पिंगली वेंकैया, तिरंगे के अभिकल्पक | 02 Aug 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने पिंगली वेंकैया को उनकी जयंती (2 अगस्त) पर श्रद्धांजलि दी।
- उन्होंने नागरिकों से 9 से 15 अगस्त, 2024 के दौरान तिरंगा फहराकर हर घर तिरंगा आंदोलन का समर्थन करने का भी आग्रह किया।
ध्वज का विकास:
- वर्ष 1916 में, पिंगली वेंकैया ने भारत के लिये एक राष्ट्रीय ध्वज नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की, जिसमें अन्य देशों के झंडों से प्रेरित होकर संभावित भारतीय ध्वज के लगभग 30 डिज़ाइन शामिल थे।
- राष्ट्रीय ध्वज के लिये वेंकैया के डिज़ाइन को अंततः वर्ष 1921 में विजयवाड़ा में काॅन्ग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- स्वराज ध्वज कहे जाने वाले प्रारंभिक ध्वज में दो क्षैतिज पट्टियों में 2 लाल रंग की और एक हरे रंग की थीं (जो क्रमशः हिंदुओं और मुसलमानों के धार्मिक समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हैं) शामिल थीं। ध्वज में चरखा भी था, जो स्वराज का प्रतीक था।
- महात्मा गांधी ने वेंकैया को शांति का प्रतीक करने के लिये एक श्वेत पट्टी जोड़ने की सलाह दी।
- ध्वज समिति (1931) ने लाल रंग की जगह केसरिया रंग लगाया और केसरिया को सबसे ऊपर रखा, उसके बाद श्वेत और फिर हरा रंग लगाया। चरखे को बीच में श्वेत पट्टी पर रखा गया।
- रंग गुणों के प्रतीक थे, न कि समुदायों के। यानी केसरिया साहस एवं बलिदान के लिये, सफेद सत्य एवं शांति के लिये तथा हरा विश्वास एवं शक्ति के लिये। चरखा जन-कल्याण के लिये था।
- स्वतंत्रता के बाद, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय ध्वज समिति ने चरखे की जगह अशोक चक्र लगाया।
पिंगली वेंकैया:
- उन्होंने दूसरा बोअर युद्ध (वर्ष 1899-1902) लड़ा।
- वर्ष 1913 में, उन्होंने आंध्र प्रदेश के बापटला में जापानी भाषा में एक व्याख्यान दिया, जिसे 'जापान वेंकैया' कहा जाता है।
- कंबोडिया कॉटन पर उनके शोध के लिये उन्हें पट्टी वेंकैया के नाम से भी जाना जाता था।
- वर्ष 2009 में, उनके योगदान के लिये एक डाक टिकट जारी किया गया था।
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