजली खरीद की प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया के लिये दिशा-निर्देश
बिजली मंत्रालय ने कोयला आधारित थर्मल पावर स्रोतों और अक्षय ऊर्जा स्रोतों के मिश्रण से चौबीसों घंटे बिजली की खरीद हेतु टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया के लिये दिशा-निर्देश जारी किये। बिजली की खरीद के लिये अक्षय और थर्मल स्रोतों को मिलाने का उद्देश्य यह है कि अक्षय ऊर्जा की अनिरंतर प्रकृति को काबू किया जा सके।
अक्षय ऊर्जा की अनुपलब्धता के दौरान थर्मल पावर प्लांट से बिजली प्राप्त की जाएगी। इस तरह सप्लाई होने वाली बिजली के अक्षय ऊर्जा घटक को वितरण कंपनी (डिस्कॉम) की अक्षय उर्जा खरीद बाध्यता में गिना जाएगा। डिस्कॉम टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से ऐसे बंडल्ड स्रोतों से बिजली खरीद सकता है। दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- एप्लीकेबिलिटी: दिशा-निर्देश अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स से राउंड द क्लॉक बेसिस पर दीर्घकाल के लिये खरीदी जाने वाली बिजली पर लागू होते हैं, जिसमें कोयला आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स से भी बिजली मिलती है। ये प्रॉजेक्ट्स अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन (आईएसटीएस) प्रणाली से जुड़े होते हैं। अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स सोलर, विंड या सोलर और विंड का मिश्रण हो सकते हैं। उनमें बिजली स्टोरेज की प्रणाली हो सकती है। पावर परचेज़ एग्रीमेंट (पीपीए) डिस्कॉम और अक्षय ऊर्जा उत्पादक के बीच हस्ताक्षरित होगा। पीपीए की अवधि न्यूनतम 25 वर्ष होगी।
- अक्षय ऊर्जा उत्पादक एक या एक से अधिक थर्मल पावर प्लांट्स को इस प्रणाली से जोड़ सकता है। थर्मल पावर प्लांट इस उद्देश्य के लिये अपनी क्षमता के उस हिस्से का इस्तेमाल कर सकते हैं जो कि पीपीए या किसी अन्य बिजली सप्लाई प्रतिबद्धता के अंतर्गत नहीं आता।
- ऊर्जा का मिश्रण (एनर्जी मिक्स) और सप्लाई की उपलब्धता: वार्षिक आधार पर कम-से-कम 51% बिजली अक्षय स्रोतों से प्राप्त होनी चाहिये। अक्षय ऊर्जा उत्पादक से अपेक्षा की जाती है कि वह वार्षिक आधार पर बिजली की कम-से-कम 85% उपलब्धता और पीक आवर के दौरान उपलब्धता सुनिश्चित करे। पीक आवर चार घंटे का होगा और खरीदार उसे पहले ही निर्दिष्ट कर देगा।
- नीलामी की प्रक्रिया: खरीदार बिजली क्षमता की शर्तों में अनुबंधित कुल मात्रा निर्दिष्ट करेगा। बोलीदाता खरीदी जाने वाली कुल मात्रा के एक हिस्से के लिये बोली लगा सकता है (न्यूनतम 250 मेगावाट के अधीन)। बोलीदाता को सप्लाई की प्रति इकाई के लिये एक कंपोज़िट टैरिफ (अक्षय और थर्मल पावर दोनों के लिये) प्रस्तावित करना होगा। सबसे कम टैरिफ वाली बोली को चुना जाएगा।
- मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाज़ार) विनियम, 2020
केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (Central Electricity Regulatory Commission- CERC) ने मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाजार) विनियम, 2020 पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। विनियम विद्युत से जुड़े एक्सचेंज मार्केट्स के संचालन का तरीका निर्धारित करते हैं और इसमें बिजली विनिमय और ओवर द काउंटर (ओटीसी) बाज़ार भी शामिल है। रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- बिजली विनिमय या पावर एक्सचेंज: पावर एक्सचेंज के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे: (i) बिजली कॉन्ट्रैक्ट्स डिज़ाइन करना और इन कॉन्ट्रैक्ट्स में लेनदेन की सुविधा तथा (ii) व्यापक, तुरत और प्रभावी प्राइस डिस्कवरी और प्रसार। पावर एक्सचेंज की कोशिश करने वाले व्यक्ति को सीईआरसी में रजिस्टर करना होगा।
- ओटीसी प्लेटफॉर्म: ओटीसी प्लेटफॉर्म्स के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे: (i) बिजली के संभावित खरीदारों और विक्रेताओं की सूचना वाला इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म प्रदान करना, (ii) खरीदारों और विक्रेताओं के डेटा से संबंधित रेपोजेटिरी बनाना जिसे बाज़ार के भागीदारों को दिया जाएगा तथा (iii) भागीदारों को एडवांस्ड डेटा एनालिसिस टूल्स जैसी सेवाएँ प्रदान करना। ओटीसी प्लेटफॉर्म बनाने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को सीईआरसी में रजिस्टर करना होगा। रेगुलेशंस निम्नलिखित का प्रावधान करते हैं: (i) ओटीसी प्लेटफॉर्म्स के रजिस्ट्रेशन के लिये पात्रता मानदंड और उसका तरीका, (ii) ओटीसी प्लेटफॉर्म्स की बाध्यताएँ, और (iii) रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के नियम।
- बिजली के कॉन्ट्रैक्ट्स: रेगुलेशंस प्राइस डिस्कवरी के तरीके को निर्दिष्ट करते हैं और बिजली कॉन्ट्रैक्ट्स की शेड्यूलिंग एवं डिलिवरी का तरीका भी बताते हैं जिनकी इन एक्सचेंज मार्केट्स में ट्रेडिंग होती है। इसमें डे-अहेड, रियल टाइम, इंट्रा डे, टर्म अहेड, और पावर एक्सचेंजेज में ट्रेड होने वाले आकस्मिक कॉन्ट्रैक्ट्स और ओवर द काउंटर मार्केट में ट्रेड होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स शामिल हैं।
- बाज़ार पर निगरानी: रेगुलेशंस सीईआरसी को इस बात का अधिकार देते हैं कि वे निम्नलिखित के संबंध में जाँच कर सकता है: (i) बाज़ार के भागीदारों द्वारा कानूनी बाध्यताओं का पालन न करना, (ii) बाज़ार के भागीदारों का मार्केट मैन्यूपुलेशन, इनसाइड ट्रेडिंग, कार्टेलाइजेशन और प्रभुत्व वाले पदों के दुरुपयोग में शामिल होना। सीईआरसी इन एक्सचेंज मार्केट्स में बिजली के व्यापार की कीमतों और मात्रा में असामान्य उतार-चढ़ाव की स्थितियों में भी दखल दे सकता है। इसमें मूल्य की सीमा तय करना और लेनदेन के काम को रोकना आदि शामिल है।
- मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत आपूर्ति का विनियमन) (पहला संशोधन) विनियम, 2020
सीआईआरसी ने मसौदा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत आपूर्ति का विनियमन) (पहला संशोधन) विनियम, 2020 जारी किया था। ड्राफ्ट रेगुलेशंस केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (पावर सप्लाई का रेगुलेशन) रेगुलेशंस, 2010 में संशोधन का प्रयास करता है।
2010 के रेगुलेशन बकाए के भुगतान में डिफॉल्ट या कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार लेटर ऑफ क्रेडिट या पेमेंट सिक्योरिटी के नॉन-मेंटेनेंस की स्थिति में ओपन एक्सेस वाली वितरण कंपनियों और एंटिटीज़ के लिये बिजली सप्लाई का रेगुलेशन करते हैं। ऐसे मामलों में उत्पादक या ट्रांसमिशन लाइसेंसी द्वारा क्रमशः बिजली की सप्लाई कम की जा सकती है, या ट्रांसमिशन प्रणाली से एक्सेस वापस लिया जा सकता है। ड्राफ्ट रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- एप्लीकेबिलिटी: वर्तमान में 2010 के रेगुलेशन सिर्फ उन्हीं स्थितियों में लागू होते हैं, जब लाभार्थियों (ओपन एक्सेस वाले डिस्कॉम्स और एंटिटीज़) और उत्पादक या ट्रांसमिशन लाइसेंसी के कॉन्ट्रैक्ट में कोई विशिष्ट प्रावधान हो। ड्राफ्ट रेगुलेशन में प्रावधान है कि यह तब भी लागू होगा, जब इन मामलों में बिजली की सप्लाई का रेगुलेशन (बकाया या पेमेंट सिक्योरिटी का नॉन-मेंटेनेंस) सीईआरसी द्वारा बनाए गए दूसरे रेगुलेशंस में अनिवार्य हो।
- रेगुलेशंस निम्नलिखित लाभार्थियों पर लागू होगा, जिन्हें: (i) केंद्रीय क्षेत्र के उत्पादक द्वारा बिजली आवंटित होती है, या (ii) दीर्घावधि या मध्यम अवधि के ओपन एक्सेस के ज़रिये अंतर-राज्यीय उत्पादक से बिजली मिलती है, या (iii) अगर वह अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली का उपयोग करता हो।
- भुगतान में डिफॉल्ट: डिफॉल्ट की स्थिति में उत्पादक या ट्रांसमिशन लाइसेंसी डिफॉल्ट करने वाले लाभार्थी को क्रमशः बिजली सप्लाई कम करने या ट्रांसमिशन प्रणाली का एक्सेस वापस लेने का नोटिस दे सकते हैं। बकाया न चुकाने पर नोटिस देय तिथि के 60 दिनों के बाद दिया जा सकता है। रेगुलेशंस इस प्रावधान में संशोधन करते हैं और कहते हैं कि देय तिथि के तुरंत बाद नोटिस दिया जा सकता है।
- अक्षय ऊर्जा अनुसंधान और तकनीकी विकास कार्यक्रम
नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने अक्षय ऊर्जा अनुसंधान और तकनीकी विकास कार्यक्रम को वर्ष 2020-21 में जारी रखने को मंज़ूरी दे दी है। यह 31 मार्च, 2021 तक जारी रहेगा या उस तारीख तक जब 15वें वित्त आयोग के सुझाव लागू होंगे (इनमें से जो पहले हो)। कार्यक्रम का लक्ष्य नवीन और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास प्रोजेक्ट्स को सहयोग देना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सोलर थर्मल सिस्टम्स, सोलर फोटोवॉलेटिक सिस्टम्स, बायोगैस सिस्टम्स और वेस्ट टू एनर्जी सिस्टम्स को सहयोग दिया जाता है। 2019-20 के लिये इस कार्यक्रम को मूल रूप से फरवरी 2019 में 176 करोड़ रुपए की लागत से मंजूर किया गया था।
- पीएम-कुसुम योजना
- नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने पीएम-कुसुम योजना के कंपोनेंट सी के कार्यान्वयन से संबंधित दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। दिशा-निर्देश नवंबर 2019 में जारी किये गए थे। योजना का यह घटक वर्ष 2022 तक 7.5 एचपी तक की व्यक्तिगत क्षमता वाले 10 लाख कृषि पंपों को सोलराइज़ करना चाहता है।
- सोलराइज्ड पंपों को सप्लाई करने वाले वेंडर्स का चयन नीलामी प्रक्रिया के ज़रिये होगा। मूल दिशा-निर्देशों के अनुसार, सोलर पैनल और सोलर वॉटर पंप मैन्युफैक्चरर्स को नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति है। संशोधन के बाद सोलर पंप या सिस्टम्स इंटीग्रेटर्स के साथ सोलर वॉटर पंप के मैन्युफैक्चरर्स के संयुक्त उपक्रम भी नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा ले पाएंगे।