WUEGA का अधिनियमन: महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम | 07 Mar 2024
यह एडिटोरियल 04/03/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “A women’s urban employment guarantee act” लेख पर आधारित है। इसमें एक राष्ट्रीय स्तर के महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) की संभावना पर विचार किया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), बेरोज़गारी दर, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), अय्यंकाली शहरी रोजगार गारंटी योजना (AUEGS), मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM), पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi)। मेन्स के लिये:महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) - आवश्यकता एवं संभावित चुनौतियाँ। |
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) अकुशल शारीरिक कार्य के लिये प्रति वर्ष कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने में सहायक रहा है। हालाँकि इसकी शहरी वास्तविकताएँ भिन्न हैं।
शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है, जो शहरी महिलाओं के बीच रोज़गार की उच्च अपूर्ण मांग को दर्शाती है। इस परिदृश्य में, भारत में महिलाओं के बीच शहरी बेरोज़गारी की चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक राष्ट्रीय महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (Women’s Urban Employment Guarantee Act- WUEGA) का प्रस्ताव किया गया है।
प्रस्तावित महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA):
- परिचय: महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) एक प्रस्तावित विधान है जिसका उद्देश्य शहरी बेरोज़गारी को, विशेष रूप से महिलाओं के लिये, संबोधित करना है। यह विशेष रूप से शहरी महिलाओं के लिये रोज़गार के अवसरों की गारंटी देने की मंशा रखता है।
- उद्देश्य: WUEGA का लक्ष्य शहरों में पुरुषों और महिलाओं के बीच रोज़गार के अवसरों में अंतराल को दूर करना होगा। WUEGA एक सुरक्षा जाल (safety net) और आय सुरक्षा प्रदान करने के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने और शहरी कार्यबल में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगा।
- संभावित विशेषताएँ:
- रोज़गार की गारंटी: WUEGA महिलाओं को प्रति वर्ष न्यूनतम कार्यदिवस (उदाहरण के लिये, 150 दिन) की गारंटी देने का प्रस्ताव करता है।
- स्थानीय कार्य: महिला के निवास से उचित दूरी (जैसे, 5 किमी) के भीतर कार्य अवसर सृजित किये जाएँगे।
- अभिगम्य अवसंरचना: कामकाजी माताओं के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का समाधान करने के लिये कार्यस्थलों पर बाल देखभाल केंद्रों जैसी आवश्यक सुविधाओं के प्रावधान भी शामिल हो सकते हैं।
- कौशल विकास: प्रस्ताव में उपलब्ध कार्य अवसरों और आवेदक समूह में महिलाओं की योग्यता के बीच किसी भी कौशल अंतराल को दूर करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल हो सकते हैं।
- महिला-नेतृत्वकारी प्रबंधन: यह प्रस्ताव करता है कि WUEGA प्रबंधन कर्मचारियों में एक उल्लेखनीय भाग महिलाओं का हो; WUEGA के अंतर्गत कार्यक्रम प्रबंधन कर्मचारी की कम से कम 50% (आदर्श रूप से 100%) महिलाएँ हो।
- समर्थनकारी उपाय: कल्याण बोर्डों में स्वचालित समावेशन जैसे प्रोत्साहन उपाय अपनाये जा सकते हैं; ये मातृत्व अधिकार और पेंशन प्रदान करने वाली एजेंसियों के रूप में कार्य कर सकते हैं तथा आपातकालीन निधि के लिये स्रोत के रूप में कार्य कर सकते हैं।
महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) की आवश्यकता क्यों है?
- शहरी रोज़गार में लैंगिक असमानताएँ:
- शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में प्रायः लिंग-आधारित असमानताएँ देखी जाती हैं। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में केवल 22.9% शहरी महिलाएँ ही कार्यरत थीं।
- शहरी क्षेत्रों में कार्यबल से बाहर मौजूद महिलाओं (15-59 आयु वर्ग) की संख्या लगभग 10.18 करोड़ है।
- मौजूदा शहरी रोज़गार योजनाएँ महिलाओं के समक्ष विद्यमान इन विशिष्ट चुनौतियों को उपयुक्त रूप से संबोधित नहीं करती हैं।
- शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में प्रायः लिंग-आधारित असमानताएँ देखी जाती हैं। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में केवल 22.9% शहरी महिलाएँ ही कार्यरत थीं।
- आर्थिक सशक्तीकरण और सतत विकास लक्ष्य:
- WUEGA शहरी महिलाओं को गारंटीकृत रोज़गार के अवसर प्रदान कर सशक्त बनाएगा। न्यूनतम कार्यदिवस सुनिश्चित करने से यह महिलाओं को अपने घरों और समुदायों में योगदान कर सकने में सक्षम बनाता है।
- लैंगिक समानता और आर्थिक सशक्तीकरण सहित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये महिलाओं के रोज़गार को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।
