भारत में मध्य-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन: CREA | 23 Jul 2024

स्रोत : हिन्दुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा द्वारा भारत में जनवरी से जून 2024 तक की अवधि को कवर करते हुए मध्य-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन किया गया, जो देश के वायु प्रदूषण के स्तर का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है।

  • यह रिपोर्ट भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीरता और वितरण पर प्रकाश डालने के साथ इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिये कड़े उपायों के महत्त्व पर बल देती है। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं? 

  • मुख्य विशेषताएँ:
    • असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहाँ PM 2.5 की औसत सांद्रता 140 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) है। 
    • भारत के शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में से तीन हरियाणा में, दो-दो राजस्थान और उत्तर प्रदेश में तथा एक-एक दिल्ली, असम एवं बिहार में है। 
    • शामिल किये गए 256 शहरों में से 163 शहरों में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) के वार्षिक स्तर (40 µg/m³) से अधिक प्रदूषण था जबकि सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर WHO द्वारा निर्धारित वार्षिक सांद्रता मानक (5 µg/m³) से अधिक था।
    • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण वाले 163 शहरों में से केवल 63 ही NCAP का हिस्सा हैं और इस प्रकार से 100 शहरों में वायु प्रदूषण कम करने की कोई कार्य-योजना नहीं है।
    • शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहर 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से शामिल थे, जो भारत में वायु प्रदूषण की व्यापक प्रकृति को दर्शाते हैं।
    • छह नए सतत् परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) शामिल होने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 545 हो गई।
    • कर्नाटक और महाराष्ट्र में "अच्छा" और "संतोषजनक" श्रेणियों के तहत सबसे अधिक शहर थे, जबकि बिहार में "मध्यम" श्रेणी में सबसे अधिक शहर थे।
  • निहितार्थ:
    • बर्नीहाट और दिल्ली में पीएम 2.5 का उच्च स्तर स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
      • हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रदूषण की व्यापकता, वायु गुणवत्ता के मुद्दों से निपटने के लिये समन्वित क्षेत्रीय प्रयासों पर बल देती है। 
    • यह तथ्य कि राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण वाले 100 शहर NCAP के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, भारत के वायु गुणवत्ता प्रबंधन ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण अंतराल पर प्रकाश डालता है।
      • इन शहरों को शामिल करने के लिये NCAP का विस्तार करना, वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • PM2.5 के उच्च स्तरों के लगातार संपर्क में रहने से श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों सहित गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम होते हैं। 
      • रिपोर्ट के निष्कर्ष लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हैं। 
    • CAAQMS में वृद्धि एक सकारात्मक कदम है, लेकिन डेटा अंतराल और गैर-संचालन स्टेशन बेहतर निगरानी बुनियादी ढाँचे एवं रखरखाव की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
  • नीतिगत सिफारिशें: उत्सर्जन मानकों को मज़बूत करना, हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना प्रदूषण के स्तर को काफी कम कर सकता है।
    • स्थायी वायु गुणवत्ता सुधार के लिये सामुदायिक भागीदारी और पर्यावरण कानूनों का कठोर प्रवर्तन आवश्यक है।

PM2.5_Above_Daily_NAAQS

Top_10_polluted_cities

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किन वायुमंडलीय गैसों पर विचार किया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. कार्बन मोनोऑक्साइड
  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 
  4. सल्फर डाइऑक्साइड
  5. मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न.  हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। वर्ष 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021)