ग्रीस-तुर्की के मध्य बढ़ता गतिरोध | 23 Oct 2020

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में ग्रीस-तुर्की के मध्य बढ़ते गतिरोध से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ:

19 अक्तूबर, 2020 को ग्रीस ने कहा कि वह अपने क्षेत्र में प्रवासियों द्वारा बड़े पैमाने पर घुसपैठ की घटनाओं को रोकने के लिये तुर्की के साथ लगती अपनी सीमा पर एक दीवार का विस्तार करेगा। इस घटना को ग्रीस और तुर्की के बीच तेज़ी से बिगड़ते संबंधों के हालिया संकेत के रूप में देखा जा रहा है, गौरतलब है कि कई महीने पहले तुर्की ने कहा था कि वह शरणार्थियों को यूरोप में जाने से नहीं रोकेगा। 

  • ग्रीक सरकार का कहना है कि वह अप्रैल 2021 के अंत तक तुर्की के साथ पहले से मौजूद 10 किमी. लंबी दीवार को 26 किमी. तक और विस्तारित करेगी जिससे इस परियोजना पर 63 मिलियन यूरो खर्च होंगे।

Greece

ग्रीस-तुर्की के मध्य विवाद के प्रमुख बिंदु: 

  • कस्टम यूनियन एग्रीमेंट (Custom Union Agreement):
    • हाल ही में ग्रीस के विदेश मंत्रालय द्वारा तुर्की के साथ कस्टम यूनियन एग्रीमेंट (Custom Union Agreement) को निलंबित करने पर विचार करने के लिये यूरोपीय संघ को एक पत्र लिखा गया था।

कस्टम यूनियन एग्रीमेंट (Custom Union Agreement):

  • यूरोपीय संघ और तुर्की एक ‘कस्टम यूनियन एग्रीमेंट’ से जुड़े हैं जो 31 दिसंबर, 1995 को लागू हुआ।
  • तुर्की वर्ष 1999 से यूरोपीय संघ में शामिल होने वाला एक उम्मीदवार देश है और यूरो-भूमध्यसागरीय साझेदारी (Euro-Mediterranean Partnership) का सदस्य है।
  • यह सभी औद्योगिक वस्तुओं को संदर्भित करता है किंतु कृषि (प्रसंस्करित कृषि उत्पादों को छोड़कर), सेवाओं या सार्वजनिक खरीद को संदर्भित नहीं करता है।
  • इसके तहत द्विपक्षीय व्यापार रियायतें कृषि के साथ-साथ कोयला एवं इस्पात उत्पादों पर भी लागू होती हैं। 

यूरो-भूमध्यसागरीय साझेदारी (Euro-Mediterranean Partnership):

  • यूरो-भूमध्यसागरीय साझेदारी, यूरोपीय संघ के दक्षिण में उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के 16 देशों में आर्थिक एकीकरण एवं लोकतांत्रिक सुधार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
  • ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की एक रिपोर्ट: 
    • ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रीस ने तुर्की को हथियारों का निर्यात रोकने के लिये जर्मनी सहित यूरोपीय संघ के तीन सहयोगियों को चर्चा के लिये बुलाया था। 
  • दो नाटो सहयोगियों (ग्रीस-तुर्की) के बीच संबंध जो दशकों से विवादास्पद रहे हैं इस वर्ष चरम पर पहुँच चुके हैं। दोनों देशों के मध्य शरणार्थी समस्या, तेल की खोज और हागिया सोफिया स्मारक सहित कई मुद्दों पर विवाद चल रहा है। 

ग्रीस-तुर्की प्रवास विवाद (Greece-Turkey migration dispute):

