नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 24 सितंबर, 2021

  • 24 Sep 2021
  • 8 min read

अर्जुन Mk-1A युद्धक टैंक

Arjun Battle Tanks

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिये 118 मुख्य युद्धक टैंक (Main Battle Tank- MBT) अर्जुन Mk-1A की आपूर्ति हेतु भारी वाहन कारखाना अवडी, चेन्नई को एक आदेश जारी किया।

Arjun-Battle-Tanks

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अत्याधुनिक MBT Mk-1A अर्जुन टैंक का एक नया संस्करण है जिसे फायर पावर, गतिशीलता और युद्ध क्षेत्र में बने रहने की सामर्थ्य में बढ़ोतरी के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है।
      • अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक परियोजना वर्ष 1972 में DRDO द्वारा शुरू की गई थी।
    • कुल 72 नई विशेषताओं और अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ Mk-1 संस्करण दिन तथा रात के दौरान लक्ष्य पर सटीक वार करने की दक्षता के अलावा सभी क्षेत्रों  में सहज गतिशीलता सुनिश्चित करेगा।
    • इस स्वदेशी MBT की क्षमता विश्व भर में अपने वर्ग के किसी भी समकालीन टैंक के बराबर है।
  • विकास:
    • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अन्य प्रयोगशालाओं के साथ कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (CVRDE) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
  • महत्त्व:
    • 7,523 करोड़ रुपए का यह ऑर्डर रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' पहल को और अधिक बढ़ावा देगा तथा 'आत्मनिर्भर भारत' की स्थिति प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
  • Mk1A तथा MkII:
    • अर्जुन Mk1 के विकास के बाद बेहतर संसंस्करणों - Mk1A और MkII का विकास हुआ।
    • अर्जुन Mk1A, जिसमें बेहतर मारक क्षमता और ट्रांसमिशन सिस्टम जैसी विशेषताएँ शामिल हैं, ने वर्ष 2019 में अंतिम एकीकरण परीक्षण पूरा किया और इसके उत्पादन के लिये मंज़ूरी दे दी गई।
    • अर्जुन MkII संस्करण एक हल्के वज़न वाला फ्यूचरिस्टिक मेन बैटल टैंक (FMBT) है जिसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और हाई-पावर लेज़र शामिल है।

 फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (FASTER) सिस्टम

Fast and Secured Transmission of Electronic Records (FASTER) System

हाल ही में एक बड़ा सुधार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेशों के इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण के लिये एक प्रणाली को लागू करने की मंज़ूरी दी है।

  • यह अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।
  • इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने न्यायिक प्रणाली में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित पोर्टल सुपेस (SUPACE) लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य न्यायाधीशों को कानूनी अनुसंधान में सहायता करना है।

प्रमुख बिंदु

  • संदर्भ:
    • यह सिस्टम एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से अनुपालन और उचित निष्पादन के लिये कर्तव्य-धारकों को अंतरिम आदेश, स्थगन आदेश, जमानत आदेश और कार्यवाही के रिकॉर्ड की ई-प्रमाणित प्रतियों के प्रसारण का प्रस्ताव करता है।
  • आवश्यकता:
    • कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ अदालत द्वारा पारित जमानत आदेशों के बावजूद भी जेल के कैदियों की दुर्दशा में सुधार नहीं होता है।
    • इसके लिये अदालत के आदेशों के कुशल प्रसारण हेतु सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता थी।
  • लाभ:
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि विचाराधीन कैदियों को जेल से रिहा होने के लिये बहुत अधिक समय तक इंतज़ार न करना पड़े क्योंकि उनके जमानत संबंधी आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी को जेल तक पहुँचने में समय लगता है।
      • विचाराधीन कैदी ऐसे लोग हैं जिन्हें उन अपराधों के लिये दोषी नहीं पाया गया है जिनके लिये उन पर आरोप लगाया गया है।
    • यह लोगों की अनावश्यक गिरफ्तारी और हिरासत को रोकेगा।
  • चुनौतियाँ:
    • देश भर की जेलों में इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता की सुविधा के बिना जेलों में ऐसे आदेशों का प्रसारण संभव नहीं होगा।

सोलर डीसी कुकिंग सिस्टम

Solar DC Cooking System 

हाल ही में केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CMERI) द्वारा सोलर डीसी कुकिंग तकनीक विकसित की गई।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह एक सौर ऊर्जा आधारित कुकिंग सिस्टम है जिसमें सोलर पीवी पैनल, चार्ज कंट्रोलर, बैटरी बैंक और कुकिंग ओवन शामिल हैं।
    • यह प्रौद्योगिकी खाना बनाने के लिये स्वच्छ वातावरण, इन्वर्टर-लेस डायरेक्ट ऑपरेशन, तेज़ और एक समान हीटिंग तथा प्रतिवर्ष / परिवार से 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की क्षमता प्रदान करती है।
    • सोलर डीसी कुकिंग सिस्टम की क्षमता पारंपरिक सोलर आधारित कुकिंग सिस्टम से 20-25 प्रतिशत अधिक है और यह अधिक किफायती भी है क्योंकि एसी-डीसी कन्वर्ज़न के कारण पारंपरिक प्रणाली की कार्यक्षमता घट जाती है।
    • सरल प्रौद्योगिकी डिज़ाइन होने से इसे विकसित करना आसान हो जाता है और इस प्रकार यह सूक्ष्म उद्योगों के लिये पर्याप्त आर्थिक अवसर भी प्रदान करता है।
    • इसकी कीमत 65 हज़ार से 70 हज़ार रुपए के बीच होगी और यदि सरकारी सब्सिडी प्रदान की जाती है तो उत्पाद की कीमत में काफी कमी आएगी। 
  • महत्त्व:
    • सोलर डीसी कुकिंग सिस्टम का व्यापक उपयोग 200 गीगावाट सौर ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने और लगभग 290 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को बचाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    •  इस प्रौद्योगिकी की व्यापक स्तर पर लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही नौकरी के अधिक अवसर सृजित होने की संभावना है।
  • सौर ऊर्जा से संबंधित सरकारी योजनाएँ:
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow