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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 अगस्त, 2023

  • 16 Aug 2023
  • 7 min read

A-HELP कार्यक्रम 

हाल ही में केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ने 'A-HELP' (पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादन के विस्तार के लिये मान्यता प्राप्त एजेंट) कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

  • यह कार्यक्रम आज़ादी का अमृत महोत्सव पहल तथा पशुधन वृद्धि को बढ़ावा देने वाले पशुधन जागृति अभियानराष्ट्रीय गोकुल मिशन के लक्ष्यों का हिस्सा है।
    • पशुधन जागृति अभियान पशुधन स्वास्थ्य, रोग प्रबंधन और पशु बाँझपन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है।
    • राष्ट्रीय गोकुल मिशन स्वदेशी मवेशियों और भैंसों के वैज्ञानिक संरक्षण को बढ़ावा देते हुए उन्नत तकनीकों, उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले साँडों तथा घर-घर कृत्रिम गर्भाधान के उपयोग से गोजातीय उत्पादकता में निरंतर वृद्धि पर केंद्रित है।
  • ‘A-HELP’ कार्यक्रम के तहत पशुओं के रोग नियंत्रण, कृत्रिम गर्भाधान, पशु टैगिंग और पशुधन बीमा के लिये प्रशिक्षित महिला एजेंटों को सूचीबद्ध किया गया है।
  • महिलाओं को सशक्त बनाने और पशुधन में वृद्धि करने के उद्देश्य से 'A-HELP' कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में योगदान करेगा

NIPCCD द्वारा ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन:

राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (National Institute of Public Cooperation and Child Development- NIPCCD) ने राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों के लिये मध्य प्रदेश में "पोषण भी पढ़ाई भी" (Poshan Bhi Padhai Bhi) पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।

  • इस कार्यक्रम के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
    • पहले हज़ार दिनों के दौरान प्रारंभिक प्रोत्साहन को बढ़ावा देना तथा 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखभाल और उनकी शिक्षा (Early Childhood Care and Education- ECCE) की सुविधा प्रदान करना।
    • आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को ECCE पाठ्यक्रम और शैक्षणिक दृष्टिकोण की मूलभूत समझ प्रदान करके उनकी क्षमताओं को बढ़ाना। यह उन्हें ज़मीनी स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले खेल-आधारित ECCE प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
      • आँगनवाड़ी भारत में एक प्रकार का ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र है। इसकी स्थापना समेकित बाल विकास सेवा (Integrated Child Development Services- ICDS) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में की गई थी।
    • आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को विकास के क्षेत्रों (शारीरिक एवं मोटर, संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक-नैतिक, सांस्कृतिक/कलात्मक) तथा मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) के विकास के साथ-साथ संबंधित मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाना। 
    • इसके तहत आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं में पोषण 2.0 (Poshan 2.0) और सक्षम आँगनवाड़ी (Saksham Anganwadi), पोषण (Poshan) में नवाचार, पोषण ट्रैकर (Poshan Tracker), भोजन पद्धतियाँ, सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी आदि की समझ को बेहतर बनाना शामिल है।

और पढ़ें… ‘अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन इन इंडिया’ पर कार्यशाला

मांसपेशियों की ऐंठन 

मांसपेशियों में ऐंठन एक या अधिक मांसपेशियों का अचानक और अनैच्छिक संकुचन है। यह किसी भी मांसपेशी में हो सकता है लेकिन सबसे अधिक पैरों में अनुभव होता है, विशेषकर पिंडली की मांसपेशियों में।

  • यह चयापचय असंतुलन, अत्यधिक ठंड, कम रक्त प्रवाह और मिनरल्स की कमी सहित कई कारणों से हो सकता है।
    • यह प्रतिक्रिया मेरुदंड में संवेदी आवेग भेजती हैं, जिससे रिफ्लेक्सिव मांसपेशी में संकुचन शुरू होता है जो सकारात्मक प्रतिक्रिया लूप के कारण तीव्र हो जाती है।
  • मालिश "पारस्परिक निषेध" का उपयोग करके ऐंठन को कम करती है, जिससे ऐंठन वाली मांसपेशियों में प्रभावी ढंग से खिंचाव होता है।
    • यह प्रक्रिया रक्त परिसंचरण को बढ़ाकर ऐंठन को कम करने में सहायता करती है, जो तंत्रिका में जलन पैदा करने वाले संचित मेटाबोलाइट्स को नष्ट करती है।

नवरोज़

भारतीय पारसी समुदाय 16 अगस्त को नवरोज़ मनाते हैं, यह एक उत्सव है जो फारसी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।

  • नवरोज़, जिसे नौरोज़ या पारसी नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है, विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला त्योहार है जो वसंत के आगमन और प्रकृति के कायाकल्प की शुरुआत करता है।
  • जबकि नवरोज़ विश्व स्तर पर मार्च में मनाया जाता है, भारत पारसियों द्वारा दो कैलेंडरों के पालन के कारण एक अनूठी परंपरा का प्रदर्शन किया जाता है। यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र तथा गुजरात में, जहाँ बड़ी संख्या में पारसी आबादी है, मनाया जाता है।
    • हालाँकि कैलेंडर की जटिलता के कारण नवरोज़ भारत में लगभग 200 दिन बाद विशेष रूप से अगस्त के दौरान मनाया जाता है।
    • भारत में नवरोज़ को फारसी राजा जमशेद के नाम पर जमशेद-ए-नवरोज़ के नाम से भी जाना जाता है।
  • दिलचस्प बात यह है कि भारत में यह उत्सव साल में दो बार मनाया जाता है: पहला ईरानी कैलेंडर के अनुसार, और दूसरा, शहंशाही कैलेंडर के अनुसार, जो पाकिस्तान में भी मनाया जाता है।

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