शासन व्यवस्था
अग्निपथ योजना और प्रॉमिसरी एस्टोपेल का सिद्धांत
- 15 Apr 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, अग्निपथ योजना, प्रॉमिसरी एस्टोपेल का सिद्धांत मेन्स के लिये:प्रॉमिसरी एस्टोपेल के सिद्धांत पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिये अग्निपथ योजना को बरकरार रखने का फैसला लिया, दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले को कुछ याचिकाओं के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसे खारिज़ कर दिया गया है।
- अग्निपथ योजना की घोषणा के साथ ही थलसेना और वायु सेना के लिये पहले की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया जिस कारण शॉर्टलिस्ट किये गए उम्मीदवारों की याचिकाओं से संबंधित प्रॉमिसरी एस्टोपेल के सिद्धांत पर सर्वोच्च न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किया गया था।
प्रॉमिसरी एस्टोपेल का सिद्धांत:
- परिचय:
- प्रॉमिसरी एस्टॉपेल संविदात्मक कानूनों के रूप में विकसित एक अवधारणा है। इसके तहत एक "वचनकर्त्ता/प्रॉमिसरी" विचार करने योग्य नहीं होने के आधार पर किसी समझौते से पीछे हट सकता है।
- इस सिद्धांत का उपयोग न्यायालय में किसी वादी द्वारा अनुबंध के निष्पादन को सुनिश्चित करने अथवा अनुबंध के गैर-निष्पादन की स्थिति में मुआवज़ा प्राप्त करने के लिये प्रतिवादी के खिलाफ किया जाता है।
- संबंधित मामले:
- छगनलाल केशवलाल मेहता बनाम पटेल नरेंद्रदास हरिभाई (1981) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धांत को लागू किये जाने संबंधी एक चेकलिस्ट सूचीबद्ध की।
- वचनबद्धता में स्पष्टता होनी चाहिये।
- वादी ने उस वचन पर यथोचित रूप से भरोसा करते हुए काम किया हो।
- वादी को नुकसान हुआ हो।
- छगनलाल केशवलाल मेहता बनाम पटेल नरेंद्रदास हरिभाई (1981) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धांत को लागू किये जाने संबंधी एक चेकलिस्ट सूचीबद्ध की।
- अग्निपथ याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय का वर्तमान रुख:
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, "प्रॉमिसरी एस्टोपेल हमेशा व्यापक जनहित के अधीन होता है"।
- इसके अतिरिक्त यह कहा गया है कि "यह एक सार्वजनिक रोज़गार है, न कि एक अनुबंध मामला जहाँ सार्वजनिक कानून में वचनबद्धता लागू की गई थी" और "इस सिद्धांत को लागू करने का सवाल इस मामले में नहीं उठेगा।"
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, "प्रॉमिसरी एस्टोपेल हमेशा व्यापक जनहित के अधीन होता है"।
अग्निपथ योजना:
- परिचय:
- यह युवाओं को देशभक्ति के प्रति प्रेरित करने हेतु चार वर्ष की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देता है।
- सेना में शामिल होने वाले युवा अग्निवीर कहलाएंगे।
- नई योजना के तहत वार्षिक तौर पर लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की भर्ती की जाएगी।
- हालाँकि चार वर्ष के बाद बैच के केवल 25% सैनिकों को 15 वर्ष की अवधि हेतु संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाएगा।
- यह युवाओं को देशभक्ति के प्रति प्रेरित करने हेतु चार वर्ष की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देता है।
- उद्देश्य:
- इससे भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु के संदर्भ में लगभग 4 से 5 वर्ष की कमी आने की उम्मीद है।
- इस योजना में कल्पना की गई है कि बलों के लिये औसत आयु वर्तमान में 32 वर्ष है, जो छह से सात वर्ष घटकर 26 हो जाएगी।
- इससे भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु के संदर्भ में लगभग 4 से 5 वर्ष की कमी आने की उम्मीद है।
- पात्रता मापदंड:
- यह केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिये है (वे जो अधिकृत अधिकारियों के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)।
- सेना में सर्वोच्च पद कमीशन अधिकारी का होता है। वे भारतीय सशस्त्र बलों में एक विशेष रैंक रखते हैं। वे अक्सर राष्ट्रपति की संप्रभु शक्ति के अधीन आयोग में कार्य करते हैं, उन्हें आधिकारिक तौर पर देश की रक्षा करने का निर्देश दिया जाता है।
- 17.5 वर्ष से 23 वर्ष के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र होंगे।
- यह केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिये है (वे जो अधिकृत अधिकारियों के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)।
- अग्निवीरों को मिलने वाले लाभ:
- 4 वर्ष की सेवा पूरी होने पर अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपए की 'सेवा निधि' इकमुश्त दी जाएगी, जिसमें उनका अर्जित ब्याज शामिल होगा।
- उन्हें चार वर्ष के लिये 48 लाख रुपए की जीवन बीमा सुरक्षा भी मिलेगी।
- मृत्यु के मामले में 1 करोड़ रुपए से अधिक भुगतान होगा, जिसमें सेवा न की गई अवधि के लिये भुगतान भी शामिल है।
- सरकार चार वर्ष बाद सेवा छोड़ने वाले सैनिकों के पुनर्वास में सहायता करेगी। उन्हें सरकार द्वारा स्किल सर्टिफिकेट और ब्रिज कोर्स मुहैया कराया जाएगा।
- 4 वर्ष की सेवा पूरी होने पर अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपए की 'सेवा निधि' इकमुश्त दी जाएगी, जिसमें उनका अर्जित ब्याज शामिल होगा।