जैव विविधता और पर्यावरण
सतलुज नदी प्रदूषण
- 30 Jul 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लियेनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, सतलुज नदी, लुहरी स्टेज-I जलविद्युत परियोजना मेन्स के लियेसतलुज नदी के जल प्रदूषण का स्रोत |
चर्चा में क्यों?
सतलुज नदी में प्रदूषण ने इंदिरा गांधी नहर के आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पंजाब सरकार और राजस्थान सरकार को सतलुज एवं ब्यास नदी में प्रवाहित प्रदूषित जल को रोकने के लिये की गई सुधारात्मक कार्रवाई के बारे में जल शक्ति मंत्रालय को तिमाही अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
सतलुज नदी के जल प्रदूषण का स्रोत:
- ‘बुड्ढा नाला’ को प्रदूषित करने वाले तीन प्रमुख स्रोत: बुद्ध नाला (एक सहायक नदी) सतलुज नदी में प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
- लुधियाना शहर के ‘सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’ (STP) से अनुपचारित सीवेज कचरा।
- रंगाई इकाइयों और आउटलेट से अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट जिसे प्रत्यक्ष रूप से नदी में छोड़ा जाता है।
- इलेक्ट्रोप्लेटिंग, होजरी, स्टील रोलिंग मिल जैसे छोटे पैमाने के उद्योग भी मुख्य रूप से नाले में अपशिष्ट जल की वृद्धि में योगदान करते हैं।
- हाई बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD): बुद्ध नाला एक दिन में लगभग 16,672 किलोग्राम ‘बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड’ नदी में प्रवाहित करता है और ‘ईस्ट बीन’ (पंजाब में दोआबा में एक नाला) एक दिन में 20,900 किलोग्राम ‘बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड’ नदी में प्रवाहित करता है।
- जितना अधिक कार्बनिक पदार्थ होता है (उदाहरण के लिये सीवेज और पानी के प्रदूषित निकायों में) उतना ही अधिक BOD होता है और BOD जितना अधिक होगा, मछलियों के लिये उपलब्ध घुलित ऑक्सीजन की मात्रा उतनी ही कम होती है।
- चमड़ा उद्योग: जालंधर ज़िले में एक और मौसमी नाला ‘चित्तीबेन’ तथा इसका उप-नाला, काला संघियन नाला, सतलुज नदी में उच्च प्रदूषण के लिये समान रूप से ज़िम्मेदार हैं।
- जालंधर के चमड़ा उद्योग से अनुपचारित अपशिष्ट, चित्तीबेन के प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है।
प्रदूषकों के घटक:
- सतलुज नदी में बुद्ध नाला/जलधारा (Buddha Nullah) के मिलने के बाद इसमें क्रोमियम और आर्सेनिक के अवशेष मिले हैं।
- बुद्ध नाला, चित्तीबेनऔर कला संघियन जैसे नालों में तथा उनके आसपास भूजल एवं सतही जल में पारा, सीसा, क्रोमियम, कैडमियम तथा सेलेनियम की मात्रा स्वीकार्य सीमा (MLP) से अधिक पाई जाती है।
- परीक्षण के बाद चारा, सब्जी, दूध, मूत्र और रक्त के नमूनों में भारी धातुओं एवं कीटनाशकों की मात्रा का पता चला है।
इंदिरा गांधी नहर पर प्रभाव:
- इंदिरा गांधी नहर देश की सबसे लंबी नहर है।
- यह पंजाब में सतलुज और ब्यास नदियों के संगम से कुछ किलोमीटर नीचे हरिके बैराज से निकलती है जो लुधियाना से होकर बहती है और उत्तर पश्चिमी राजस्थान में थार रेगिस्तान में समाप्त होती है।
- यह नहर उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में पीने और सिंचाई का मुख्य स्रोत है।
- यह राज्य के आठ ज़िलों के 7,500 गांँवों में रहने वाले 1.75 करोड़ लोगों को पानी उपलब्ध कराती है।
- इंदिरा गांधी नहर में प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण पानी पूर्ण रूप से काला हो गया है।
- प्रदूषण के कारण लोगों में त्वचा रोग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, पाचन की समस्या और आंँखों की रोशनी कम होने जैसी कई स्वास्थ्य जटिलताएंँ पैदा हो गई हैं।
सतलुज नदी
- सतलुज नदी को ‘सतद्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंधु नदी की सबसे पूर्वी सहायक नदी है।
- सतलुज नदी उन पाँच नदियों में से सबसे लंबी है जो उत्तरी भारत एवं पाकिस्तान के पंजाब के ऐतिहासिक क्षेत्र से होकर बहती हैं।
- झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज सिंधु की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
- इसका उद्गम सिंधु नदी के स्रोत के 80 किमी. दूर पश्चिमी तिब्बत में मानसरोवर झील के समीप राकसताल झील से होता है।
- सिंधु की तरह यह तिब्बत-हिमाचल प्रदेश सीमा पर शिपकी-ला दर्रे तक एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग को अपनाती है। यह शिवालिक शृंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है।
- पंजाब के मैदान में प्रवेश करने से पहले यह ‘नैना देवी धार’ में एक गाॅर्ज का निर्माण करती है जहाँ प्रसिद्ध भाखड़ा बाँध का निर्माण किया गया है।
- अपनी आगे की यात्रा के दौरान यह रावी, चिनाब और झेलम नदियों के साथ सामूहिक जलधारा के रूप में मिठानकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी में मिल जाती है।
- सिंधु की तरह यह तिब्बत-हिमाचल प्रदेश सीमा पर शिपकी-ला दर्रे तक एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग को अपनाती है। यह शिवालिक शृंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है।
- लुहरी स्टेज-I जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू ज़िलों में सतलुज नदी पर स्थित है।