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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान

  • 11 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त

मेन्स के लिये:

विश्व में शरणार्थी समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) द्वारा प्रारंभ किये गए ‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ (Step with Refugee) अभियान में कई भारतीय व्यक्तियों द्वारा भाग लिया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • कई भारतीय तथा अन्य देशों के व्यक्ति शरणार्थी समस्या को समझने के संदर्भ में इस अभियान में भाग ले रहे हैं।

क्यों प्रारंभ किया गया अभियान?

  • पूरे विश्व में कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें पलायन के लिये मज़बूर किया गया है तथा वे जीवित रहने के लिये असाधारण प्रयास करते हैं।
  • ऐसे समय में जब अधिक-से-अधिक परिवार विभिन्न वैश्विक संकटों के कारण अपने घरों से पलायन के लिये मज़बूर हो रहे हैं, UNHCR द्वारा उनके परिवारों को सुरक्षित रखने के लिये तथा उनके जुझारूपन और दृढ़ संकल्प का सम्मान करने के लिये इस अभियान की शुरुआत की गई है।
  • इस सामूहिक प्रयास के माध्यम से वैश्विक एकजुटता स्थापित करने, शरणार्थियों के संबंध में बेहतर समझ बनाने और शरणार्थियों की रक्षा के लिये धन जुटाने के साथ-साथ उनके जीवन के पुनर्निर्माण में सहायता की जाएगी।

क्या है स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान?

  • इस अभियान में भाग लेने वाले व्यक्तियों द्वारा 12 महीनों में दो बिलियन किलोमीटर की दूरी तय करने के लिये स्वयं को चुनौती दी जाएगी क्योंकि विश्व में शरणार्थियों द्वारा अपनी सुरक्षा के लिये हर वर्ष लगभग इतने किमी. की यात्रा तय की जाती है।
  • इस अभियान में प्रतिभागी पैदल चलकर, साइकिल चलाकर या दौड़कर शामिल हो सकते हैं तथा फिटनेस एप फिटबिट, स्ट्रवा या गूगलफिट के माध्यम से भी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं और वे जितने किलोमीटर तक यात्रा करेंगे वह अभियान में स्वतः जुड़ जाएगा।
  • इस अभियान में प्रतिभागियों को एक ऑनलाइन कोच की सहायता देने की भी सुविधा है।
  • इस अभियान के तहत UNHCR कई शरणार्थियों की दुखद और साहसिक यात्राओं को भी विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहा है।

शरणार्थियों की बेहतर समझ का निर्माण:

  • UNHCR ने शरणार्थियों को लेकर फैली कई तरह की भ्रांतियों को निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया है-
    • शरणार्थी हमेशा युद्ध या उत्पीड़न के कारण दूसरे देशों में जाने के लिये मजबूर होते हैं। उन्हें "शरणार्थी" के रूप में मान्यता इसलिये दी जाती है, क्योंकि उनके लिये प्रवासियों के समान घर वापस आना बहुत जोखिमपूर्ण होता है।

शरणार्थी एवं प्रवासी के मध्य अंतर:

  • शरणार्थी अपने देश में उत्पीड़न अथवा उत्पीड़ित होने के भय से पलायन को मज़बूर होते हैं। जबकि प्रवासी का अपने देश से पलायन विभिन्न कारणों जैसे-रोज़गार, परिवार, शिक्षा आदि के कारण भी हो सकता है किंतु इसमें उत्पीड़न शामिल नहीं है।
  • इसके अतिरिक्त प्रवासी को (चाहे अपने देश में हो अथवा अन्य देश में) को स्वयं के देश द्वारा विभिन्न प्रकार के संरक्षण का लाभ प्राप्त होता रहता है।
  • अधिकांश शरणार्थी घर के निकट रहने के लिये पड़ोसी देशों में सर्वाधिक पलायन करते हैं, इनमें से केवल 1% अन्य देशों में जाकर बसते हैं।
  • दुनिया भर में, एक तिहाई से भी कम लोग शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। अधिकांश शरणार्थी जीवन-यापन के लिये शहरों और कस्बों में जीवित रहने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

भारत में शरणार्थियों की समस्या:

  • भारत भी पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत और म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान में रोहिंग्या, चकमा-हाजोंग, तिब्बती और बांग्लादेशी शरणार्थियों के कारण भारत मानवीय, आंतरिक सुरक्षा आदि समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि भारत भी शरणार्थियों के संबंध में एक ऐसी घरेलू नीति तैयार करे, जो धर्म, रंग और जातीयता की दृष्टि से तटस्थ हो तथा भेदभाव, हिंसा और रक्तपात की विकराल स्थिति से उबारने में कारगर हो।

वैश्विक शरणार्थी संकट तथा आगे की राह:

  • शरणार्थी संकट विश्व के समक्ष पिछली एक शताब्दी का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है। विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाएँ जैसे- भूकंप, बाढ़, युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण पिछली एक शताब्दी में लोगों के विस्थापन की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
  • इनसे निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रयास किये जाते रहे हैं।
  • शरणार्थी संकटों ने विभिन्न देशों को प्रभावित किया है जिसमें भारत भी शामिल है। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र इसी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है।
  • ‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों के संबंध में बेहतर समझ बनाने और शरणार्थियों की रक्षा के लिये धन जुटाने में सहायता करेगा।

स्रोत- द हिंदू

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