भारत-स्पेन संबंधों को सुदृढ़ करना | 05 Nov 2024
प्रिलिम्स के लिये:कानून का नियम, यूरोपियन यूनियन, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), भारत-स्पेन संयुक्त आर्थिक सहयोग आयोग (JCEC), C-295 विमान, मेक इन इंडिया, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, सैन्य अभ्यास, यूक्रेन-संघर्ष, इंडो-पैसिफिक, इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI), संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पनडुब्बी प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, सतत् विकास लक्ष्य (SDG)। मेन्स के लिये:भारत-स्पेन संबंधों का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्पेन सरकार के राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया तथा लोकतंत्र, कानून का नियम तथा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता के अपने साझा मूल्यों पर बल देकर द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्स्थापित किया।
- यह 18 वर्षों में स्पेन के किसी राष्ट्रपति द्वारा भारत की पहली यात्रा थी।
भारत-स्पेन संबंधों में अभिसरण के बिंदु क्या हैं?
- आर्थिक सहयोग और व्यापार विस्तार: आर्थिक संबंध भारत-स्पेन साझेदारी का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं। वर्ष 2023 में द्विपक्षीय व्यापार 8.25 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.2% अधिक है।
- स्पेन को भारत का निर्यात 6.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो 5.2% की वृद्धि दर्शाता है, जबकि आयात 1.05% बढ़कर 1.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। प्रमुख भारतीय निर्यातों में खनिज ईंधन, रासायनिक उत्पाद, लोहा और इस्पात, विद्युत मशीनरी और परिधान शामिल हैं।
- स्पेन यूरोपीय यूनियन के भीतर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जिसका संचयी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) स्टॉक 3.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल 2000- दिसंबर 2023) है।
- दोनों देशों ने द्विपक्षीय निवेश संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें स्पेन में भारत का निवेश लगभग 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो मुख्य रूप से IT, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और लॉजिस्टिक्स पर केंद्रित है।
- दोनों राष्ट्रों ने व्यापार और निवेश संबंधों को सरल बनाने के लिये फास्ट ट्रैक तंत्र की स्थापना पर सहमति व्यक्त की है।
- दोनों देशों ने वर्ष 2023 में आयोजित भारत-स्पेन संयुक्त आर्थिक सहयोग आयोग (JCEC) के 12वें सत्र में हुई प्रगति को स्वीकार किया और वर्ष 2025 की शुरुआत में स्पेन में अगला सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया।
- रक्षा सहयोग: भारत और स्पेन के बीच रक्षा संबंधों में गहराई आ रही है, जो संयुक्त परियोजनाओं में आपसी रुचि के माध्यम से स्पष्ट हो रहा है।
- इस यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण वडोदरा में C-295 विमान के फाइनल असेंबली लाइन प्लांट (संयंत्र) का उद्घाटन था, जो भारत में पहला निजी सैन्य परिवहन विमान उत्पादन संयंत्र है। इसे एयरबस स्पेन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित किया गया है।
- इस संयंत्र में 40 C-295 विमानों का निर्माण किया जाएगा, जिसमें पहला 'मेड इन इंडिया' विमान वर्ष 2026 में तैयार होने की संभावना है।
- एयरबस ने 16 विमानों को उड़ान के लिये तैयार करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिनमें से छह विमानों को पहले ही भारतीय वायु सेना को प्रदान किया जा चुका है।
- दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, खुफिया जानकारी साझा करने और सैन्य अभ्यास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को प्रबल करने और विविधता लाने के लिये नियमित वार्ता के महत्त्व पर बल दिया।
- सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच आदान-प्रदान: द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये सांस्कृतिक संबंधों को महत्त्वपूर्ण माना गया।
- दोनों देशों ने वर्ष 2026 को संस्कृति, पर्यटन और AI में भारत और स्पेन का वर्ष घोषित किया है। इस पहल का उद्देश्य आपसी सांस्कृतिक उपस्थिति को बढ़ाना और संगीत, साहित्य और फिल्म में प्रयासों सहित पर्यटन को बढ़ावा देना है।
