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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 जनवरी, 2024

  • 17 Jan 2024
  • 5 min read

ट्यूबलेस पहेली

  • ट्यूबलेस टायर वे टायर होते हैं जिनमें भीतरी ट्यूब नहीं होती तथा वायु टायर के भीतर ही रुक जाती है। ट्यूबलेस टायर ट्यूब वाले टायर जैसा प्रतीत होता है।
  • पारंपरिक ट्यूब वाले टायरों की तुलना में ट्यूबलेस टायरों के विभिन्न लाभ हैं जिनमें सुरक्षित हैंडलिंग, कम डाउनटाइम तथा अधिक आरामदायक गति शामिल हैं।
  • रिम्स में जंग लगना तथा मरम्मत के लिये विशेष उपकरणों की आवश्यकता के कारण ये भारत में इनकी लोकप्रियता नहीं हैं।
    • रिम्स में जंग लगने से वायु का रिसाव होता है तथा ट्यूबलेस टायरों की सीलिंग कम हो जाती है। ट्यूबलेस टायरों को फिट करने तथा हटाने के लिये विशेष उपकरण और दाब की आवश्यकता होती है जो सड़क किनारे स्थित दुकानों में उपलब्ध नहीं होते हैं।

कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आक्रामक प्रजातियाँ और खाद्य संकट

  • आक्रामक प्रजाति एक गैर-स्थानीय प्रजाति को संदर्भित करती है, जो जब एक नए वातावरण में पेश की जाती है, तो आक्रामक विकास प्रदर्शित करती है और तेज़ी से फैलती है तथा प्रायः मूल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती है।
  • लैंटाना, प्रोसोपिस और क्रोमोलाएना जैसे आक्रामक पौधों ने शाकाहारी जीवों के लिये भोजन तथा आवास की उपलब्धता को कम कर दिया है, जो बदले में कर्नाटक के पश्चिमी घाट में उन पर निर्भर मांसाहारी जीव-जंतुओं को प्रभावित करता है।
  • आक्रामक पौधे मूल वनस्पतियों के अस्तित्व को समाप्त कर सकते हैं और उन्हें विस्थापित कर सकते हैं, पारिस्थितिक संतुलन एवं जीव-जंतुओं की संचरण तथा प्रवासन को बाधित कर सकते हैं।
  • नागरहोल, अंशी राष्ट्रीय उद्यान, कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान और भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य सहित कई वर्षावन परिसर आक्रामक प्रजातियों से पीड़ित हैं।

और पढ़ें: आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ

तिरुवल्लुवर दिवस

साहित्य में तमिल संत तिरुवल्लुवर के योगदान को याद करने के लिये पोंगल के हिस्से के रूप में 16 जनवरी को तिरुवल्लुवर दिवस मनाया जाता था।

  • माना जाता है कि संत तिरुवल्लुवर, जिन्हें वल्लुवर के नाम से भी जाना जाता है, मायलापुर (अब चेन्नई, तमिलनाडु का हिस्सा) में रहते थे। कहा जाता है कि वह पेशे से बुनकर और धर्म से जैन थे।
  • उन्हें नैतिकता पर दोहों के संग्रह तिरुक्कुरल के लेखक के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि वह पेशे से बुनकर और धर्म से जैन थे।

और पढ़ें: तिरुवल्लुवर

रोडोडेंड्रोन (Rhododendron) 

रोडोडेंड्रन, वृहत् काष्ठ पौधों की एक बड़ी प्रजाति है जिसमें लगभग 1,000 प्रजातियाँ शामिल हैं। इन पौधों की विशेषता उनके आकर्षक फूल हैं जो विभिन्न रंगों, जैसे- सफेद, गुलाबी, लाल, नारंगी और बैंगनी में खिलते हैं।

  • भारतीय हिमालय क्षेत्र में रोडोडेंड्रन की कुल 87 प्रजातियाँ, 12 उप-प्रजातियाँ और 8 किस्में दर्ज की गई हैं।
  • रोडोडेंड्रन आर्बोरियम (Rhododendron arboreum) नगालैंड का राजकीय पुष्प है। राज्य में पारंपरिक मान्यता यह है कि रोडोडेंड्रन की पंखुड़ियाँ खाने से किसी के गले में फँसी मछली की हड्डियाँ निकालने में मदद मिलती है।
    • हालाँकि वृहत् स्तर पर निर्वनीकरण, प्राकृतिक आवास का विनाश और कीट-प्रजातियों पर आए संकट ने कई प्रजातियों को सुभेद्य स्थिति में ला दिया है।

और पढ़ें: रोडोडेंड्रन

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