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UNSC 1267 समिति

  • 21 Oct 2022
  • 4 min read

हाल ही में चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अलकायदा और ISIS से संबद्ध आतंकवादियों की 1267 सूची में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के शीर्ष नेताओं को नामित करने के लिये भारत-अमेरिका के दो संयुक्त प्रस्तावों पर रोक लगा दी है।

UNSC 1267 समिति:

  • सर्वप्रथम 1999 में इसकी स्थापना की गई थी (2011 एवं 2015 में इसे अपडेट किया गया) तथा सितंबर 2001 के हमलों के बाद इसे और सुदृढ़ किया गया।
  • इसे अब दा’एश और अलकायदा प्रतिबंध समिति के रूप में जाना जाता है।
  • इसके अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सभी स्थायी और गैर-स्थायी सदस्य शामिल हैं।
  • आतंकवादियों की 1267 सूची एक वैश्विक सूची है, जिस पर UNSC की मुहर होती है। इस सूची में अधिकांशतः पाकिस्तानी नागरिक और निवासी हैं।
  • यह समिति आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों पर काम कर रहे सबसे महत्त्वपूर्ण और सक्रिय संयुक्त राष्ट्र सहायक निकायों में से एक है, विशेष रूप से अलकायदा और इस्लामिक स्टेट समूह के संबंध में।
  • इसका उद्देश्य आतंकवादियों की आवाजाही को सीमित करने हेतु संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर चर्चा करना है, साथ ही इसके अंतर्गत विशेष रूप से यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति की जब्ती और आतंकवाद के लिये हथियारों पर प्रतिबंध आदि भी शामिल हैं।

सूची निर्माण की प्रक्रिया:

  • कोई भी सदस्य राज्य किसी व्यक्ति, समूह या संस्था को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है।
  • प्रस्तावित व्यक्ति, समूह या संस्था का संबंध ISIL (दा’एश), अलकायदा, संबद्ध अन्य इकाई से होने अथवा उसने इस प्रकार की गतिविधियों से जुड़े अन्य समूह के वित्तपोषण, योजना निर्माण या अन्य किसी प्रकार की सुविधा प्रदान की हो।
  • लिस्टिंग और डी-लिस्टिंग पर निर्णय आम सहमति से लिये जाते हैं। प्रस्ताव सभी सदस्यों को भेजा जाता है और यदि कोई सदस्य पाँच कार्य दिवसों के भीतर आपत्ति नहीं करता है, तो प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है।
  • "आपत्ति" का अर्थ है प्रस्ताव पर रोक।
  • समिति का कोई भी सदस्य प्रस्ताव पर "तकनीकी रोक" लगा सकता है और प्रस्ताव पर सदस्य राज्य से अधिक जानकारी मांग सकता है। इस दौरान अन्य सदस्य भी अपने अधिकार का दावा कर सकते हैं।
  • यह मामला समिति की "लंबित" सूची में तब तक बना रहता है जब तक कि सदस्य राज्य जिसने रोक लगाई है, अपने निर्णय को "आपत्ति" में बदलने का निर्णय नहीं लेता है, या जब तक कि वे सभी पार्टियाँ जो लंबित रखी हैं निर्धारित समय सीमा के भीतर निलबंन हटा नहीं देते हैं।
  • लंबित मुद्दों को छह महीने में हल किया जाना चाहिये, लेकिन जिस सदस्य राज्य ने रोक लगाई है वह अतिरिक्त तीन महीने की मांग कर सकता है। इस अवधि के अंत में यदि आपत्ति नहीं की जाती है, तो मामले को स्वीकृत माना जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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