  • वर्ष 2011 में सीरियाई युद्ध की शुरुआत के बाद से विस्थापित हुए सीरियाई शरणार्थियों ने तुर्की में शरण ली है।
    • नवीनतम ज्ञात आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में तुर्की में लगभग 37 लाख सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं जिससे तुर्की में सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
  • वर्ष 2015 में शरणार्थी संकट अपने चरम पर पहुँच गया क्योंकि जलमार्गों का उपयोग करके यूरोप जाने का प्रयास करते समय हज़ारों शरणार्थी डूब गए और इनमें से लगभग 10 लाख ग्रीस एवं इटली पहुँच गए।
  • वर्ष 2016 में तुर्की ने एक समझौते के तहत प्रवासियों को यूरोपीय संघ में प्रवेश से रोकने पर सहमति जताई जिसके बदले में यूरोपीय देशों ने तुर्की द्वारा अपनी धरती पर शरणार्थियों का प्रबंधन करने में मदद करने के लिये आर्थिक सहायता देने का वादा किया।
    • हालाँकि शरणार्थियों के प्रबंधन हेतु असमर्थता पर ज़ोर देते हुए फरवरी 2020 में तुर्की ने कहा कि वह वर्ष 2016 के समझौते का सम्मान नहीं करेगा।
  • तुर्की की आलोचना: आलोचकों ने सीरिया के इदलिब प्रांत (Idlib Province) जहाँ पूर्ववर्ती सप्ताह में युद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे, में अपने सैन्य अभियान के मद्देनज़र पश्चिमी सहयोगियों को एक मंच पर लाने के लिये प्रवासी मुद्दे को एक अस्त्र के रूप में प्रयोग करने के कारण तुर्की को दोषी ठहराया है।
    • सीरिया का इदलिब प्रांत अंतिम विद्रोही कब्ज़े वाले क्षेत्रों में से एक है जहाँ बड़े पैमाने पर संघर्ष की वापसी की आशंकाओं ने सीरियाई लोगों में तुर्की सीमा की ओर प्रवास की संभावनाओं को बढ़ा दिया था।
  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) के अनुसार, तुर्की में 4.1 मिलियन शरणार्थी रह रहे हैं जिसमें 3.7 मिलियन सीरियाई लोग शामिल हैं।
  • ग्रीस का पक्ष: ग्रीस ने कहा कि तुर्की शरणार्थियों का उपयोग ‘एक प्यादे’ की तरह कर रहा है।
    • मार्च, 2020 में हज़ारों प्रवासियों ने ग्रीस और बुल्गारिया के माध्यम से यूरोप में प्रवेश करने का प्रयास किया किंतु कोरोनोवायरस महामारी और सीमा पुलिसिंग की शुरुआत के कारण यह संख्या तेज़ी से गिर गई।

वैश्विक शरणार्थी संकट पर UNHRC की एक रिपोर्ट:

  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 के अंत तक लगभग 79.5 मिलियन लोग विभिन्न कारणों से विस्थापित हुए, जो कि वैश्विक आबादी का लगभग 1 प्रतिशत हैं, इसमें से अधिकांश बच्चे थे।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 79.5 मिलियन में से, 26 मिलियन क्रॉस-बॉर्डर शरणार्थी थे, 45.7 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित थे, 4.2 मिलियन शरण (Asylum) माँगने वाले थे और 3.6 मिलियन वेनेज़ुएला से अन्य देशों में जाने वाले विस्थापित थे।
  • इतनी बड़ी मात्रा में विस्थापन के मुख्य कारणों में उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन आदि को शामिल किया जा सकता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से सीरिया शरणार्थियों की उत्पत्ति के लिये एक प्रमुख देश रहा है। वर्ष 2019 के अंत में दुनिया भर के 126 देशों में कुल 6.6 मिलियन सीरियाई शरणार्थी थे।

