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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हागिया सोफिया संग्रहालय: इतिहास और विवाद

  • 04 Jul 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये

हागिया सोफिया संग्रहालय, इस्तांबुल, बाइज़ेंटाइन साम्राज्य, ऑटोमन साम्राज्य

मेन्स के लिये

हागिया सोफिया संग्रहालय से संबंधित विवाद का अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्की के शीर्ष न्यायालय ने इस्तांबुल (Istanbul) के प्रतिष्ठित हागिया सोफिया संग्रहालय (Hagia Sophia museum) को मस्जिद में बदलने अथवा इसे संग्रहालय ही बने रहने के संबंध में सुनवाई पूरी कर ली है। अनुमानतः आगामी दो हफ्तों में न्यायालय अपना निर्णय स्पष्ट कर देगा।

प्रमुख बिंदु

  • तकरीबन 1500 वर्ष पुराना यह ढाँचा (Structure) यूनेस्को विश्व विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध है, गौरतलब है कि इस इमारत का निर्माण सर्वप्रथम एक गिरजाघर (Cathedral) के रूप में किया गया था, हालाँकि कुछ समय पश्चात् इसे मस्जिद के रूप में बदल दिया गया।
  • जब आधुनिक तुर्की का जन्म हुआ तो, वहाँ के धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने इस ईमारत को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया।
  • गौरतलब है कि तुर्की के इस्लामी और राष्ट्रवादी समूह लंबे समय से हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद के रूप में बदलने की मांग कर रहे थे।
  • ध्यातव्य है कि बीते वर्ष चुनावों से पूर्व तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन (Recep Erdoğan) ने कहा था कि हागिया सोफिया को एक संग्रहालय में बदलना ‘बहुत बड़ी गलती’ थी और वे इस निर्णय को बदलने पर विचार कर रहे हैं।

हागिया सोफिया का ऐतिहासिक दृष्टिकोण

  • इस्तांबुल की इस प्रतिष्ठित संरचना का निर्माण तकरीबन 532 ईस्वी में बाइज़ेंटाइन साम्राज्य (Byzantine Empire) के शासक जस्टिनियन (Justinian) के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ, उस समय इस शहर को कॉन्सटेनटिनोपोल (Constantinople) या कस्तुनतुनिया (Qustuntunia) के रूप में जाना जाता था।
  • इस प्रतिष्ठित इमारत को बनाने के लिये काफी उत्तम किस्म की निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया था और इस कार्य में उस समय के सबसे बेहतरीन कारीगरों को लगाया गया था, वर्तमान में यह एक संग्रहालय के रूप में तुर्की के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • गिरजाघर के रूप में इस ढाँचे का निर्माण लगभग पाँच वर्षों यानी 537 ईस्वी में पूरा हो गया। यह इमारत उस समय ऑर्थोडॉक्स इसाईयत (Orthodox Christianity) के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र थी, और कुछ ही समय में यह बाइज़ेंटाइन साम्राज्य की स्थापना का प्रतीक बन गया।
  • यह इमारत लगभग 900 वर्षों तक ऑर्थोडॉक्स इसाईयत के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित रही, किंतु वर्ष 1453 में जब इस्लाम को मानने वाले ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के सुल्तान मेहमत द्वितीय (Sultan Mehmet II) ने कस्तुनतुनिया पर कब्ज़ा कर लिया, तब इसका नाम बदलकर इस्तांबुल कर दिया गया।
  • हमलावर ताकतों ने हागिया सोफिया में काफी तोड़फोड़ की और कुछ समय बाद इसे मस्जिद में बदल दिया गया, मस्जिद के रूप में परिवर्तन होने के पश्चात् स्मारक की संरचना में कई आंतरिक और बाह्य परिवर्तन किये गए और वहाँ से सभी रूढ़िवादी प्रतीकों को हटा दिया गया था, साथ ही इस संरचना के बाहरी हिस्सों में मीनारों का निर्माण किया गया।
    • एक लंबे अरसे तक हागिया सोफिया इस्तांबुल की सबसे महत्त्वपूर्ण मस्जिद रही।
  • 1930 के दशक में आधुनिक तुर्की गणराज्य के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क (Mustafa Kemal Ataturk) ने तुर्की को अधिक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के प्रयासों के तहत मस्जिद को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया।
    • वर्ष 1935 में इसे एक संग्रहालय के रूप में आम जनता के लिये खोल दिया गया।

