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सामाजिक न्याय

स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण

  • 14 Mar 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्नेकबाइट विष, स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-SE), 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण, विश्व स्वास्थ्य संगठन, उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग

मेन्स के लिये:

स्नेकबाइट विष, 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण के तहत स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एक राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-SE) का शुभारंभ किया।

स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-SE) क्या है?

  • परिचय:
    • NAP-SE भारत में सांप के काटने के ज़हर के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है।।
    • यह NAP-SE स्नेकबाइट के कारण होने वाली मौतों की संख्या को आधा करने की वैश्विक मांग को साझा करता है और और संबंधित हितधारकों के सभी रणनीतिक घटकों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की परिकल्पना करता है।
    • NAP-SE राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और हितधारकों के लिये उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी कार्य योजना विकसित करने के लिये एक मार्गदर्शन दस्तावेज़ है और इसका उद्देश्य एंटी-स्नेक वेनम की निरंतर उपलब्धता, क्षमता निर्माण, रेफरल तंत्र और लोक शिक्षा के माध्यम से स्नेकबाइट के खतरे को व्यवस्थित रूप से कम करना है।
  • लक्ष्य:
    • वर्ष 2030 तक स्नेकबाइट से होने वाली मौतों और दिव्यांगता के मामलों की संख्या को आधा करने के लिये इसे रोकना और नियंत्रित करना।
    • सांप के काटने से मनुष्यों में होने वाली रुग्णता, मृत्यु दर और उससे संबंधी जटिलताओं को धीरे-धीरे कम करना।
  • रणनीतिक कार्रवाइयाँ:
    • मानव स्वास्थ्य: मानव स्वास्थ्य घटक के लिये रणनीतिक कार्रवाई में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं पर साँप के जहर रोधी प्रावधान सुनिश्चित करना, मनुष्यों में स्नेकबाइट के मामलों एवं इससे होने वाली मौतों की निगरानी को मज़बूत करना शामिल है।
      • ज़िला अस्पतालों अथवा CHC में एम्बुलेंस सेवाओं, क्षेत्रीय विष केंद्रों के संस्थागतकरण तथा अंतर-क्षेत्रीय समन्वय सहित आपातकालीन देखभाल सेवाओं को मज़बूत करना शामिल है। 
    • वन्यजीव स्वास्थ्य: वन्यजीव स्वास्थ्य घटक के लिये रणनीतिक कार्रवाई में शिक्षा जागरूकता, विषरोधी वितरण, प्रमुख हितधारकों को मज़बूत करना, व्यवस्थित अनुसंधान एवं निगरानी तथा साँप के जहर का संग्रहण के साथ-साथ साँपों को स्थानांतरित करना शामिल है।
    • पशु एवं कृषि घटक: पशु और कृषि घटक के लिये रणनीतिक कार्रवाई में पशुधन में स्नेकबाइट की रोकथाम, सामुदायिक सहभागिता आदि शामिल हैं।

स्नेकबाइट एनवेनोमिंग (SE) क्या है ?

