Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 फरवरी, 2023 | 22 Feb 2023
अवसर की घोषणा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने वैज्ञानिकों और शोधकर्त्ताओं को समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन, एस्ट्रोसैट से डेटा का विश्लेषण करने की अनुमति देने हेतु अवसर की घोषणा (Announcement of Opportunity-AO) की है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एस्ट्रोसैट से 13वें AO चक्र प्रेक्षणों हेतु AO अनुरोध प्रस्ताव तैयार किया है। 13वें AO चक्र हेतु यह AO अनुरोध प्रस्ताव भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावकों के लिये है कि वे एस्ट्रोसैट वेधशाला समय को प्रधान अन्वेषक (Principal Investigators- PI) के रूप में उपयोग करें। अवलोकन अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच किये जाएंगे। यह घोषणा भारत में संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में रहने वाले तथा काम करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं हेतु 55% अवलोकन समय तथा दुनिया भर में अंतरिक्ष एजेंसियों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में काम करने वाले गैर-भारतीय वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं, अनिवासी भारतीयों (NRI) हेतु 20% अवलोकन समय के लिये खुली है। एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे तथा यूवी वर्णक्रमीय बैंड में खगोलीय स्रोतों का एक साथ अध्ययन करना है, जो इसरो द्वारा संचालित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला प्रदान करता है। एस्ट्रोसैट को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था, इसने सितंबर 2022 में अपनी कक्षा में सात वर्ष पूरे किये हैं।
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कोर्ट रूम कार्यवाही का लाइव प्रतिलेखन
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर न्यायालयी कार्यवाही को लाइव करने की अपनी तरह की पहली परियोजना शुरू की। इसके लिये सर्वोच्च न्यायालय प्रतिलेखन Teres का उपयोग कर रहा है, यह अक्सर सहायक सत्रों के प्रतिलेखन के लिये एक मंच के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रतिलेख को प्रत्येक शाम को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा और उन वकीलों के साथ साझा किया जाएगा जिन्होंने सत्यापन के लिये मामलों पर चर्चा की थी। यह संविधान बेंच से पहले अपनी कार्यवाही को लाइव करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में दूसरा बड़ा निर्णय है। सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्टे ऑर्डर, जमानत आदेश और अन्य आदेशों को एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित लोगों तक प्रेषित करने के लिये वर्ष 2022 में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने डिजिटल प्लेटफॉर्म FASTER ((इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का तेज़ी से और सुरक्षित ट्रांसमिशन)) लॉन्च किया। सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनी अनुसंधान के साथ-साथ न्यायाधीशों की सहायता करने के उद्देश्य से न्यायिक प्रणाली में AI आधारित पोर्टल 'SUPACE' जैसी प्रौद्योगिकी से जुड़े अन्य कार्यक्रमों को भी लॉन्च किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायालय के प्रतिलेख याचिकाकर्त्ताओं और जनता के लिये उपलब्ध हैं। अमेरिका का न्यायालय कार्यवाही का ऑडियो और टेक्स्ट-स्वरूप प्रतिलेख प्रदान करता है। यूनाइटेड किंगडम में सुनवाई की रिकॉर्डिंग हेतु कोई याचिकाकर्त्ता कुछ शुल्क का भुगतान कर उस न्यायालयी कार्यवाही के प्रतिलेख हेतु अनुरोध कर सकता है।
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विश्व सामाजिक न्याय दिवस
प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को विश्व भर में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में घोषणा की कि प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। वर्ष 2008 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने समान वैश्वीकरण हेतु सामाजिक न्याय पर ILO घोषणा का समर्थन किया। वर्ष 1919 के ILO के संविधान के बाद से यह ILO के सिद्धांतों एवं नीतियों के अंतर्गत तीसरी बड़ी घोषणा है। यह दिवस सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है तथा लिंग, आयु, जाति, नस्ल, धर्म, संस्कृति या विकलांगता के आधार पर बाधाओं को दूर करता है। कई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय इस विशेष दिन पर कई गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, ताकि विश्व भर में लोग सामाजिक न्याय के मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता को समझ सकें। इस वर्ष की थीम वैश्विक एकजुटता को मज़बूत करने तथा "बाधाओं पर नियंत्रण पाने एवं सामाजिक न्याय के अवसरों को उज़ागर करने" हेतु सरकार के प्रति विश्वास का पुनर्निर्माण करने हेतु तैयार किये गए सामान्य एजेंडे में उपलब्ध सिफारिशों पर केंद्रित है।
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"जहाँ न्याय से इनकार किया जाता है, जहाँ गरीबी थोपी जाती है, जहाँ अज्ञानता प्रबल होती है और जहाँ किसी एक वर्ग को यह महसूस कराया जाता है कि समाज उन्हें दबाने, लूटने तथा नीचा दिखाने के लिये एक संगठित साजिश है, वहाँ न तो व्यक्ति और न ही संपत्ति सुरक्षित होगी।” -फ्रेडरिक डगलस
अनुभूति समावेशी पार्क
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने महाराष्ट्र के नागपुर में विश्व के सबसे बड़े और अनोखे दिव्यांग पार्क - अनुभूति समावेशी पार्क की आधारशिला रखी। यह विश्व का पहला समावेशी दिव्यांग पार्क है जिसका निर्माण सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किया गया है। दिव्यांगों के साथ-साथ आम जनता और वरिष्ठ नागरिकों के लिये विभिन्न परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है। पार्क में सभी 21 प्रकार की दिव्यांगताओं हेतु अनुकूलित सुविधाएँ होंगी, इसमें टच एंड स्मेल गार्डन, हाइड्रोथेरेपी यूनिट, वाटर थेरेपी तथा मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों एवं माताओं के लिये स्वतंत्र कक्ष जैसी सुविधाएँ होंगी। वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिये दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम को पारित किया। यह कानून दिव्यांगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान करता है। केंद्र सरकार ने इस पहल के तहत दक्षिण भारत और मध्य प्रदेश में भी कुछ दिव्यांग पार्क बनाए हैं।
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