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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जून, 2023

  • 16 Jun 2023
  • 8 min read

जूली लद्दाख (हैलो लद्दाख) 

नौसेना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लद्दाख में युवाओं एवं नागरिक समाज के साथ संबंध मज़बूत बनाने हेतु भारतीय नौसेना ने आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से "जूली लद्दाख" (हैलो लद्दाख) की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य पूर्वोत्तर और तटीय राज्यों में नौसेना के सफल प्रयासों से अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करना है। सबसे पहले, यह "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मनाने का प्रयास करता है। दूसरा, इसका उद्देश्य लद्दाख के छात्रों में अग्निपथ योजना सहित भारतीय नौसेना में कैरियर के अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम का प्रयास युवाओं को भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिये प्रेरित करना तथा महिला अधिकारियों और उनके जीवनसाथी को शामिल करके नारी शक्ति का प्रदर्शन करना है।

और पढ़ें…  अग्निपथ योजना

U.S. और पापुआ न्यू गिनी सुरक्षा समझौता 

प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका ने पापुआ न्यू गिनी के साथ एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौता किया है। यह समझौता अमेरिकी सेना को पापुआ न्यू गिनी में ठिकानों को विकसित एवं संचालित करने की अनुमति देता है, रणनीतिक बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पहुँच प्रदान करता है, जिसमें मानुस द्वीप पर लोम्ब्रम नौसेना बेस तथा पोर्ट मोरेस्बी में सुविधाएँ शामिल हैं। लोम्ब्रम नौसेना बेस का द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विभिन्न देशों के लिये छावनी के रूप में ऐतिहासिक महत्त्व है तथा गहरे जल की बंदरगाह क्षमताएँ प्रदान करता है। अमेरिका द्वारा इस बेस को सुरक्षित करने का उद्देश्य क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को पछाड़ना और प्रशांत क्षेत्र में अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करना है। सुरक्षा समझौते को पापुआ न्यू गिनी के भीतर समर्थन एवं आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा है। पापुआ न्यू गिनी की स्वायत्तता के लिये संभावित समझौतों तथा राष्ट्र द्वारा निर्धारित किये जाने वाले लक्ष्य के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। जैसा कि देश स्वयं को वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक राजनयिक रस्साकशी के केंद्र में पाता है, इसके समृद्ध प्राकृतिक संसाधन तथा रणनीतिक स्थान इसे दोनों शक्तियों के लिये एक मूल्यवान संपत्ति बनाते हैं। यह समझौता दक्षिण प्रशांत में चीन के सैन्य ठिकानों का मुकाबला करने हेतु वाशिंगटन की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, विशेष रूप से ताइवान की रक्षा के संबंध में।

और पढ़ें…….. प्रशांत द्वीपीय देशों में चीन का विस्तार

जैव उत्तेजक 

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार जैव उत्तेजक के पंजीकरण के लिये मसौदा दिशा-निर्देश जारी करती है। किसी भी जैव उत्तेजक का निर्माण या आयात करने वाले व्यक्ति के लिये यह अनिवार्य है कि वह ऐसे जैव उत्तेजक को उर्वरक (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) नियंत्रण संशोधन आदेश 2021 की अनुसूची VI के तहत सूचीबद्ध करे, जिसे FCO संशोधन आदेश भी कहा जाता है। जैव उत्तेजक पदार्थ, सूक्ष्मजीव या उनके संयोजन हैं जो पौधों में शारीरिक प्रक्रियाओं को बढ़ाते हैं, जिससे पोषक तत्त्वों की वृद्धि, उपज, पोषण दक्षता, फसल की गुणवत्ता और तनाव सहनशीलता में सुधार होता है। वे सीधे पोषक तत्त्व प्रदान किये बिना पौधों की प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं। जैव उत्तेजक कीटनाशकों या पौधों के विकास नियामकों से भिन्न होते हैं जो कीटनाशक अधिनियम, 1968 के अंतर्गत आते हैं। जैव उत्तेजक के कुछ उदाहरणों में पौधों के हार्मोन, विटामिन, एंज़ाइम, ह्यूमिक अम्ल, शर्करा, मछली का पायस, प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट, समुद्री शैवाल, पौधों के अर्क, चिटोसन और अन्य बायोपॉलिमर, अकार्बनिक यौगिक तथा लाभकारी रोगाणु शामिल हैं। जैव उत्तेजक और उर्वरकों के बीच मुख्य अंतर उपयोग तथा क्रिया तंत्र का है एवं तथ्य यह है कि जीवित सूक्ष्म जीव जैव उत्तेजक में शामिल हैं। जबकि जैव उत्तेजक पौधों की संवृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं। उर्वरकों का उपयोग मुख्य रूप से मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्त्वों से संपृक्त करने के लिये किया जाता है, जो पादप संवर्द्धन हेतु आवश्यक होते हैं।

शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस पर फाॅस्फोरस 

वैज्ञानिकों ने शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस पर जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण तत्त्व फॉस्फोरस की खोज की है। विगत अध्ययनों में एन्सेलेडस पर बर्फ के कणों में खनिज और कार्बनिक यौगिक पाए गए थे, लेकिन अभी तक वैज्ञानिकों को फॉस्फोरस की जानकारी नहीं थी। यह खोज नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान द्वारा वर्ष 2004 से वर्ष 2017 तक विशाल ग्रह, उसके छल्लों तथा उसके चंद्रमाओं की 13 वर्ष की खोज के दौरान एकत्रित आँकड़ों की समीक्षा पर आधारित थी। फॉस्फोरस DNA और RNA संरचना की एक मूलभूत इकाई है, जो पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों में विद्यमान कोशिकीय झिल्लियों एवं ऊर्जा-वाहक अणुओं का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह नई खोज एन्सेलेडस को पृथ्वी से परे सौरमंडल में केवल रोगाणुओं के रहने योग्य स्थान के रूप में एक संभावित विकल्प बनाता है। विगत 25 वर्षों में वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में बर्फ की सतही परत के नीचे महासागरों के साथ रहने योग्य स्थानों की खोज की है, जिसमें बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा, शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन भी शामिल है।

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