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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 मई, 2023

  • 16 May 2023
  • 8 min read

मलेशिया का मादक पदार्थ की कम मात्रा को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव

मलेशिया के गृह मामलों के मंत्री के अनुसार, कम मात्रा में अवैध नशीले पदार्थों के कब्ज़े और उपयोग को कम करने हेतु विधेयक पेश करके आपराधिक न्याय सुधार की दिशा में पहल कर रहा है। प्रस्तावित कानून के तहत कम मात्रा में अवैध पदार्थों के साथ पकड़े जाने वाले व्यक्तियों को अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ेगा बल्कि उन्हें इलाज हेतु मादक पदार्थ पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य जेल में भीड़-भाड़ को कम करना और सरकार द्वारा हाल ही में लागू किये गए सुधारों का पालन करना है। इन सुधारों में अनिवार्य मृत्युदंड एवं अजीवन कारावास की शर्तों को समाप्त करने के साथ-साथ आत्महत्या की घटनाओं को कम करना है। वर्तमान में मलेशिया में अपने कई दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसियों की तरह नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों हेतु गंभीर दंड का प्रावधान है, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी के लिये मृत्युदंड भी शामिल है। हालाँकि हाल के सुधार न्यायाधीशों को यह निर्णय लेने का अधिकार देते हैं कि यह सज़ा दी जाए या नहीं। मलेशिया को अवैध नशीले पदार्थों हेतु महत्त्वपूर्ण पारगमन केंद्र के रूप में जाना जाता है और यहाँ वर्ष 2022 में पुलिस ने लगभग 29,000 व्यक्तियों को विभिन्न नशीली दवाओं के अपराध में गिरफ्तार किया, जिनमें से अधिकांश व्यसनी थे।

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घड़ियाल

तीन दशक के बाद मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले अद्वितीय मगरमच्छ प्रजाति- घड़ियाल को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में देखा गया है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ये घड़ियाल बाढ़ के दौरान भारत से आए होंगे और सीमा के पास सतलुज नदी में रहे होंगे जिसमें कुल 10 घड़ियाल होने की संभावना है। ब्यास और सतलुज नदियाँ सीमा से 50 किलोमीटर दूर हरिके आर्द्रभूमि में मिलती हैं तथा वर्ष 2017 एवं 2021 के बीच पंजाब सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक संरक्षण कार्यक्रम के तहत 94 घड़ियालों को वहाँ छोड़ा गया था। घड़ियाल भारत के उत्तरी भाग के ताज़े जल में मुख्य रूप से चंबल नदी में पाए जाने वाले मगरमच्छ की एक प्रजाति है। वे अपने लंबे, पतले थूथन के लिये जाने जाते हैं। घड़ियालों को IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और CITES के परिशिष्ट I एवं वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है। वे स्वच्छ नदी जल के महत्त्वपूर्ण संकेतक भी हैं। नदी प्रदूषण, बाँध निर्माण, मछली पकड़ने का कार्य, बाढ़, अवैध रेत खनन और अवैध शिकार उनके अस्तित्त्व के लिये मुख्य खतरे हैं। इन प्रजातियों तथा उनके आवासों की रक्षा के लिये लखनऊ में कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र एवं राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य जैसे संरक्षण प्रयास किये जा रहे हैं।

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो का निदेशक  

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के आदेश के अनुसार, कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रवीण सूद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति आदेश में दो साल का कार्यकाल निर्दिष्ट किया गया है। CBI के निदेशक को दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 के तहत नियुक्त किया जाता है। निदेशक संगठन के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार होता है और दो साल के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया जाता है, जैसा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में प्रावधान है। निदेशक की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है इस समिति में केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा में विपक्ष का नेता और भारत का मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश शामिल होते हैं। वर्ष 2014 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम ने लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल करने के लिये समिति की संरचना को संशोधित किया, इससे पहले  विपक्ष का कोई नेता इसमें शामिल नहीं था।

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आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन 

हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 171(E) और 171(F) के संबंध में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन देखा गया। ये खंड क्रमशः "रिश्वतखोरी" और "चुनाव में अनुचित प्रभाव" से संबंधित हैं। इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर उम्मीदवार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है। धारा 171(E) रिश्वतखोरी के लिये सज़ा से संबंधित है, जो इस तरह के कार्यों की गंभीरता को उजागर करती है। एक चुनाव में रिश्वतखोरी निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों को कमज़ोर करती है, क्योंकि यह गैरकानूनी तरीकों से परिणाम को प्रभावित करती है। इसके अतिरिक्त धारा 171(F) एक चुनाव में अनुचित प्रभाव प्रदर्शन का निपटान करती है। यह प्रावधान मतदाताओं को अवैध रूप से प्रभावित करने या उनके मतदान के निर्णय को प्रभावित करने के इरादे से किसी अन्य व्यक्ति को प्रतिरूपित करने के किसी भी प्रयास को प्रतिबंधित करता है। इस प्रकार के उल्लंघन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमज़ोर करते हैं और चुनावी प्रणाली में जनता के विश्वास को खत्म करते हैं। चुनाव की शुचिता सुनिश्चित करने के लिये आदर्श आचार संहिता के संयोजन में इन धाराओं का प्रवर्तन महत्त्वपूर्ण है। वे अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ निवारक के रूप में काम करते हैं और सभी उम्मीदवारों के लिये एक समान स्थिति बनाए रखने का प्रयास करते हैं। निर्वाचन आयोग के लिये यह अनिवार्य है कि वह उल्लंघन के आरोपों जाँच कर कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करे। उम्मीदवारों की अयोग्यता सहित मामले में समय पर पारदर्शी कार्रवाई करे, जो भविष्य में इस तरह के कदाचार को हतोत्साहित करने के लिये एक मज़बूत संदेश के रूप में काम करेगी।

और पढ़ें…आदर्श आचार संहिता, भारत निर्वाचन आयोग

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