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शासन व्यवस्था

पोषण भी, पढ़ाई भी

  • 12 May 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE), नई शिक्षा नीति, एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS), राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, पल्स पोलियो टीकाकरण (PPI)

मेन्स के लिये:

आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता की भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ, आँगनवाड़ी से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने सरकार के प्रमुख कार्यक्रम 'पोषण भी, पढ़ाई भी' की शुरुआत की, जो देश भर के आँगनवाड़ियों में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education- ECCE) पर केंद्रित होगा।

प्रमुख बिंदु  

  • मंत्रालय ने ECCE को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (Anganwadi Workers- AWW) के प्रशिक्षण के लिये 600 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
  • राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (National Institute of Public Cooperation and Child Development- NIPCCD) आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य आँगनवाड़ी केंद्रों को न केवल पोषण केंद्रों बल्कि शिक्षा प्रदान करने वाले केंद्रों में बदलना है।
    • ECCE कार्यक्रम नई शिक्षा नीति के सिद्धांतों के अनुरूप मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देगा।
  • "पोषण भी, पढ़ाई भी" ECCE नीति द्वारा प्रस्तुत किये गए परिवर्तनों के माध्यम से प्रत्येक बच्चे को प्रतिदिन कम-से-कम दो घंटे उच्च-गुणवत्ता वाली प्री-स्कूल शिक्षा प्रदान की जाएगी।

आँगनवाड़ी:  

  • परिचय::  
    • आँगनवाड़ी भारत में एक प्रकार का ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र है। इसे एकीकृत बाल विकास सेवा (Integrated Child Development Services- ICDS) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में स्थापित किया गया था।
    • छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और प्रारंभिक बचपन की शिक्षा प्रदान करने में आँगनवाड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
      • "आँगनवाड़ी" शब्द का अनुवाद "आँगन आश्रय" के रूप में किया गया है।
  • स्थिति:  
    • देश भर में करीब 13.9 लाख आँगनवाड़ी केंद्र कार्यरत हैं जिनमें 6 वर्ष से कम उम्र के लगभग 8 करोड़ लाभार्थी बच्चों को पूरक पोषण और प्रारंभिक देखभाल एवं शिक्षा प्रदान की जा रही है, यह विश्व में इस तरह की सेवाओं का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रावधान बन गया है।
  • आँगनवाड़ी सेविकाओं की भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ: 
    • 3-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी में गैर-औपचारिक पूर्व-विद्यालय गतिविधियों का आयोजन करना और आँगनवाड़ी में उपयोग के लिये स्वदेशी मूल के खिलौनों तथा खेल उपकरणों के डिज़ाइन एवं निर्माण में सहायता करना।
    • वे बच्चों और गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिये घर ले जा सकने वाले राशन अथवा गर्म पके हुए भोजन जैसे पूरक पोषण के वितरण के केंद्र के रूप में काम करते हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य कुपोषण को रोकना और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करना है।
    • स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा प्रदान करना तथा माताओं को स्तनपान/शिशु और युवा आहार प्रथाओं के बारे में परामर्श देना।
      • आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के स्थानीय लोगों से जुड़े होने के कारण उनकी अपेक्षा की जाती है, वे विवाहित महिलाओं को परिवार नियोजन/जन्म नियंत्रण उपायों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
    • आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं का कर्त्तव्य है कि वे प्रत्येक महीने में हुए जन्मों से संबंधित जानकारी को पंचायत सचिव/ग्राम सभा सेवा के साथ साझा करेंगे, जिन्हें जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार/उप रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित किया गया है।
    • ICDS योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वितरण और रिकॉर्ड के रखरखाव में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संलग्न मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (ASHA) का मार्गदर्शन करना।
    • अपने घर के दौरे के दौरान बच्चों में विकलांगता की पहचान करना और मामले को तुरंत निकटतम PHC या ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्र के पास भेजना।
    • पल्स पोलियो प्रतिरक्षण (PPI) ड्राइव के आयोजन में सहयोग करना
  • मुद्दे:  
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कई आँगनवाड़ी केंद्रों में शौचालय, साफ पानी और बच्चों के सीखने एवं खेलने के लिये पर्याप्त जगह जैसी बुनियादी सुविधाओं सहित उचित बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
      • साथ ही कई आँगनवाड़ी केंद्रों में आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और सहायिकाओं समेत प्रशिक्षित स्टाफ की भी कमी है।
    • कम पारिश्रमिक: आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं एवं सहायिकाओं को अक्सर उनके काम के लिये अपर्याप्त मुआवज़ा दिया जाता है। कम पारिश्रमिक से पदावनति हो सकती है और प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। यह कुशल कर्मियों की भर्ती तथा प्रतिधारण को भी बाधित करता है।
    • सीमित आउटरीच: कुछ मामलों में आँगनवाड़ी सबसे हाशिये पर और दूरदराज़ के समुदायों तक पहुँचने में विफल रहती हैं, जिससे कमज़ोर बच्चों को महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक पहुँच नहीं मिलती है। अपर्याप्त परिवहन सुविधाएँ और आँगनवाड़ी के लाभों के बारे में जागरूकता की कमी इस मुद्दे में योगदान करती है।
    • निगरानी और मूल्यांकन: आँगनवाड़ी सेवाओं के प्रभाव और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र अपर्याप्त या कम उपयोग किये गए हैं।
      • मज़बूत निगरानी की कमी सुधार के लिये क्षेत्रों की पहचान और ज़रूरतों के आधार पर संसाधनों के आवंटन में बाधा बन सकती है

