अतीत का संरक्षण, भविष्य का निर्माण | 10 Dec 2022

यह एडिटोरियल 08/12/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “Heritage conservation can drive climate action” लेख पर आधारित है। इसमें भारतीय धरोहर संरक्षण और जलवायु कार्रवाई में इसकी भूमिका के बारे में चर्चा की गई है।

भारत के पास एक समृद्ध धरोहर (Heritage) रही है जो पुरातात्त्विक संपत्तियों और आश्चर्यजनक स्मारकों का भंडार है। वे सभ्यता की एक अद्वितीय विरासत का प्रतिनिधित्त्व करती हैं और इसलिये निर्मित धरोहर (built heritage) के संरक्षण को आमतौर पर समाज के दीर्घकालिक हित में माना जाता है।

लेकिन भारत के अधिकांश स्थापत्य धरोहर (architectural heritage) और स्थल अज्ञात तथा काफी हद तक असंरक्षित बने रहे हैं और जो संरक्षित हैं, वे भी जलवायु परिवर्तन एवं असंवहनीय पर्यटन अभ्यासों से संबद्ध चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस परिदृश्य में, भारतीय धरोहर से संबंधित मुद्दों को सावधानी से चिह्नित किया जाना चाहिये और व्यापक तरीके से इसका समाधान किया जाना चाहिये।

धरोहर से तात्पर्य

  • धरोहर (Heritage) से तात्पर्य उन इमारतों, कलाकृतियों, संरचनाओं, क्षेत्रों और परिसरों से है जो ऐतिहासिक, सौंदर्यवादी, वास्तुशिल्प, पारिस्थितिक या सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • यह चिह्नित किया जाना चाहिये कि किसी धरोहर स्थल के आसपास का 'सांस्कृतिक भूदृश्य' (cultural landscape) इस स्थल की निर्मित धरोहर की व्याख्या के लिये महत्त्वपूर्ण है और इस प्रकार यह इसका अभिन्न अंग है।
  • किसी संपत्ति को धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिये जिन तीन प्रमुख अवधारणाओं पर विचार किया जा सकता है, वे हैं:
    • ऐतिहासिक महत्त्व
    • ऐतिहासिक अखंडता
    • ऐतिहासिक प्रसंग
  • भारत में धरोहर के अंतर्गत पुरातात्त्विक स्थल, अवशेष, खंडहर आदि शामिल किये जाते हैं।

भारत की सांस्कृतिक पहचान को अपनाने में उसकी समृद्ध धरोहर की क्या भूमिका है?

  • भारतीय इतिहास के कथावाचक: धरोहर भौतिक कलाकृतियों और अमूर्त विशेषताओं की एक विरासत है जो पीढ़ियों से चली आ रही है, उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है, संरक्षित है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित हुई है।
    • धरोहर आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक महत्त्व के साथ भारतीय समाज के ताने-बाने में रची-बसी है।
  • विविधता को अपनाना: भारत की धरोहर अपने आप में विभिन्न प्रकारों, समुदायों, रीति-रिवाजों, परंपराओं, धर्मों, संस्कृतियों, आस्थाओं, भाषाओं, जातियों और सामाजिक व्यवस्थाओं का एक संग्रहालय है।
  • सहिष्णु प्रकृति: भारतीय समाज ने प्रत्येक संस्कृति को समृद्ध होने का अवसर दिया है जो इसकी विविध धरोहर में परिलक्षित होता है। यह एकरूपता के पक्ष में विविधता को दबाने का प्रयास नहीं करता है।

धरोहर से संबंधित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय

भारत में धरोहर संरक्षण से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ:

