प्रारंभिक परीक्षा
लक्षित प्रजाति-विशिष्ट संरक्षण
- 25 Mar 2025
- 6 min read
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
PLOS बायोलॉजी में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार लक्षित संरक्षण प्रयासों से विभिन्न पशु प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकने में मदद मिली है, जिससे संरक्षण के लिये प्रजाति-विशिष्ट हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला गया है।
लक्षित संरक्षण प्रयासों ने वैश्विक जैवविविधता को किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रत्यक्ष प्रभाव: वर्ष 1980 के बाद से IUCN रेड लिस्ट श्रेणी में सुधार करने वाली लगभग 99.3% प्रजातियों को संरक्षण उपायों से लाभ मिला है। बढ़ती आबादी वाली 969 प्रजातियों में से 78.3% के लिये सक्रिय संरक्षण हस्तक्षेप किये गए थे।
- प्रजाति-विशिष्ट परिणाम:
- आईबेरियन लिंक्स: प्रजनन और आवास प्रबंधन के माध्यम से इनकी संख्या कुछ सौ से बढ़कर कई हज़ार हो गई।
- काकापो: गहन निगरानी और शिकारी नियंत्रण के माध्यम से न्यूज़ीलैंड के एक तोते को पुनर्जीवित किया गया।
- यूरोपीय बाइसन: 20वीं सदी के प्रारंभ में वनों में पूरी तरह विलुप्त हो जाने के बाद इसे पूर्वी यूरोप के वनों में पुनः लाया गया।
भारत का प्रजाति-विशिष्ट संरक्षण कार्यक्रम क्या है?
- 15 वें वित्त आयोग चक्र (वर्ष 2021-26) के दौरान जारी रखने के लिये स्वीकृत वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास (IDWH-2008) का उद्देश्य कैप्टिव ब्रीडिंग के माध्यम से भारत में गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों के वन्यजीव संरक्षण को मज़बूत करना और सामुदायिक भागीदारी के साथ आवास बहाली करना है।
- प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के अंतर्गत 22 प्रजातियों (16 स्थलीय और 6 जलीय) को केंद्रित संरक्षण के लिये प्राथमिकता दी गई है।
- इसमें प्रोजेक्ट टाइगर (वर्ष 1973), प्रोजेक्ट एलीफेंट (वर्ष 1992), वन्यजीव आवास का विकास (प्रोजेक्ट डॉल्फिन, प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट चीता को शामिल करते हुए) जैसे उपघटक शामिल हैं।
- प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल, संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार द्वारा (वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अधिनियमन के बाद) शुरू किया गया था ताकि कैप्टिव ब्रीडिंग के माध्यम से मगरमच्छों की आबादी को बढ़ावा दिया जा सके और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा की जा सके।
- भीतरकनिका में लवणीय जल के मगरमच्छों की संख्या वर्ष 1975 में 95 थी जो बढ़कर 1,811 हो गयी है।
- ओलिव रिडले एवं अन्य समुद्री कछुओं के लिये, विशेष रूप से ओडिशा में, समुद्री कछुआ संरक्षण परियोजना (1999)।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में गिद्धों के संरक्षण के लिये गिद्ध कार्य योजना 2020-25 शुरू की है। इससे डिक्लोफेनाक का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित होगा और गिद्धों के मुख्य आहार स्रोत, मवेशियों के शवों को विषैला होने से बचाया जा सकेगा।
- भारत में गिद्धों की मृत्यु का अध्ययन करने के लिये वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक गिद्ध देखभाल केंद्र (VCC) की स्थापना की गई थी।
- वर्ष 2004 में, इसे बंदी प्रजनन और संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिये भारत के पहले गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र (VCBC) के रूप में उन्नत किया गया।
- असम में ग्रेटर वन-हॉर्न्ड गैंडों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में इंडियन राइनो विज़न 2020 लॉन्च किया गया। काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों की वर्तमान संख्या 2,600 से अधिक है (वर्ष 2022 तक)।
- महाराष्ट्र वन विभाग भारत का ऐसा पहला राज्य बनेगा, जिसके पास पैंगोलिन के संरक्षण हेतु समर्पित कार्य योजना है।
- पैंगोलिन को सर्वोच्च स्तर का संरक्षण प्रदान करते हुए भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है।
- प्रोजेक्ट चीता (2022) का उद्देश्य वर्ष 1952 से भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की संख्या पुनः बढ़ाना है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया था।
- भारत में 75 वर्षों के बाद वन्य क्षेत्र में पहले चीते का जन्म वर्ष 2023 में हुआ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. गिद्ध जो कुछ साल पहले भारतीय ग्रामीण इलाकों में बहुत आम हुआ करते थे, आजकल कम ही देखे जाते हैं। इसके लिये ज़िम्मेदार है (2012) (a) नई आक्रामक प्रजातियों द्वारा उनके घोंसले का विनाश उत्तर: (b) |