प्रारंभिक परीक्षा
4 अरब वर्ष पूर्व भी पृथ्वी पर जीवन
- 07 Jun 2024
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में प्राचीन चट्टानों और खनिजों के विश्लेषण से पता चला है कि पृथ्वी के निर्माण के लगभग 600 मिलियन वर्ष बाद जीवन के लिये आवश्यक परिस्थितियाँ मौजूद थीं अर्थात 4 अरब वर्ष पूर्व भी यहाँ स्वच्छ जल और शुष्क भूमि मौजूद थी।
हाल ही में हुए अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?
- जल चक्र और जीवन का उद्भव: स्वच्छ जल और भूमि के बीच की अंतःक्रिया, जिसे जल चक्र भी कहा जाता है, ने संभवतः जीवन के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न की होंगी।
- जीवाश्म साक्ष्यों के आधार पर पहले यह माना जाता था कि यह अंतःक्रिया लगभग 3.5 अरब वर्ष पूर्व शुरू हुई थी।
- प्राचीन चट्टानों में ऑक्सीजन समस्थानिकों के अध्ययन से पृथ्वी के जल चक्र की उत्पत्ति का पता चलता है।
- इसमें बताया गया है कि स्वच्छ जल और भूमि का परस्पर संपर्क पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर नीचे हुआ था, जिससे इस सिद्धांत को चुनौती मिलती है कि चार अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी पूरी तरह से समुद्र से ढकी हुई थी।
- प्रारंभिक जीवन पर प्रभाव: इन निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जीवन के फलने-फूलने के लिये आवश्यक अनुकूल परिस्थितियाँ पृथ्वी पर बहुत पहले से मौजूद थीं।
पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- पृथ्वी की आयु: यद्यपि पृथ्वी की आयु लगभग 4.5 अरब वर्ष अनुमानित है, अध्ययन द्वारा पता चलता है कि पृथ्वी पर स्वच्छ जल और शुष्क भूमि 4 अरब वर्ष पूर्व भी मौजूद थी।
- पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत:
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नेबुलर परिकल्पना: यह इमैनुअल कांट (Immanuel Kant) द्वारा दी गई थी और लाप्लास (Laplace) द्वारा संशोधित की गई थी।
- इसमें माना गया कि ये ग्रह सूर्य से जुड़े एक पदार्थ के बादल द्वारा निर्मित हैं, जो धीरे-धीरे घूर्णन कर रहा था।
- वर्ष 1950 में रूस में ओटो श्मिट (Otto Schmidt) और जर्मनी में कार्ल वेइज़ास्कर ने नेबुलर परिकल्पना को संशोधित किया।
- 1950 में रूस में ओटो श्मिट और जर्मनी में कार्ल वेइज़ास्कर ने नेबुलर परिकल्पना को संशोधित किया।
- उनका मानना था कि सूर्य एक सौर नेबुला से घिरा हुआ है जिसमें अधिकांशतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूल के कण मौजूद हैं।
- कणों के घर्षण और टकराव के कारण डिस्क के आकार के बादल का निर्माण हुआ तथा अभिवृद्धि की प्रक्रिया के माध्यम से ग्रहों का निर्माण हुआ।
- बिग बैंग सिद्धांत: इसे एडविन हब्बल ने 1920 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत कहता है कि ब्रह्मांड एक बिंदु के रूप में शुरू हुआ, फिर अपने वर्तमान आकार तक पहुँचने के लिये विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया से गुजरा।
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- पृथ्वी का विकास:
- स्थलमंडल का निर्माण: प्रारंभ में पृथ्वी बहुत गर्म और अस्थिर थी। जैसे-जैसे यह शीतल होती गई, लोहे जैसे भारी तत्त्व केंद्र की ओर विस्थापित हो गए, जबकि हल्के पदार्थ सतह पर आ गए, जिससे क्रस्ट का निर्माण हुआ।
- पृथ्वी के वायुमंडल का विकास तीन चरणों में हुआ:
- प्रथम, आदिम वातावरण का विनाश।
- दूसरा, पृथ्वी के गर्म आंतरिक भाग ने वायुमंडल के विकास में योगदान दिया। जिस प्रक्रिया के ज़रिये गैसों को आंतरिक भाग से बाहर निकाला जाता है, उसे डीगैसिंग (Degassing) कहते हैं।
- अंततः, जीवित प्राणियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण और ज्वालामुखी गतिविधि की प्रक्रिया के फलस्वरूप वायुमंडल संशोधित हुआ।
- जलमंडल का विकास: महासागरों का निर्माण तब हुआ जब पृथ्वी के शीतल होने के कारण वायुमंडल में संघनित जलवाष्प से पृथ्वी के गर्त वर्षा के जल से भर गए।
- जैविक प्रक्रियाओं का वायुमंडल पर प्रभाव: प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन को वायुमंडल में प्रवाहित किया गया, जिससे ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिये अधिकाधिक परिष्कृत रूप से विकसित होने का द्वार खुल गया।
- जीवन की उत्पत्ति: यह एक प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया थी, जिसने पहले जटिल कार्बनिक अणुओं को उत्पन्न किया और उन्हें एकत्रित किया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (2008)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 2 और 3 उत्तर: (b) |