प्रारंभिक परीक्षा
ग्राउंड लेवल ओज़ोन
- 11 Dec 2024
- 6 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने भारत में ग्राउंड लेवल ओजोन प्रदूषण (GLOP) को नियंत्रित करने के लिये उठाए जा रहे कदमों पर प्रकाश डाला।
ग्राउंड लेवल ओज़ोन प्रदूषण क्या है?
- ग्राउंड लेवल ओज़ोन: ग्राउंड लेवल ओज़ोन (O₃) प्रदूषण से तात्पर्य पृथ्वी की सतह पर ओज़ोन की अत्यधिक उपस्थिति से है, जो वायुमंडल में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होता है।
- समताप मंडल में ओज़ोन परत के विपरीत, जो हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से जीवन की रक्षा करती है, ग्राउंड लेवल ओज़ोन एक हानिकारक प्रदूषक है, जो स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा और पर्यावरणीय क्षति उत्पन्न करती है।
- ग्राउंड लेवल ओज़ोन का निर्माण: ग्राउंड लेवल ओज़ोन एक द्वितीयक प्रदूषक है, जिसका अर्थ है कि यह सीधे उत्सर्जित नहीं होता है, बल्कि नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होती है।
- NOx (वाहनों, विद्युत् संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्सर्जित) और VOCs (वाहनों, पेट्रोल पंपों, सॉल्वैंट्स और अपशिष्ट जलाने से उत्सर्जित)।
- ये प्रतिक्रियाएँ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होती हैं, जिससे धूप वाले दिनों और गर्म मौसम के दौरान ओज़ोन का निर्माण अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- विनियमन: भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने ओज़ोन के लिये राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) निर्धारित किये हैं, जिसमें 8 घंटे की औसत सीमा 100 µg/m³ और 1 घंटे की सीमा 180 µg/m³ शामिल है।
- ग्राउंड लेवल ओज़ोन की निगरानी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NAMP) के तहत की जाती है, जिसका प्रबंधन CPCB द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCB) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) के सहयोग से किया जाता है।
प्रभाव:
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: ग्राउंड लेवल ओज़ोन के कारण श्वसन संबंधी समस्याएँ होती हैं और अस्थमा तथा हृदय रोग जैसी व्याधियाँ और भी चिंताजनक हो जाती हैं। दीर्घकालिक उद्भासन से फेफड़ों की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे गंभीर क्षति हो सकती है।
- यदि उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया गया तो 2050 तक भारत में ओज़ोन परत के संपर्क में आने से दस लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: ओज़ोन से फसलों को नुकसान पहुँचता है, कृषि उत्पादकता में कमी आती है, विकास और प्रकाश संश्लेषण को बाधित कर वनों को नुकसान पहुँचता है।
GLOP को नियंत्रित करने के उपाय:
- ओज़ोन क्षयकारी पदार्थ (ODS): ODS को नियंत्रित करने के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने ओज़ोन क्षयकारी पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 को अधिसूचित किया है, जो भारत में ODS के उपयोग, आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है।
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) की तरह ODS भी ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाते हैं। वे क्षोभमंडल में स्थिर होते हैं लेकिन समतापमंडल में यूवी प्रकाश के तहत इनका विघटन हो जाता है, जिससे ओज़ोन परत का क्षरण होता है।
- स्वच्छ ईंधन: सरकार ने वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने के लिये संपीड़ित प्राकृतिक गैस, द्रवित पैट्रोलियम गैस और इथेनॉल-मिश्रित ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित किया है।
- वाष्प पुनर्प्राप्ति तंत्र (VRS): ईंधन पुन:भरण के दौरान VOC उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिये पेट्रोल पंपों पर, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में VRS की संस्थापना की गई है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)
फसल/जैव मात्रा के अवशेषों के दहन के कारण वायुमंडल में उपर्युक्त में से कौन-से निर्मुक्त होते हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |