रैपिड फायर
स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में CSIR-IICT की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि
- 04 Feb 2025
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स्रोत: द हिंदू
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) के शोधकर्त्ताओं ने खाद्य अपशिष्ट से बायोहाइड्रोजन (bioH₂) का उत्पादन किया है।
- bioH₂ उत्पादन: उत्पादन प्रक्रिया में खाद्य अपशिष्ट एक स्वत: नियामक बफरिंग प्रणाली के साथ अपफ्लो रिएक्टर में सूक्ष्मजीवी किण्वन से होकर गुज़ता है, जिससे bioH₂ उत्पादन का अनुकूलन होता है और परंपरागत बायोगैस विधियों की तुलना में इस विधि में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन न्यूनतम हो जाता है।
- किण्वन सूक्ष्मजीवों (जैसे बैक्टीरिया अथवा यीस्ट) द्वारा यौगिकों का अवायवीय (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में) विघटन है, जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
- यह सफलता नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप है और साथ ही इससे अपशिष्ट प्रबंधन का समाधान होगा और स्वच्छ ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
- IICT के मुख्य वैज्ञानिक की अध्यक्षता में किये गए एक अन्य अध्ययन में CO₂ को इथेनॉल और एसिटिक एसिड में परिवर्तित करने की एक कुशल विधि का प्रदर्शन किया गया, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
- CO₂ रूपांतरण: परंपरागत रूप से, CO₂ को मीथेन, इथेनॉल या एसिटिक एसिड जैसे उत्पादों में परिवर्तित करने के लिये H₂ की आवश्यकता होती है।
- अध्ययन में उच्च दाब गैस किण्वन (HPGF) रिएक्टर का उपयोग किया गया, जिससे H₂ की आवश्यकता समाप्त हो गई , जिससे प्रक्रिया अधिक संधारणीय, ऊर्जा-कुशल और लागत प्रभावी हो गई और इसके परिणामस्वरूप अधिक इथेनॉल और एसिटिक एसिड प्राप्त हुआ।
- CSIR-IICT: वर्ष 1944 में स्थापित, हैदराबाद स्थित CSIR-IICT प्राचीनतम राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है, जिसे रासायनिक प्रौद्योगिकी, अनुप्रयुक्त अनुसंधान और वाणिज्यीकरण में विशेषज्ञता के लिये मान्यता प्राप्त है।
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