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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 नवंबर, 2023

  • 23 Nov 2023
  • 8 min read

वर्ष 2021-2022 तक खसरा से होने वाली मौतों में 43% की वृद्धि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के एक नए आकलन के अनुसार, टीकाकरण दरों में गिरावट के कारण वर्ष 2021-2022 तक पूरे विश्व में खसरा/मिज़ल्स से होने वाली मौतों की संख्या में 43% की वृद्धि हुई है।

  • कम आय वाले देशों में जहाँ खसरे से होने वाली मौतों का जोखिम सबसे अधिक है, टीकाकरण दर सबसे कम 66 प्रतिशत है, जहाँ महामारी से निपटने का कोई संकेत नहीं है।
  • खसरा, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति की साँस, छींक या खाँसी से प्रसारित श्वसन बूँदों से फैलता है।
  • खसरा एक सीरोटाइप वाले एकल-फँसे, ढके हुए RNA वायरस के कारण होता है। इसे पैरामाइक्सोविरिडे परिवार में जीनस मॉर्बिलीवायरस के सदस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मनुष्य खसरा वायरस का एकमात्र प्राकृतिक होस्ट  है।
  • और पढ़ें….सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष

राज्यपाल पुनः पारित विधेयकों को रोक नहीं सकता

तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विरोध जताया कि राज्यपाल सदन द्वारा अधिनियमित आवश्यक कानूनों से लाभ पाने के लोगों के अधिकार को कमजोर करते हुए विधेयकों को अनिश्चित काल तक विलंबित कर रहे हैं।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के इस तर्क पर ध्यान दिया कि संविधान राज्यपाल को राज्य विधानसभा द्वारा "पुनः पारित" विधेयकों को रोकने के लिये "विवेकाधिकार" प्रदान नहीं करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अनुच्छेद 200 का पहला प्रावधान कहता है: "यदि विधेयक सदन या सदनों द्वारा संशोधन के साथ या बिना संशोधन के फिर से पारित किया जाता है और राज्यपाल की सहमति के लिये प्रस्तुत किया जाता है, तो राज्यपाल उस पर अपनी सहमति नहीं रोकेगा"।
  • न्यायालय ने राज्य की इस दलील को भी स्वीकार कर लिया कि राज्यपाल ने सहमति रोक दी है और एक बार विधेयकों को वापस भेज दिया है, इसलिये वे  पुनः पारित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी देखा गया कि विधेयक को रोकने का अर्थ इसे पुनर्विचार के लिये विधानमंडल में वापस भेजना भी है क्योंकि विधेयकों को सदन में वापस लौटाना सहमति वापस लेने का एक आवश्यक परिणाम था।

और पढ़ें… अनुच्छेद 356, राजमन्नार समिति

इज़रायल ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया

26/11 मुंबई हमले की 15वीं वर्षगाँठ से पूर्व इज़रायल ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को आतंकवादी संगठन घोषित किया, यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध का समर्थन करने के इज़रायल के प्रयासों के अनुरूप है।

  • यह घोषणा गाज़ा पट्टी में इज़रायल के चल रहे सैन्य अभियान की पृष्ठभूमि में की गई थी, जो हमास द्वारा इज़रायली ठिकानों पर हमले के ठीक बाद शुरू किया गया था।
  • इज़रायल ने यह कार्रवाई इसके द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग के बाद की।
  • UNSC या अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संगठनों की पहचान करने की भारत की प्रथा के समान, इज़रायल आमतौर पर उन आतंकवादी संगठनों को सूचीबद्ध करता है जो उसकी सीमाओं के भीतर अथवा आसपास उसके खिलाफ कार्य करते हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान उन देशों तथा समूहों में से हैं जिन्होंने हमास को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

और पढ़ें…वर्ष 1967 का छह दिवसीय युद्ध, UNSC 1267 समिति

केरल की कोलकली कला

कोलकली, केरल के मालाबार क्षेत्र की एक लोककला, सेंट थॉमस (यीशु मसीह के शिष्यों में से एक) के भारत आगमन की स्मृति में प्रदर्शित की जा रही है, जो 52 ईस्वी में केरल तट पर मुज़िरिस (क्रैंगानोर) में उतरे थे।

  • लगभग 200 वर्षों के इतिहास के साथ, कोलकली कला के बारे में कहा जाता है कि इसमें कलारीपयट्टू के तत्त्व शामिल हैं, जो केरल और तमिलनाडु में प्रचलित एक मार्शल आर्ट है।
  • इसमें प्रत्येक कलाकार छोटी-छोटी छड़ियों को घुमाते हुए विशेष कदमों के साथ लय बनाए रखते हुए एक घेरे में चलते हैं।
  • जैसे-जैसे संगीत का तारत्व/पिच बढ़ता है, प्रदर्शन के चरमोत्कर्ष तक पहुँचने तक गति बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है, घेरा फैलता और कम होता जाता है।
  • कोलकली द्रविड़ों के बीच व्यापक है। इसने बंगाल, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र के लोकनृत्य रूपों पर बहुत प्रभाव डाला है। तमिलनाडु में इस कला रूप को कोलाट्टम और आंध्र प्रदेश में कोलामू के नाम से जाना जाता है।

और पढ़ें… भारत में मार्शल आर्ट के रूप 

ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म: SATHEE

शिक्षा मंत्रालय (MoE) और IIT-कानपुर ने भारत में प्रवेश परीक्षा की तैयारी में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक अभिनव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म SATHEE लॉन्च किया है।

  • यह सहयोगात्मक पहल निशुल्क, सुलभ कोचिंग की पेशकश करके पारंपरिक कोचिंग केंद्रों के ढाँचे को तोड़ती है और सभी पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के लिये समान अवसर प्रदान करती है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, SATHEE सीखने के अनुभवों को निजीकृत करने के लिये AI का लाभ उठाता है और 45-दिवसीय व्यापक क्रैश कोर्स प्रदान करता है, जो छात्रों को JEE तथा NEET जैसी परीक्षाओं के लिये तैयार करता है।

और पढ़ें… राष्ट्रीय शिक्षा नीति

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