  • प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: हमारे धरोहर स्थलों के समक्ष प्रदूषण एक प्रमुख समस्या है और भारत अभी भी अपने ‘वंडर’ ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिये संघर्षरत है।
    • अभी हाल में देश के विभिन्न हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ की स्थिति का सामना करना पड़ा है जिससे कई प्रमुख धरोहर स्थल क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं।
    • ओडिशा में पुरी और कर्नाटक में हम्पी ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण धरोहर स्थलों के क्षतिग्रस्त होने के कुछ नवीनतम उदाहरण पेश करते हैं।
  • धरोहर स्थल अतिक्रमण: कई प्राचीन स्मारकों का स्थानीय निवासियों, दुकानदारों और स्मारिका विक्रेताओं द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है।
    • इन संरचनाओं और स्मारकों या आसपास की स्थापत्य शैली के बीच कोई सामंजस्य नहीं है।
    • दृष्टांत के लिये, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार ताजमहल परिसर खान-ए-आलम बाग़ के निकट अतिक्रमण का शिकार पाया गया।
  • उत्खनन स्थलों का दोहन: विकास गतिविधियों ने भारत में कलाकृतियों के समृद्ध भंडार वाले कई पुरातात्त्विक स्थलों का दोहन किया है।
    • इसके अतिरिक्त, विकासात्मक परियोजनाओं के कार्यान्वयन से पूर्व सांस्कृतिक संसाधन प्रबंधन का कोई प्रावधान नहीं है, जो समस्या को गहन करता है।
  • धरोहर स्थलों के लिये डेटाबेस का अभाव: भारत में धरोहर संरचनाओं के राज्यवार वितरण के साथ एक राष्ट्रीय स्तर के पूर्ण डेटाबेस का अभाव है।
  • मानव संसाधन की कमी: स्मारकों की देखभाल और संरक्षण गतिविधियों के लिये कुशल एवं सक्षम मानव संसाधन की पर्याप्त संख्या की कमी ASI जैसी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी समस्या है।

धरोहर संरक्षण से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें:

आगे की राह:

  • उत्खनन और संरक्षण नीति की पुनर्कल्पना: प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ बदलते परिदृश्य के आलोक में ASI को अपनी उत्खनन नीति को अद्यतन करने की आवश्यकता है।
    • फोटोग्रामेट्री एवं 3D लेज़र स्कैनिंग, LiDAR और उपग्रह रिमोट सेंसिंग सर्वेक्षण जैसी नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • ‘स्मार्ट सिटी, स्मार्ट हेरिटेज’: सभी बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये धरोहर प्रभाव आकलन (Heritage Impact Assessment ) पर विचार करना आवश्यक है।
    • धरोहर पहचान और संरक्षण परियोजनाओं (Heritage Identification and Conservation Projects) को शहर के मास्टर प्लान से जोड़ने और स्मार्ट सिटी पहल के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।
  • संलग्नता बढ़ाने के लिये अभिनव रणनीतियाँ: ऐसे स्मारक जो बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित नहीं करते हैं और सांस्कृतिक/धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं हैं, सांस्कृतिक एवं विवाह कार्यक्रमों आदि के आयोजन स्थल के रूप में उपयोग किये जा सकते हैं, जो निम्नलिखित दोहरे उद्देश्य की पूर्ति कर सकते हैं:
    • संबंधित अमूर्त धरोहर का प्रचार।
    • ऐसे स्थलों पर आगंतुकों की संख्या को बढ़ाना।
  • कॉर्पोरेट धरोहर उत्तरदायित्व (Corporate Heritage Responsibility): कंपनियों को उनके कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के एक अंग के रूप में स्मारकों के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • जलवायु कार्रवाई के साथ धरोहर संरक्षण को संबद्ध करना: धरोहर स्थल जलवायु संचार और शिक्षा के अवसरों के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके साथ ही, बदलती जलवायु स्थितियों के संबंध में पिछली प्रतिक्रियाओं को समझने के लिये ऐतिहासिक स्थलों एवं अभ्यासों पर शोध से अनुकूलन एवं शमन योजनाकारों को ऐसी रणनीतियाँ विकसित करने में मदद मिल सकती है जो प्राकृतिक विज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को एकीकृत करती हैं।
    • उदाहरण के लिये, माजुली द्वीप के समुदायों जैसे तटीय और नदीवासी समुदाय सदियों से बदलते जल स्तर के साथ रह रहे हैं और इसके अनुकूल बन रहे हैं।

अभ्यास प्रश्न: भारत के धरोहर स्थलों से संबंधित प्रमुख चुनौतियों की चर्चा करें। जलवायु कार्रवाई को धरोहर संरक्षण से संबद्ध किये जाने के तरीकों के बारे में भी सुझाव दीजिये।

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ) 

मेन्स

प्रश्न 1. भारतीय कला विरासत का संरक्षण इस समय की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये? 2018

प्रश्न 2. भारतीय दर्शन और परंपरा ने भारत में स्मारकों और उनकी कला की कल्पना और आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चर्चा कीजिये? 2020