भारतीय विरासत और संस्कृति
ओरछा की स्थापत्य विरासत
- 29 May 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने ओरछा शहर की स्थापत्य विरासत को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया है।
- उल्लेखनीय है कि किसी ऐतिहासिक विरासत या स्थल को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में स्थान मिलने से पहले अस्थायी सूची में शामिल होना आवश्यक है। अस्थायी सूची में शामिल होने के बाद ही नियमानुसार विभिन्न प्रक्रियाएँ पूरी कर एक मुख्य प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाता है।
प्रमुख बिंदु
- मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के निवारी ज़िले में स्थित ओरछा शहर की स्थापत्य शैली बुंदेल राजवंश (Bundela Dynasty) द्वारा अपनाई गई वास्तुकला की एक विशिष्ट शैली है।
- मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले से लगभग 80 किमी. और उत्तरप्रदेश के झांसी ज़िले से लगभग 15 किमी. की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे बसे इस शहर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में बुंदेल वंश के राजा रुद्र प्रताप सिंह द्वारा कराया गया था।
- यदि यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अंतिम सूची में शामिल हो जाता है, तो यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने वाला भारत का 38वाँ स्थल होगा।
- यूनेस्को की सूची में शामिल 37 भारतीय विरासत स्थलों में मध्य प्रदेश के तीन प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल- भीमबेटका के शैलाश्रय (Rock Shelters of Bhimbhetka) , सांची का बौद्ध स्मारक (Buddhist Monuments at Sanchi) और खजुराहो के स्मारकों का समूह (Khajuraho Group of Monuments) शामिल हैं।
ओरछा स्थापत्य (Orchha Architecture)
- बुंदेल शासकों के शासनकाल के दौरान ओरछा में बुंदेली स्थापत्य कला का विकास हुआ। ओरछा वास्तुकला में बुंदेलखंडी और मुगल प्रभावों का मिश्रण है। इन संरचनाओं की सराहना न केवल सुंदरता के लिये बल्कि कुशल वास्तुविद्या के लिये भी की जाती हैं।
- सभी शानदार परिवेशों में ओरछा का किला परिसर (Orchha’s Fort complex) सबसे आकर्षक है। यह अपने चतुर्भुज मंदिर (Chaturbhuj Temple) के लिये जाना जाता है।
- ओरछा का भव्य परिसर (Orchha Complex) तीन वर्गों- जहाँगीर महल (Jahangir Mahal), राज महल (Raj Mahal) और शीश महल (Sheesh Mahal) में विभाजित है। राज महल कभी बुंदेल राजाओं और उनकी रानियों का प्रमुख निवास स्थान हुआ करता था।
- इनके अलावा ओरछा में दो ऊँची मीनारें (वायु यंत्र) भी लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं जिन्हें ‘सावन और भादों’ कहा जाता है।
- गुप्त गलियाँ, खड़ी सीढ़ियाँ और भगवान विष्णु के अवतारों को दर्शाते अति सुंदर भित्ति चित्र जिनकी पूजा बुंदेलखंड के सबसे धार्मिक राजा मधुकर शाह द्वारा की जाती थी, एक शक्तिशाली युग के बारे में बताते हैं।
यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची
UNESCO’s World Heritage Site List
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) मानवता के लिये महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली दुनिया भर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों की पहचान, सुरक्षा एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिये जाना जाता है।
- यह वर्ष 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है जिसे विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित संधि/अभिसमय (Convention concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) के नाम से जाना जाता है।
- विश्व विरासत स्थल ऐसे स्थान होते हैं जिन्हें यूनेस्को द्वारा इनके विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्त्व के लिये सूचीबद्ध किया जाता है। विश्व धरोहर स्थलों की सूची का प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय 'विश्व धरोहर कार्यक्रम’ (World Heritage Programme) के तहत किया जाता है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (UNESCO World Heritage Committee) द्वारा प्रशासित किया गया है।