ओरछा वन्य जीव अभ्यारण्य में अवैध खनन | 13 May 2024
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने ओरछा वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव ज़ोन में पत्थर तोड़ने वाले और खनन खदानों के अवैध संचालन की शिकायत पर गौर करने के लिये एक समिति का गठन किया।
- NGT के अनुसार, 337 टन रासायनिक अपशिष्ट के निपटान, भूजल प्रदूषण, पाइप से पानी की कमी, और अनुमेय सीमा से अधिक लौह, मैंगनीज तथा नाइट्रेट सांद्रता की निगरानी के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
ओरछा वन्यजीव अभयारण्य के विषय में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय:
- इसकी स्थापना 1994 में हुई थी और यह एक बड़े वन क्षेत्र के भीतर स्थित है।
- यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा क्षेत्र में बेतवा नदी (यमुना की एक सहायक नदी) के पास स्थित है, जो इस अभयारण्य के अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता में योगदान देती है।
- जीव प्रजाति:
- यह विभिन्न प्रकार के जीवों का आवास स्थल है, जिनमें चित्तीदार हिरण, ब्लू बुल, मोर, जंगली सुअर, बंदर, सियार, नीलगाय, स्लॉथ भालू और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।
- बर्डवॉचिंग विशेष रूप से लोकप्रिय है, अभयारण्य के नदी पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें निवासी पक्षी और प्रवासी प्रजातियाँ जैसे जंगली मुर्गे, मोर, हंस, जंगल बुश बटेर, मिनीवेट आदि शामिल हैं।
- वन प्रकार:
- इसमें दक्षिणी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं। अभयारण्य में धावा, करधई, सागौन, पलाश और खैर के घने वृक्ष हैं, जो इसकी समृद्ध जैवविविधता एवं प्राकृतिक वातावरण में योगदान करते हैं।
पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र क्या हैं?
- परिचय:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) ने निर्धारित किया कि राज्य सरकारों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी. के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZs) अथवा पर्यावरण नाजुक क्षेत्र के रूप में घोषित करना चाहिये।
- ESZs के आसपास गतिविधियाँ:
- निषिद्ध गतिविधियाँः वाणिज्यिक खनन, प्रमुख पनबिजली परियोजनाओं (HEP) की स्थापना, लकड़ी का वाणिज्यिक उपयोग।
- विनियमित गतिविधियाँः होटलों और रिसॉर्ट्स की स्थापना, प्राकृतिक जल का वाणिज्यिक उपयोग, कृषि प्रणाली में भारी बदलाव, जैसे भारी प्रौद्योगिकी, कीटनाशकों आदि को अपनाना, सड़कों को चौड़ा करना।
- अनुमत गतिविधियाँ: वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग।
- ESZs का महत्त्व:
- मुख्य पारिस्थितिक क्षेत्रों की रक्षा करना:
- यह विनिर्माण और प्रदूषण जैसी गतिविधियों के प्रभाव को कम करने वाले बफर ज़ोन के रूप में कार्य करता है।
- वन्य जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरों को कम करता है।
- प्राकृतिक आवासों के भीतर स्वस्थाने संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- सतत् विकास को सुनिश्चित करना:
- असंतुलन को कम करके मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करता है।
- निकटस्थ समुदायों में सतत् प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।
- उच्च-सुरक्षा और निम्न-प्रतिबंध क्षेत्रों के बीच एक संक्रमण क्षेत्र निर्मित करता है।
- मुख्य पारिस्थितिक क्षेत्रों की रक्षा करना:
और पढ़ें: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स;प्रश्न. भारत में संरक्षित क्षेत्रों की निम्नलिखित में से किस एक श्रेणी में स्थानीय लोगों को बायोमास एकत्र करने और उपयोग करने की अनुमति नहीं है? (2012) (a) बायोस्फीयर रिज़र्व उत्तर: (b) |