आगे की राह

  • समुदाय आधारित शिक्षा: संवादात्मक शिक्षण सत्र आयोजित करने के लिये स्थानीय विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त शिक्षकों और स्वयंसेवकों को संगठित करके समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।  
    • इसमें कहानी, कला एवं शिल्प कार्यशालाओं तथा व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से अपने ज्ञान और कौशल को बच्चों के साथ साझा करना चाहिये।
  • पोषाहार उद्यानिकी: आँगनबाड़ी केंद्रों पर छोटे-छोटे वनस्पति उद्यानों की स्थापना को बढ़ावा देने से बच्चे बागवानी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं, पोषण के बारे में सीख सकते हैं और स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले उत्पादों के महत्त्व को जान सकते हैं।
    • बच्चों के लिये पौष्टिक आहार बनाने में ताज़ी सब्जियों का उपयोग किया जा सकता है।
  • पोषण-केंद्रित खाना पकाने का प्रदर्शन: माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिये नियमित रूप से खाना पकाने का प्रदर्शन आयोजित करना, इसके लिये स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करने हेतु पौष्टिक और ताज़े व्यंजनों का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • यह घर पर पौष्टिक खाना पकाने की प्रथाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करता है और इस प्रकार पोषण एवं समग्र विकास के बीच की कड़ी को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017) 

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण संबंधी जागरूकता उत्पन्न करना।
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में रक्ताल्पता को कम करना। 
  3. बाजरा, मोटे अनाज और अपरिष्कृत चावल के उपभोग को बढ़ाना।
  4. मुर्गी के अंडो के उपभोग को बढ़ाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 3 और 4 

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो आँगनवाड़ी सेवाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ-भारत मिशन आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM) का लक्ष्य 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण की स्थिति में वर्ष 2017-18 से शुरू होने वाले अगले तीन वर्षों के दौरान समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। अतः कथन 1 सही है।
  • NNM का लक्ष्य अल्प-पोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में) को कम करना और शिशुओं के जन्म के समय होने वाली कम वज़न की समस्या को खत्म करना है। अत: कथन 2 सही है।
  • NNM के तहत बाजरा, अपरिष्कृत  चावल, मोटे अनाज और अंडों के उपभोग से संबंधित ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अतः कथन 3 और कथन 4 सही नहीं हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस   

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