ग्रीस-तुर्की: ऐतिहासिक संबंधों पर एक नज़र

  • सदियों से तुर्की और ग्रीस ने एक विविध प्रकार का इतिहास साझा किया है। वर्ष 1830 में ग्रीस ने आधुनिक तुर्की के अग्रदूत ‘ऑटोमन साम्राज्य’ (Ottoman Empire) से स्वतंत्रता हासिल की।
  • वर्ष 1923 में दोनों देशों ने अपनी मुस्लिम और ईसाई आबादी का आदान-प्रदान किया। यह दूसरा सबसे बड़ा मानव प्रवासन था केवल भारत के विभाजन के समय हुआ प्रवासन ही इतिहास में इससे बड़ा था। 
  • दोनों देश दशकों पुराने साइप्रस विवाद (Cyprus Conflict) को लेकर एक-दूसरे का विरोध करते रहते हैं और एजियन सागर (Aegean Sea) में अन्वेषण अधिकारों को लेकर दोनों देशों के मध्य दो अवसरों पर युद्ध जैसे हालात भी बन चुके हैं।
    • एजियन सागर भूमध्य सागर का ही एक विस्तृत भाग है। यह दक्षिणी बाल्कन क्षेत्र और अनातोलिया प्रायद्वीप के बीच में स्थित है इस प्रकार यह ग्रीस और तुर्की के मध्य स्थित है।
  • हालाँकि दोनों देश 30 सदस्यीय नाटो (NATO) गठबंधन का हिस्सा हैं और तुर्की आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ की पूर्ण सदस्यता के लिये एक उम्मीदवार है जबकि ग्रीस यूरोपीय संघ का एक सदस्य है।

पूर्वी भूमध्यसागरीय विवाद

(The Eastern Mediterranean Dispute):

  • 40 वर्षों तक तुर्की और ग्रीस ने पूर्वी भू-मध्य सागर और एजियन सागर के अधिकारों पर असहमति जताई है, जहाँ तेल एवं गैस के भंडार होने की संभावनाएँ हैं।
  • 21 जुलाई, 2020 को तुर्की ने घोषणा की कि ड्रिलिंग जहाज़ ओरुक रीस (Oruc Reis) तेल एवं गैस के लिये समुद्र के एक विवादित हिस्से की छान-बीन करेगा। ग्रीस ने अपनी वायु सेना, नौसेना और कोस्टगार्ड को हाई अलर्ट पर रखकर इसका प्रत्युत्तर दिया किंतु वार्ता के बाद तुर्की का ड्रिलिंग पोत सितंबर, 2020 में पीछे हट गया था।
  • अक्तूबर, 2020 की शुरुआत में तुर्की ने पुनः अपनी योजना का क्रियान्वयन करना शुरू किया जिसके तहत कास्तेल्लोरिज़ो (Kastellorizo) नामक एक ग्रीक द्वीप के पास भूकंपीय सर्वेक्षण का संचालन किया।
  • ग्रीस जो कास्तेल्लोरिज़ो द्वीप के आसपास के जल क्षेत्र को अपना मानता है, ने ड्रिलिंग जहाज़ की गतिविधियों को ‘क्षेत्र में शांति के लिये प्रत्यक्ष संकट’ के रूप में वर्णित किया है।
    • संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS) पर एक हस्ताक्षरकर्त्ता के रूप में ग्रीस का कहना है कि पूर्वी भूमध्य सागर में अपने द्वीपीय क्षेत्रों पर विचार करते हुए इसकी महाद्वीपीय शेल्फ (Continental Shelf) की गणना की जानी चाहिये।
    • जबकि तुर्की जिसने UNCLOS पर हस्ताक्षर नहीं किया है, का तर्क है कि देश की महाद्वीपीय शेल्फ की गणना मुख्य भूमि से की जानी चाहिये। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया कि ड्रिलिंग जहाज़ ओरुक रीस द्वारा संचालित की गई अन्वेषण गतिविधियाँ ‘पूरी तरह से तुर्की के महाद्वीपीय शेल्फ’ के अंतर्गत थी।

हागिया सोफिया संग्रहालय से संबंधित विवाद:

  • गौरतलब है कि हाल ही में तुर्की द्वारा 1500 वर्ष पुराने हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। जिसको लेकर दोनों देशों के मध्य एक गतिरोध कायम हो गया था।
  • हागिया सोफिया को लेकर यह विवाद ऐसे समय में हुआ जब तुर्की और ग्रीस के बीच विभिन्न मुद्दों पर कूटनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा था।
  • इसी वर्ष मई माह में ग्रीस ने पूर्व बाइज़ेंटाइन साम्राज्य पर ऑटोमन साम्राज्य के आक्रमण की 567वीं वर्षगांठ पर हागिया सोफिया संग्रहालय के अंदर कुरान के अंशों को पढ़ने पर आपत्ति जताई थी।
  • ग्रीस के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा था कि तुर्की का यह कदम यूनेस्को के ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण संबंधी कन्वेंशन’ (UNESCO’s Convention Concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) का उल्लंघन है।
  • इस विषय पर ग्रीस ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हागिया सोफिया विश्व भर के लाखों ईसाईयों के लिये आस्था का केंद्र है और तुर्की में इसका प्रयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिये किया जा रहा है। 