- दोनों राष्ट्रों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (Cultural Exchange Program) पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया, जिसका मुख्य उद्देश्य संगीत, नृत्य, रंगमंच, साहित्य और उत्सवों के क्षेत्र में आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है।
- वलाडोलिड विश्वविद्यालय में हिंदी और भारतीय अध्ययन के लिये ICCR पीठों की स्थापना शैक्षणिक क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- वैश्विक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता: वैश्विक मुद्दों पर, दोनों देशों ने यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों पर गहरी चिंता व्यक्त की और इन संकटों के समाधान के लिये वार्ता एवं कूटनीति की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- दोनों राष्ट्रों ने स्वतंत्र, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः व्यक्त किया और अंतर्राष्ट्रीय कानून तथा नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन किया।
- समुद्री क्षेत्र के प्रबंधन और संरक्षण में सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देते हुए उन्होंने भारत द्वारा स्पेन को भारत-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में भाग लेने के लिये दिये गए निमंत्रण को स्वीकार किया।
- स्पेन ने लैटिन अमेरिकी देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सहायक प्रेक्षक के रूप में इबेरो-अमेरिकन सम्मेलन में शामिल होने के भारत के आवेदन का स्वागत किया।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सुधार: दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र के भीतर सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की तथा वर्तमान में विश्व में जारी निरंतर परिवर्तनों के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
- भारत ने UNSC में 2031-32 की अवधि में स्पेन द्वारा की गई उम्मीदवारी का समर्थन किया और इसके साथ ही स्पेन ने भी 2028-29 के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
- स्पेन ने भारत को वर्ष 2022 में शुरू किये गए इंटरनेशनल ड्राॅट रेज़िलिएंस अलायंस में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया, जिसका उद्देश्य तत्परता और अनुकूलन उपायों के माध्यम से सूखे के प्रभावों को कम करने की कार्य क्षमता का वर्द्धन करना है।
- आतंकवाद-रोध और भावी सहभागिता पर निष्कर्ष: दोनों देशों ने आतंकवादी समूहों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आतंकवाद और हिंसक अतिवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
- दोनों देशों ने आतंकवाद-रोध से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के दृढ़ कार्यान्वयन का आह्वान किया और आतंकवाद के पीड़ितों को सहायता प्रदान करने हेतु स्पेन की बहुपक्षीय पहल की सराहना की।
सामरिक दृष्टि से भारत और स्पेन के बीच सहयोग क्या महत्त्व है?
- रक्षा सहयोग: स्पेन, विशेष रूप से एयरोस्पेस और नौसेना प्रौद्योगिकी में, भारत के रक्षा आधुनिकीकरण प्रयासों का महत्त्वपूर्ण आधार है।
- पनडुब्बी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सैन्य विमान सहयोग में स्पेनिश कंपनियों की भागीदारी से भारत की रक्षा क्षमताओं में वर्द्धन होता है।
- ये सहयोग भारत की मेक इन इंडिया पहल के लिये सहायक है जिससे स्थानीय उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।
- आतंकवाद-रोधी प्रयास: सुरक्षा संबंधी पारस्परिक चिंताओं का समाधान करने हेतु आसूचना साझा करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए दोनों देशों का आतंकवाद-रोधी प्रयासों में सक्रिय सहयोग है।
- दोनों राष्ट्र समन्वित कार्रवाई और कार्यनीतियों के माध्यम से वैश्विक आतंकवाद से जनित खतरों की पहचान कर उनकी रोकथाम करते हैं।
- सतत् विकास और जलवायु कार्रवाई: भारत और स्पेन दोनों ही पेरिस समझौते के लक्ष्यों और जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
- अक्षय ऊर्जा (सौर और पवन) के क्षेत्र में स्पेन की प्रगति भारत के स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने के उद्देश्यों के अनुरूप है।
- संयुक्त पहल का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करना है तथा नवीन समाधानों के माध्यम से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करना है।
भारत और स्पेन संबंधों के समक्ष क्या प्रमुख चुनौतियाँ हैं?