  • परिचय:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्नेकबाइट एनवेनोमिंग (SE) को उच्च प्राथमिकता वाले उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • SE एक संभावित जीवन-घातक बीमारी है जो आमतौर पर एक जहरीले साँप के काटने के बाद विभिन्न विषाक्त पदार्थों (जहर) के मिश्रण के इंजेक्शन के परिणामस्वरूप होती है।
    • यह साँपों की कुछ प्रजातियों द्वारा आँखों में जहर छिड़कने के कारण भी हो सकता है, जिनमें बचाव के उपाय के रूप में जहर उगलने की क्षमता होती है।
    • कई लाखों लोग ग्रामीण एवं उपनगरीय क्षेत्रों में रहते हैं जो अपने अस्तित्व के लिये कृषि एवं निर्वाह खेती पर निर्भर हैं, जिससे अफ्रीका, मध्य-पूर्व, एशिया, ओशिनिया और लैटिन अमेरिका के ग्रामीण उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्नेकबाइट एक गंभीर दैनिक स्वास्थ्य जोखिम बन गया है। 
  • प्रभाव:
    • कई स्नेकबाइट पीड़ित, विशेषकर विकासशील देशों में विकृति, अवकुंचन, विच्छेदन, दृश्य दोष, गुर्दे की जटिलता तथा मनोवैज्ञानिक संकट जैसी दीर्घकालिक व्याधियों से पीड़ित होते हैं।
  • व्यापकता:
    • भारत में प्रतिवर्ष अनुमानित 3-4 मिलियन स्नेकबाइट से लगभग 50,000 मौतें होती हैं, जो वैश्विक स्तर पर स्नेकबाइट से होने वाली सभी मौतों का आधा हिस्सा है।
      • विभिन्न देशों में स्नेकबाइट से पीड़ित लोगों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही क्लीनिकों और अस्पतालों में रिपोर्ट करता है और स्नेकबाइट का वास्तविक बोझ बहुत कम बताया जाता है। 
    • केंद्रीय स्वास्थ्य जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Health Investigation - CBHI) की रिपोर्ट (2016-2020) के अनुसार, भारत में स्नेकबाइट के मामलों की औसत वार्षिक संख्या लगभग 3 लाख है और लगभग 2000 मौतें स्नेकबाइट के कारण होती हैं।
    • भारत में लगभग 90% स्नेकबाइट सर्पों की चार बड़ी  प्रजातियों- कॉमन क्रेट/करैत, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के कारण होते हैं। 
  • SE की रोकथाम के लिये WHO का रोडमैप:
    • WHO ने वर्ष 2030 तक स्नेकबाइट से होने वाली मृत्यु तथा दिव्यांगता के मामलों को आधा करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2019 में अपना रोडमैप लॉन्च किया था।
      • एंटीवेनम के लिये एक स्थायी बाज़ार विकसित करने हेतु वर्ष 2030 तक सक्षम निर्माताओं की संख्या में 25% की वृद्धि की आवश्यकता है।
      • WHO ने वैश्विक एंटीवेनम भंडार बनाने के लिये एक पायलट परियोजना तैयार की है।
      • प्रभावित देशों में स्नेकबाइट के उपचार तथा प्रतिक्रिया को राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं में एकीकृत करना, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों का बेहतर प्रशिक्षण एवं समुदायों को शिक्षित करना शामिल है।
  • भारतीय पहल:

वन हेल्थ दृष्टिकोण क्या है?

  • वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो यह मानता है, कि लोगों का स्वास्थ्य जानवरों के स्वास्थ्य और हमारे साझा पर्यावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • वन हेल्थ का दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) सहित त्रिपक्षीय-प्लस गठबंधन के बीच समझौते से अपना दृष्टिकोण प्राप्त करता है।
  • इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पौधे, मृदा, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य जैसे विभिन्न विषयों में कई स्तरों पर अनुसंधान और ज्ञान साझा करने में सहयोग को प्रोत्साहित करना है, जिससे सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, सुरक्षा और बचाव हो सके।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTDs) क्या हैं?

  • NTDs संक्रमणों का एक समूह है, जो अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में रहने वाले  वंचित समुदायों में सबसे सामान्य है
  • वे विभिन्न प्रकार के रोगजनकों जैसे वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ और परजीवी कीट के कारण होते हैं।
  • NTD विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आम हैं, जहाँ लोगों के पास स्वच्छ जल या मानव अपशिष्ट के निपटान के सुरक्षित तरीके तक पहुँच नहीं है
  • तपेदिक, HIV-AIDS और मलेरिया जैसी बीमारियों की तुलना में इन बीमारियों पर आमतौर पर अनुसंधान और उपचार के लिये  कम धन मिलता है।
    • NTDs के उदाहरण: स्नेकबाइट, खुजली, ट्रेकोमा, लीशमैनियासिस और चगास रोग आदि।

और पढ़ें: सर्प विष को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन भारत में माइक्रोबियल रोगजनकों में बहु-दवा प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ लोगों की आनुवंशिक प्रवृत्ति
  2.  बीमारियों को ठीक करने के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की गलत खुराक लेना
  3.  पशुपालन में एंटीबायोटिक का प्रयोग
  4.  कुछ लोगों में कई पुरानी बीमारियाँ

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न: क्या डॉक्टर के निर्देश के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और मुफ्त उपलब्धता भारत में दवा प्रतिरोधी रोगों के उद्भव में योगदान कर सकते हैं? निगरानी एवं नियंत्रण के लिये उपलब्ध तंत्र क्या हैं? इसमें शामिल विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014)

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