संबंधित विवाद

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन ने तुर्की की राजनीति में प्रवेश किया था तो उनके प्रमुख एजेंडे में हागिया सोफिया की तत्कालीन स्थिति शामिल नहीं थी।
    • तुर्की के आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार, रेसेप एरदोगन ने अपनी राजनीति के शुरुआत दौर में एक बार हागिया सोफिया को मस्जिद के रूप में बदलने की मांग पर आपत्ति भी ज़ाहिर की थी।
  • हालाँकि राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन ने इस्तांबुल में नगरपालिका चुनावों में हार के बाद अपना पक्ष पूरी तरह से बदल दिया।
  • इसके पश्चात् जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी गई, तब रेसेप एरदोगन ने भी हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के पक्ष में बोलना शुरू कर दिया।
  • जानकार मानते हैं कि हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद के रूप में बदलने को लेकर रेसेप एरदोगन का पक्ष राजनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा से काफी हद तक जुड़ हुआ है। अपने इस कदम के माध्यम से वह पुनः अपना राजनीतिक समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं, जो इस्तांबुल के नगरपालिका चुनावों के बाद लगातार कम हो रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • गौरतलब है कि हागिया सोफिया को लेकर यह विवाद ऐसे समय में आया है जब तुर्की और ग्रीस के बीच विभिन्न मुद्दों पर कूटनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है।
  • इसी वर्ष मई माह में ग्रीस ने पूर्व बाइज़ेंटाइन साम्राज्य पर ऑटोमन साम्राज्य के आक्रमण की 567वीं वर्षगांठ पर हागिया सोफिया संग्रहालय के अंदर कुरान के अंशों को पढ़ने पर आपत्ति जताई थी।
    • ग्रीस के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा था कि तुर्की का यह कदम यूनेस्को के ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण संबंधी कन्वेंशन’ (UNESCO’s Convention Concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) का उल्लंघन है।
  • इस विषय पर ग्रीस ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हागिया सोफिया विश्व भर के लाखों ईसाईयों के लिये आस्था का केंद्र और तुर्की में इसका प्रयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिये किया जा रहा है।
  • इससे पूर्व अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने अपने एक बयान में कहा था कि हागिया सोफिया को तुर्की की परंपराओं और उसके विविध इतिहास के एक उदाहरण के रूप में बनाए रखा जाना चाहिये।
    • उन्होंने चेताया था कि हागिया सोफिया संग्रहालय की स्थिति में कोई भी बदलाव करने से अलग-अलग परंपराओं और संस्कृतियों के बीच एक ‘सेतु’ के रूप में सेवा करने की उसकी क्षमता को कमज़ोर करेगा।

आगे की राह

  • तुर्की के के कानून विशेषज्ञों मानते हैं कि राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन को हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के लिये न्यायालय से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, न्यायालय का यह निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक निर्णय होगा।
  • गौरतलब है कि तुर्की के भीतर राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन की इस योजना का काफी कम विरोधी हो रहा है।
  • बीते माह ग्रीस ने यूनेस्को से अपील की थी कि वह इस आधार पर तुर्की के कदमों पर आपत्ति जताए कि यह परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन का उल्लंघन करता है।
  • ऑर्थोडॉक्स इसाईयत के प्रतिनिधि ने तुर्की के इस निर्णय पर चिंता ज़ाहिर करते हुए दुःख व्यक्त किया है, ऐसे में तुर्की सरकार का यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दो पक्षों में विभाजित करता दिखाई दे रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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