- आर्थिक सहभागिता संबंधी चुनौतियाँ: आर्थिक अनुपूरकताओं के अपर्याप्त उपयोजन के साथ भारत और स्पेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार इनके सामर्थ्य से काफी कम है।
- सीमित निवेश के कारण अक्षय ऊर्जा, बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अवसरों के अन्वेषण को लेकर बाधाएँ हैं।
- व्यापक व्यापार समझौतों के अभाव के कारण सभी बाज़ार में विस्तार करने के लिये प्रयासरत व्यवसायों के लिये बाधाएँ उत्पन्न होती है।
- भौगोलिक और सांस्कृतिक बाधाएँ: दोनों देशों के बीच अत्यधिक दूरी से प्रत्यक्ष संपर्क और नियमत पारस्परिक क्रियाओं में बाधा उत्पन्न होती है।
- संस्कृति के सीमित आदान-प्रदान के कारण दोनों देशों के नागरिकों के बीच आपसी समझ का अभाव होता है।
- आपसी समझ के इस अंतराल को कम करने हेतु दोनों देशों में किसी भी प्रकार के शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों का अभाव है।
- बाज़ार में पहुँच संबंधी मुद्दे: विनियामक जटिलताओं से निवेशक और व्यापारी हतोत्साहित होते हैं। ये प्रतिबंध वस्तुओं और सेवाओं के मुक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न करते हैं।
- उत्पाद मानकों और प्रमाणन आवश्यकताओं में भिन्नता के कारण व्यापार में अतिरिक्त बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
- कूटनीतिक प्राथमिकता संबंधी चुनौतियाँ: स्पेन यूरोपीय संघ के भीतर और लैटिन अमेरिका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है जबकि भारत प्रमुख शक्तियों और निकटतम पड़ोसी देशों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसके कारण स्पेन के साथ सहभागिता सीमित होती है।
- प्रायः दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक यात्राएँ और सामरिक वार्ताएँ नहीं होती हैं।
आगे की राह
- आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण: बाज़ार में स्थिर पहुँच सुनिश्चित करने और भारत के बुनियादी ढाँचे, अक्षय ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में स्पेनिश निवेश आकर्षित करने हेतु द्विपक्षीय निवेश संधि पर वार्ता की जानी चाहिये।
- आर्थिक सहभागिता बढ़ाने से व्यापार संबंधी मौजूदा असंतुलन का समाधान होगा और आर्थिक पूरकता की पूर्ण क्षमता का उपोयोग किया जा सकेगा।
- चूँकि भारत अपने रेलवे को आधुनिक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, भारत और स्पेन टैल्गो ट्रेन कोच के लिये सहयोग कर सकते हैं।
- सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान का संवर्द्धन: दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक अंतराल को पाटने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों का विस्तार करने तथा भाषा व कला कार्यक्रमों सहित छात्रवृत्ति एवं आदान-प्रदान के अवसर सृजित करने की आवश्यकता है।
- प्रौद्योगिकी, नवाचार और भारतीय अध्ययन में भारतीय और स्पेनिश विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग से नागरिकों के बीच अटूट संबंध विकसित होंगे।
- संयुक्त राष्ट्र में सुधार और राजनयिक सहभागिता: नित्य राजनयिक वार्ता और सामरिक नियोजन सुनिश्चित करने हेतु उच्च स्तरीय वार्षिक बैठकों की एक रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है।
- अधिक समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति साझा प्रतिबद्धता परिलक्षित करते हुए दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक-दूसरे की उम्मीदवारी का समर्थन करना तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की दिशा में कार्य करना जारी रखना आवश्यक है।
- जलवायु कार्रवाई और सतत् विकास लक्ष्यों पर सहयोग: भारत को पेरिस समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सौर और पवन ऊर्जा के संबंध में स्पेन की प्रगति का लाभ उठाते हुए स्वयं के नवीकरणीय ऊर्जा पहलों को संरेखित करने की आवश्यकता है।
- पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये इंटरनेशनल ड्राॅट रेज़िलिएंस अलायंस और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के तहत सतत् विकास परियोजनाओं को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'व्यापक-आधायुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)' कभी-कभी समाचारों में भारत तथा निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है। (2017) (a) यूरोपीय संघ उतर: (a) |