10-वर्षीय बॉण्ड यील्ड में गिरावट | 06 Dec 2024

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जिसमें 10-वर्षीय बेंचमार्क यील्ड वर्ष 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई। 

  • इस बदलाव का श्रेय भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में संभावित ढील दिये जाने के बारे में बढ़ती आशावाद को दिया जा रहा है।

बॉण्ड प्रतिफल में गिरावट के लिये कौन से कारक ज़िम्मेदार हैं?

  • आर्थिक विकास मंदी : सितंबर 2024 तिमाही में भारत की GDP वृद्धि 5.4% तक धीमी हो गई, जो 7 तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि है। 
    • आर्थिक मंदी ने चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिससे RBI द्वारा ब्याज दरों में कमी या तरलता उपायों के माध्यम से मौद्रिक ढील दिये जाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जिससे बॉण्डों की मांग बढ़ गई है और परिणामस्वरूप प्रतिफल में गिरावट आई है।
  • RBI द्वारा उठाए गए कदम: खुले बाज़ार परिचालन (OMO) के माध्यम से तरलता प्रवाह की प्रत्याशा या RBI द्वारा नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में लगभग 50 आधार अंकों की कटौती से बैंकिंग प्रणाली में  लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपए जारी हो सकते हैं।
    • इस कदम से संभवतः अल्पावधि बॉण्ड प्रतिफल में कमी आएगी तथा तरलता में वृद्धि होगी।
  • विदेशी निवेश: भारतीय बॉण्डों में विदेशी निवेश में वृद्धि, जिसमें अल्पावधि में 7,700 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद और विदेशी ऋणदाताओं द्वारा 20,200 करोड़ रुपए शामिल हैं, ने मांग को बढ़ावा दिया है, जिससे प्रतिफल में कमी आई है और अर्थव्यवस्था में निवेशकों के विश्वास का संकेत मिला है।

बॉण्ड और बॉण्ड यील्ड क्या है?

  • बॉण्ड: बॉण्ड पैसे उधार लेने का एक साधन है। यह एक IOU (I owe you अर्थात् मैं आपका ऋणी हूँ) की तरह है।
    • बॉण्ड किसी देश की सरकार या किसी कंपनी द्वारा धन जुटाने के लिये एक बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
    • चूँकि सरकारी बॉण्ड (भारत में  G-सेक, अमेरिका में ट्रेज़री और यूके में गिल्ट्स के रूप में संदर्भित) संप्रभु गारंटी के साथ आते हैं, उन्हें सबसे सुरक्षित निवेशों में से एक माना जाता है।
  • बाॅण्ड यील्ड:
    • बॉण्ड प्रतिफल एक निवेशक को बॉण्ड से मिलने वाले रिटर्न को दर्शाता है, जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। 
    • हालाँकि यह रिटर्न तय नहीं है और बॉण्ड के बाज़ार मूल्य में बदलाव के साथ बदलता रहता है। यह बॉण्ड की कीमतों से विपरीत रूप से संबंधित है यानी जब बॉण्ड की कीमतें बढ़ती हैं, तो प्रतिफल गिरता है। 
  • प्रत्येक बॉण्ड में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • अंकित मूल्य: बॉण्ड का नाममात्र मूल्य, जो आमतौर पर परिपक्वता पर चुकाया जाता है।
    • कूपन भुगतान: बॉण्डधारक को किया जाने वाला निश्चित वार्षिक भुगतान।
    • कूपन दर: बॉण्ड के अंकित मूल्य के प्रतिशत के रूप में व्यक्त वार्षिक ब्याज दर।
  • उदाहरण के लिये 10-वर्षीय G-sec का अंकित मूल्य 100 रुपए है और इसका कूपन भुगतान 5 रुपए है तथा कूपन दर 5% है। इस बाॅण्ड के खरीदार सरकार को 100 रुपए (अंकित मूल्य) देंगे, बदले में, सरकार उन्हें अगले 10 वर्षों तक प्रतिवर्ष 5 रुपए (कूपन भुगतान) का भुगतान करेगी, तथा अंत में उनके 100 रुपए को वापस कर देगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से गैर-वित्तीय ऋण में सम्मिलित है? (2020)

  1. परिवारों का बकाया गृह ऋण
  2. क्रेडिट कार्डों पर बकाया राशि
  3. राजकोष बिल

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न . निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक भारत सरकार की प्रतिभूतियों का प्रबंधन और सेवाएँ प्रदान करता है, लेकिन किसी राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का नहीं। 
  2. भारत सरकार कोष-पत्र (ट्रेज़री बिल) जारी करती है और राज्य सरकारें कोई कोष-पत्र जारी नहीं करतीं। 
  3. कोष-पत्र ऑफर अपने समतुल्य मूल्य से बट्टे पर जारी किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न 3. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, 'खुला बाज़ार प्रचालन' किसे निर्दिष्ट करता है? (2013) 

(a)  अनुसूचित बैंकों द्वारा RBI से ऋण लेना
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग और व्यापार क्षेत्रों को ऋण देना
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय 
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)