धन्यवाद प्रस्ताव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा का जवाब दिया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रपति का संबोधन:
- संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 87 में राष्ट्रपति के लिये विशेष संबोधन का प्रावधान किया गया है। इसमें ऐसी दो स्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनके तहत राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया जाएगा।
- प्रत्येक आम चुनाव के पहले सत्र एवं वित्तीय वर्ष के पहले सत्र में।
- प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में।
- राष्ट्रपति को सत्र आहूत करने के कारणों के बारे में संसद को सूचित करना होता है।
- इस तरह के संबोधन को 'विशेष संबोधन' कहा जाता है और यह एक वार्षिक विशेषता भी है।
- इस प्रकार राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों को एक साथ संबोधित किये जाने तक अन्य कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
- अनुच्छेद 87 में राष्ट्रपति के लिये विशेष संबोधन का प्रावधान किया गया है। इसमें ऐसी दो स्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनके तहत राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया जाएगा।
- संयुक्त सत्र के बारे में:
- इस संबोधन के लिये संसद के दोनों सदनों को एक साथ इकट्ठा होना आवश्यक है।
- हालाँकि वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में यदि लोकसभा अस्तित्व में नहीं है या इसे भंग कर दिया गया है, तो भी राज्यसभा की बैठक होती है और राज्यसभा राष्ट्रपति के अभिभाषण के बिना भी अपना सत्र आयोजित कर सकती है।
- लोकसभा के प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र के मामले में सदस्यों के शपथ लेने तथा अध्यक्ष के चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करता है।
- राष्ट्रपति के संबोधन का विषय:
- राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की नीति का विवरण होता है, इसलिये अभिभाषण का प्रारूप सरकार द्वारा तैयार किया जाता है।
- यह संबोधन पिछले वर्ष के दौरान सरकार की विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा होती है तथा उन नीतियों, परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों को निर्धारित किया जाता है जिन्हें सरकार महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के संबंध में आगे बढ़ाने की इच्छा रखती है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- धन्यवाद प्रस्ताव द्वारा संबोधन पर चर्चा:
- पृष्ठभूमि:
- राष्ट्रपति का यह संबोधन ‘ब्रिटेन के राजा के भाषण’ के समान होता है, दोनों सदनों में इस पर चर्चा होती है, इसे ही ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ कहा जाता है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान के अनुच्छेद 87 (2) के अनुसार, राष्ट्रपति के अभिभाषण में निर्दिष्ट मामलों पर चर्चा के लिये लोकसभा और राज्यसभा के प्रक्रिया नियमों के तहत प्रावधान किया गया है।
- राज्य सभा के प्रक्रिया तथा कार्य- संचालन विषयक नियमों के नियम 15 के तहत राष्ट्रपति के अभिभाषण में संदर्भित मामलों पर चर्चा एक सदस्य द्वारा प्रस्तुत किये गए धन्यवाद प्रस्ताव- जिस पर एक अन्य सदस्य द्वारा सहमति व्यक्त की जाती है, के साथ शुरू होती है।
- धन्यवाद प्रस्ताव को आगे बढाने तथा इस पर सहमति व्यक्त करने वाले सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है और इस तरह के प्रस्ताव का नोटिस संसदीय कार्य मंत्रालय के माध्यम से प्राप्त होता है।
- प्रक्रिया:
- यह संसद के सदस्यों को चर्चा और वाद-विवाद के मुद्दे उठाने तथा त्रुटियों और कमियों हेतु सरकार एवं प्रशासन की आलोचना करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
- आमतौर पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिये तीन दिन का समय दिया जाता है।
- यदि किसी भी संशोधन को आगे रखा जाता है और उसे स्वीकार किया जाता है, तो संशोधित रूप में धन्यवाद प्रस्ताव को अपनाया जाता है।
- संशोधन, संबोधन में निहित मामलों के साथ-साथ उन मामलों को भी संदर्भित कर सकता है, जो सदस्य की राय में संबोधन का उल्लेख करने में विफल रहा है।
- बहस के बाद प्रस्ताव को मत विभाजन के लिये रखा जाता है।
- पृष्ठभूमि:
- धन्यवाद प्रस्ताव का महत्त्व:
- धन्यवाद प्रस्ताव को सदन में पारित किया जाना चाहिये। अन्यथा यह सरकार की हार के समान है। लोकसभा सरकार के प्रति विश्वास की कमी का प्रस्ताव निम्नलिखित तरीके से ला सकती है:
- धन विधेयक को अस्वीकार कर।
- निंदा प्रस्ताव या स्थगन प्रस्ताव पारित कर।
- आवश्यक मुद्दे पर सरकार को हराकर।
- कटौती प्रस्ताव पारित कर।
- धन्यवाद प्रस्ताव को सदन में पारित किया जाना चाहिये। अन्यथा यह सरकार की हार के समान है। लोकसभा सरकार के प्रति विश्वास की कमी का प्रस्ताव निम्नलिखित तरीके से ला सकती है: