बनारसी शहनाई को GI टैग | 18 Apr 2025
स्रोत: द हिंदू
वाराणसी की बनारसी शहनाई को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किये जाने के साथ यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई।
परिचय:
- यह एक परंपरागत सुषिर वाद्य यंत्र है जिसका गहन संबंध भारतीय शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने से है।
- इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के माध्यम से प्राप्त हुई, जिन्होंने भारत के प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर शहनाई का वादन किया था।
- उन्होंने वर्ष 1937 में कलकत्ता अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में अपने प्रदर्शन से शहनाई को भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रमुखता प्रदान की।
- उन्हें वर्ष 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
- यह वाद्य यंत्र दिव्य और शुभ माना जाता है, जिसका वादन सामान्यतः विवाह, धार्मिक समारोहों और मंदिर अनुष्ठानों में किया जाता है।
- भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- GI टैग एक नाम अथवा चिह्न है जिसका उपयोग उन विशिष्ट उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान अथवा उत्पत्ति से संबंधित होते हैं।
- GI टैग द्वारा केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता अथवा भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों द्वारा ही संबंधित लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति सुनिश्चित होती है।
- यह दूसरों द्वारा उत्पाद की नकल किये जाने से भी संरक्षण प्रदान करता है।
- एक पंजीकृत GI की वैधता 10 वर्षों के लिये होती है तथा इसे नवीनीकृत किया जा सकता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा की जाती है।
- GI टैग द्वारा केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता अथवा भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों द्वारा ही संबंधित लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति सुनिश्चित होती है।
- GI टैग एक नाम अथवा चिह्न है जिसका उपयोग उन विशिष्ट उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान अथवा उत्पत्ति से संबंधित होते हैं।
- विधिक ढाँचा:
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