प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट : 30 अगस्त, 2021
- 30 Aug 2021
- 11 min read
स्वीप: ECI
SVEEP: ECI
हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने दो दिवसीय SVEEP (स्वीप-व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी) परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया।
प्रमुख बिंदु
- स्वीप:
- यह वर्ष 2009 में मतदाता शिक्षा के लिये ECI के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ ।
- इसका प्राथमिक लक्ष्य सभी पात्र नागरिकों को मतदान करने तथा एक निर्णय एवं नैतिक विकल्प प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित करके एक समावेशी और सहभागी लोकतंत्र का निर्माण करना है।
- अन्य संबंधित पहल:
- नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प:
- नोटा का विकल्प मतदाताओं को यह अधिकार देता है कि वे किसी भी उम्मीदवार को वोट न दें।
- वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल:
- यह एक स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से संबद्ध है। यह मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट इच्छित उम्मीदवार को गया है या नहीं।
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस:
- यह ईसीआई के गठन को चिह्नित करने के लिये वर्ष 2011 से हर वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है।
- चुनावों का अपराधीकरण:
- ECI और कोर्ट ने एक साथ यह सुनिश्चित किया है कि उम्मीदवार अपने आपराधिक रिकॉर्ड और किसी भी मामले को लंबित घोषित करें या नहीं।
- सी-विजिल एप:
- यह एप ऑटो लोकेशन डेटा के साथ लाइव फोटो/वीडियो सहित आदर्श आचार संहिता/व्यय संबंधी उल्लंघन का टाइम-स्टैम्प, साक्ष्य-आधारित प्रमाण प्रदान करता है।
- नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प:
भारत निर्वाचन आयोग
- भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण।
- लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों का प्रशासन करता है।
- भारतीय संविधान का भाग XV चुनावों से संबंधित है और इन मामलों के लिये एक आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 324 से 329 आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित है।
- मूल रूप से इसमें केवल एक चुनाव आयुक्त था, लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया है।
- वर्तमान में इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और दो चुनाव आयुक्त (ईसी) होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे 6 वर्ष की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने (जो भी पहले हो) तक पद धारण करते हैं।
आईसीजीएस विग्रह
ICGS Vigraha
भारतीय तटरक्षक जहाज़ (ICGS) विग्रह जो कि एक अपतटीय निगरानी जहाज़ (OPV) है, को भारतीय तटरक्षक बल (ICG) में कमीशन किया गया था।
- यह वर्ष 2015 में हस्ताक्षरित रक्षा अनुबंध के तहत लार्सन एंड टुब्रो (निजी कंपनी) द्वारा निर्मित सात OPV जहाज़ों की शृंखला में अंतिम पोत है।
- मई 2021 में ओपीवी सजग (OPV Sajag) को ICG में कमीशन किया गया था।
- आईसीजीएस विग्रह के बारे में:
- यह लगभग 98 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा, 3.6 मीटर ड्राफ्ट (Draught)है, जिसमें 2,140 टन विस्थापन और 5,000 समुद्री मील की सीमा है।
- यह 26 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ संचालन में सक्षम है ।
- यह उन्नत प्रौद्योगिकी रडार, नेविगेशन और संचार उपकरण, सेंसर व मशीनरी से सुसज्जित है जो उष्णकटिबंधीय समुद्री परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है।
- यह एक एकीकृत पुल प्रणाली (Integrated Bridge System), एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली (Integrated Platform Management System), स्वचालित बिजली प्रबंधन प्रणाली और उच्च विद्युत बाहरी अग्निशमन प्रणाली से भी सुसज्जित है।
- पोत 40/60 बोफोर्स तोप से लैस है और अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन (एसआरसीजी) से सुसज्जित है।
- विशेष क्षमता:
- बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन व समुद्री गश्त के लिये एक जुड़वाँ इंजन वाले हेलीकॉप्टर तथा चार उच्च गति वाली नौकाओं को ले जाने में सक्षम।
- समुद्र में तेल रिसाव को रोकने के लिये प्रदूषण प्रतिक्रिया उपकरण ले जाने में सक्षम।
- अपतटीय गश्ती वाहन (OPVs):
- OPVs लंबी दूरी के सतही जहाज़ हैं, जो भारत के समुद्री क्षेत्रों में संचालन में सक्षम हैं, जिसमें हेलीकॉप्टर संचालन क्षमताओं वाले द्वीप क्षेत्र भी शामिल हैं।
- उनकी भूमिकाओं में तटीय और अपतटीय गश्त, भारत के समुद्री क्षेत्रों में पुलिसिंग, नियंत्रण और निगरानी, तस्करी विरोधी और सीमित युद्धकालीन भूमिकाओं के साथ समुद्री डकैती विरोधी अभियान शामिल हैं।
भारतीय तटरक्षक बल:
- यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र बल, खोज और बचाव तथा समुद्री कानून प्रवर्तन एजेंसी है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1978 में तटरक्षक अधिनियम, 1978 द्वारा भारत के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में की गई थी।
- ICG के निर्माण की अवधारणा वर्ष 1971 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। रुस्तमजी समिति द्वारा बहुआयामी तटरक्षक बल के लिये खाका तैयार किया गया था।
- सन्निहित क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) सहित भारत के क्षेत्रीय जल पर इसका अधिकार क्षेत्र है।
- यह भारत के समुद्री क्षेत्रों में समुद्री पर्यावरण संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है और भारतीय जल में तेल रिसाव की प्रतिक्रिया हेतु प्राधिकरण का समन्वय कर रहा है।
‘इडा’ (Ida) हरिकेन
Hurricane Ida
हाल ही में ‘इडा’ (Ida) हरिकेन अमेरिका के लुइसियाना से टकराया है। यह एक अत्यंत खतरनाक ‘श्रेणी-4’ का हरिकेन है और अमेरिका के अब तक के सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक है।
- ‘कट्रीना’ (2005) हरिकेन की तबाही के बाद बनाए गए सैकड़ों मील लंबे सेतु के लिये भी ‘इडा’ हरिकेन एक बड़ी चुनौती है।
प्रमुख बिंदु
- हरिकेन पृथ्वी पर सबसे अधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं।
- ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ नम हवा को ईंधन के रूप में उपयोग करते हैं और इसलिये इनका निर्माण मुख्यतः गर्म भूमध्यरेखीय जल में होता है।
- तंत्र
- जब गर्म, नम हवा समुद्र की सतह से ऊपर की ओर उठती है, तो यह निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनाती है।
- ऐसे में आसपास के क्षेत्रों से हवा इस जगह को भरती है और अंत में वह भी गर्म एवं नम होकर ऊपर उठ जाती है।
- इस प्रकार चक्रवात के केंद्र में एक ‘आँख’ (Eye) का निर्माण होता है। यह चक्रवात का सबसे शांत भाग है, क्योंकि हवा चक्रवात के केंद्र में पहुँचने से पूर्व ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठ जाती है।
- जब गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडी होती है, तो यह नमी बादल का निर्माण करती है। बादलों और हवाओं की यह प्रणाली आगे बढ़ती है और घूमती रहती है।
- यह विक्षोभ समुद्र की गर्मी और उसकी सतह से वाष्पित होने वाले जल से उत्पन्न होता है।
- इस प्रकार की चक्रवात प्रणाली काफी तेज़ी से घूमती है।
- पृथ्वी के घूमने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात की गति घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवात के नाम:
- टाइफून: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को चीन सागर और प्रशांत महासागर में टाइफून के रूप में जाना जाता है।
- हरिकेन: कैरेबियन सागर और अटलांटिक महासागर में पश्चिम भारतीय द्वीपों में इसे हरिकेन के नाम से जाना जाता है।
- विली-विलीज़: उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात: दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र।
- हरिकेन का वर्गीकरण:
- हरिकेन की तीव्रता को ‘सैफिर-सिंपसन हरिकेन विंड स्केल’ से मापा जाता है , जो हवा की गति के आधार पर उन्हें 1 से 5 के पैमाने पर मापता है।
- श्रेणी तीन या उससे अधिक में आने वाले हरिकेन को प्रमुख और खतरनाक हरिकेन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।