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बिहार

ज़हरीली शराब त्रासदी

  • 17 Oct 2024
  • 6 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में बिहार में एक दुखद घटना में ज़हरीली शराब के सेवन से आठ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई, जिससे अवैध शराब के सेवन के गंभीर परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

मुख्य बिंदु 

  • ज़हरीली शराब (हूच) निर्माण प्रक्रिया:
    • अवैध या नकली शराब के रूप में भी जानी जाने वाली हूच, आमतौर पर गुड़ या अनाज जैसे किफायती कच्चे माल को किण्वित और आसवित करके बनाई जाती है।
    • अक्सर, उत्पादन में तेज़ी लाने या क्षमता बढ़ाने के लिये मेथनॉल जैसे खतरनाक रसायन मिलाए जाते हैं। मेथनॉल कम मात्रा में भी घातक विषाक्तता उत्पन्न कर सकता है।
  •  योगदान देने वाले कारक:
    • बिहार में सख्त शराबबंदी कानून के बावजूद शराब का कारोबार तेज़ी से जारी है। शराबबंदी के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी और शराब की बढ़ती मांग के कारण शराब पीने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जहरीली शराब की बिक्री को रोकने के लिये बेहतर विनियमन और पुलिस व्यवस्था की आवश्यकता की ओर इशारा करते हैं।
  • निषेध कानून: 
    • बिहार में 2016 से बिहार निषेध एवं उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के अंतर्गत शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। हालाँकि, कुछ कमियों और कमज़ोर प्रवर्तन के कारण अवैध व्यापार में वृद्धि हो रही है।
    • इस कानून में अवैध शराब के उत्पादन और बिक्री में शामिल लोगों के लिये भारी ज़ुर्माना और कारावास सहित कठोर दंड का प्रावधान है।

 मेथनॉल

  • मेथनॉल, जिसे रासायनिक रूप से CH3OH के रूप में दर्शाया जाता है, एक सरल अल्कोहल अणु है जिसमें एक कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक हाइड्रॉक्सिल समूह (OH) से आबंधित होता है।
  • विनियम:
    • मेथनॉल को भारत में खतरनाक रसायन निर्माण, भंडारण और आयात नियम 1989 की अनुसूची I के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
    • भारतीय मानक IS 517 निर्दिष्ट करता है कि मेथनॉल की गुणवत्ता कैसे निर्धारित की जानी चाहिये।
  • औद्योगिक उत्पादन:
    • मेथनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से औद्योगिक रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन को ताँबा और जिंक ऑक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में संयोजित करके किया जाता है, आमतौर पर 50-100 atm दबाव और लगभग 250 डिग्री सेल्सियस तापमान पर।
      • ऐतिहासिक रूप से, मेथनॉल का उत्पादन लकड़ी के विनाशकारी आसवन के माध्यम से भी किया जाता था, यह विधि प्राचीन काल से ही जानी जाती थी, जिसमें प्राचीन मिस्र भी शामिल है।
  • औद्योगिक उपयोग:
    • मेथनॉल एसिटिक एसिड, फॉर्मेल्डिहाइड और विभिन्न सुगंधित हाइड्रोकार्बन के उत्पादन में एक महत्त्वपूर्ण अग्रदूत के रूप में कार्य करता है। इसके रासायनिक गुणों के कारण इसका व्यापक रूप से विलायक, एंटीफ्रीज और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है।
  • मानव शरीर पर प्रभाव:
    • चयाचपयी अम्लरक्तता (मेटाबोलिक एसिडोसिस):
      • शरीर में मेथनॉल विषाक्त उप-उत्पादों में विभाजित हो जाता है, मुख्य रूप से फॉर्मिक एसिड। यह एसिड रक्त में शरीर के डेलिकेट pH बैलेंस को बाधित करता है, जिससे मेटाबोलिक एसिडोसिस (अत्यधिक एसिड का उत्पादन जिसे किडनी द्वारा बाहर नहीं निकाला जा सकता) नामक स्थिति उत्पन्न होती है।
      • इससे रक्त अधिक अम्लीय हो जाता है, जिससे उसके ठीक से काम करने की क्षमता बाधित हो जाती है।
  • सेलुलर ऑक्सीजन की कमी:
    • फॉर्मिक एसिड साइटोक्रोम ऑक्सीडेज नामक एंजाइम में भी हस्तक्षेप करता है, जो सेलुलर श्वसन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह कोशिकाओं की ऑक्सीजन का उपयोग करने की क्षमता को बाधित करता है, जिससे लैक्टिक एसिड का निर्माण होता है और एसिडोसिस में और योगदान होता है।
  • दृष्टि दोष (विज़न इंपेयरमेंट):
    • मेथनॉल ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे मेथनॉल-प्रेरित ऑप्टिक न्यूरोपैथी हो सकती है। यह स्थिति स्थायी दृष्टि समस्याओं, जिसमें अंधापन भी शामिल है, को जन्म दे सकती है।
  • मस्तिष्क क्षति:
    • इससे सेरेब्रल एडिमा (मस्तिष्क में द्रव का जमाव) और रक्तस्राव (खून बहना) हो सकता है। इससे कोमा और मृत्यु हो सकती है।

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