भारत पर प्रभाव: 

  • भू-मध्य सागरीय क्षेत्र में अस्थिरता का प्रभाव यहाँ रह रहे अप्रवासी भारतीयों के दैनिक जीवन और उनकी आजीविका पर पड़ सकता है, जो वर्तमान में COVID-19 महामारी के बीच एक बड़ी समस्या हो सकती है। 
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत द्वारा कुल आयातित खनिज तेल में लगभग 4.5% भू-मध्य सागर क्षेत्र से था, ऐसे में भारत की ऊर्जा ज़रूरतों पर वर्तमान गतिरोध का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा परंतु भारत  के लिये तेल आयात के दौरान किसी एक देश पर निर्भरता को कम करने और तेल आयात स्रोतों के विकेंद्रीकरण की दृष्टि से क्षेत्र की स्थिरता बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
  • पिछले कुछ वर्षों में तुर्की ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और भारत के कई अन्य आतंरिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ वक्तव्य दिया है। 
  • सितंबर, 2020 में पूर्वी भू-मध्य सागर में तुर्की-रूस के एक नौसैनिक अभ्यास के मद्देनज़र वर्तमान क्षेत्रीय तनाव में रूस की भागीदारी से भारत के लिये किसी पक्ष का समर्थन का निर्णय और अधिक जटिल हो जाएगा।

आगे की राह:  

  • शरणार्थी संकट विश्व के समक्ष पिछली एक शताब्दी का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है। विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाएँ जैसे- भूकंप, बाढ़, युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण पिछली एक शताब्दी में लोगों के विस्थापन की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। इनसे निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रयास किये जाते रहे हैं जैसे- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा प्रारंभ किये गए स्टेप विद रिफ्यूजी(Step with Refugee) अभियान। 
  • प्रवासन ग्रीस और तुर्की के बीच विवाद का सिर्फ एक विवादित स्रोत है। किंतु दोनों देश के मध्य विवादित हवाई क्षेत्र, समुद्री सीमाओं, अल्पसंख्यक अधिकारों और ऊर्जा अन्वेषण से लेकर विशेष रूप से पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में कई मुद्दों पर गतिरोध है।
  • भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिये आवश्यक है कि सभी के हित में इस क्षेत्रीय तनाव को कम किया जाए और ऊर्जा संसाधन संबंधी संघर्ष का एक रणनीतिक एवं पारस्परिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय नियमों के दायरे में रहते हुए स्वीकार्य समाधान खोजने का प्रयास किया जाए।
  • किसी राष्ट्र की वास्तुकला मूर्त सांस्कृतिक विरासत (Tangible Cultural Heritage) का एक हिस्सा है। एक विरासत के रूप में यह आने वाली पीढ़ियों के लिये भौतिक कलाकृतियों के बारे में जानने का एक मार्ग प्रदान करती है। ये मूर्त विरासत समाज का एक हिस्सा हैं और दशकों से मानव रचनात्मकता का एक प्रमाण हैं जब तकनीक का युग नहीं था। 
  • ‘’अपने पिछले इतिहास, उत्पत्ति और संस्कृति के ज्ञान के बिना एक व्यक्ति बिना जड़ों के पेड़ की तरह होता है।’’ अतः सांस्कृतिक विरासतों के स्थिति में कोई भी बदलाव करने से अलग-अलग परंपराओं और संस्कृतियों के बीच एक ‘सेतु’ के रूप में सुदृढ़ हुए संबंध कमज़ोर होंगे।

अभ्यास प्रश्न: ग्रीस-तुर्की के मध्य बढ़ते गतिरोध के कारणों का उल्लेख करते हुए बताइए कि वैश्विक स्तर पर किस प्रकार समुद्री संसाधन नए बहुपक्षीय/द्विपक्षीय विवादों का कारण बन रहे हैं?