- बच्चों की देखभाल और समर्थनकारी अवसंरचना:
- शहरी महिलाओं के बीच शिक्षा के उच्च स्तर के बावजूद सामाजिक मानदंडों, सुरक्षा चिंताओं और परिवहन तक सीमित पहुँच जैसे विभिन्न कारकों के कारण कार्यबल में उनकी भागीदारी कम बनी हुई है।
- WUEGA कार्यस्थलों पर बाल देखभाल सुविधाओं की आवश्यकता पर बल देता है । ये प्रावधान महिलाओं को उनकी देखभाल संबंधी ज़िम्मेदारियों से समझौता किये बिना रोज़गार में भाग ले सकने में सक्षम बनाते हैं।
- सफल ग्रामीण रोज़गार योजनाओं से सबक लेना:
- WUEGA मनरेगा (MGNREGA) जैसी सफल ग्रामीण रोज़गार योजनाओं से प्रेरणा ग्रहण करते हुए शहरी संदर्भों के लिये सदृश मॉडल को अपना सकता है।
- WUEGA मौजूदा ढाँचे और अनुभवों का लाभ उठाकर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये सिद्ध रणनीतियों का निर्माण कर सकता है।
- आर्थिक वृद्धि और विकास की संभावना:
- महिलाओं की रोज़गार दर में वृद्धि श्रम शक्ति का विस्तार और उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के रूप में आर्थिक विकास के लिये उत्प्रेरक का कार्य कर सकती है।
- WUEGA में शहरी महिलाओं की प्रतिभा एवं सक्षमताओं का उपयोग करते हुए व्यापक आर्थिक विकास लक्ष्यों में योगदान कर सकने की क्षमता है।
महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) को लागू करने में संभावित चुनौतियाँ:
- वित्तीय बोझ:
- गारंटीकृत रोज़गार प्रदान करने से वेतन/मज़दूरी, अवसंरचना विकास (उदाहरण के लिये, कार्यस्थलों पर बाल देखभाल सुविधाएँ) और कार्यक्रम प्रशासन के संबंध में उल्लेखनीय लागत उत्पन्न होती है।
- उदाहरण के लिये, यदि 500 रुपए दैनिक मज़दूरी के साथ प्रति वर्ष 150 दिनों के कार्य की कल्पना करें, जिसका वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाना है, तो इस पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.5% व्यय करना होगा।
- स्थानीय क्षेत्र में रोज़गार सृजन:
- किसी महिला के निवास से उचित दूरी (उदाहरण के लिये, 5 किमी) के भीतर पर्याप्त विविध कार्य अवसर का सृजन करना, विशेष रूप से सघन आबादी वाले शहरों में, चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
- कार्यक्रम में उपयुक्त कार्य विकल्पों की अभिकल्पना के लिये स्थानीय आवश्यकताओं एवं आधारभूत संरचनाओं पर विचार करने की आवश्यकता होगी।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
- शहरी परिवेश में महिलाओं के लिये, विशेष रूप से कार्य के लिये आवागमन के दौरान, सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है।
- सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न या हिंसा का भय महिलाओं को रोज़गार के अवसर तलाशने से हतोत्साहित कर सकता है, जिससे कार्यबल में उनकी भागीदारी सीमित हो सकती है।
- NCRB की वार्षिक अपराध रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2022’ के आँकड़ों के अनुसार, प्रति एक लाख जनसंख्या पर महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दर 66.4 थी, जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर 75.8 दर्ज की गई थी।
- कौशल अंतराल:
- कई शहरी महिलाओं में औपचारिक रोज़गार के अवसरों के लिये आवश्यक कौशल एवं अनुभव की कमी हो सकती है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक उनकी पहुँच सीमित हो सकती है, जिससे कौशल स्तरों में असमानताएँ उत्पन्न हो सकती हैं और महिलाओं की रोज़गार क्षमता (employability) में बाधा आ सकती है।
- क्षमता निर्माण:
- सभी स्तरों पर कार्यक्रम प्रबंधन में कम से कम 50% महिलाओं की उपस्थिति सुनिश्चित करना आरंभ में कठिन सिद्ध हो सकता है।
- कार्यक्रम के प्रबंधन के लिये एक सुदृढ़ महिला कार्यबल के निर्माण के लिये केंद्रित क्षमता-निर्माण पहल की आवश्यकता हो सकती है।
- कानूनी और नौकरशाही संबंधी बाधाएँ:
- कुशल कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिये पंजीकरण, नौकरी आवंटन, शिकायत निवारण एवं निगरानी के प्रबंधन हेतु एक सुव्यवस्थित नौकरशाही की आवश्यकता होगी।
- ऐसे व्यक्तियों या समूहों द्वारा विरोध की स्थिति बन सकती है जो परिवर्तन के प्रतिरोधी हैं और यथास्थिति बनाए रखने की वकालत करते हैं। यह महिलाओं के रोज़गार अधिकारों को बढ़ाने के उद्देश्य से कानून के पारित होने में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- सामाजिक मानदंड और लैंगिक रूढ़िवादिता:
- गहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक अपेक्षाएँ कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को स्वीकार करने में बाधक बन सकती हैं, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जहाँ पारंपरिक लिंग भूमिकाएँ अधिक प्रकट हैं।
- देखभालकर्ता या गृहिणी के रूप में महिलाओं की भूमिकाओं के संबंध में प्रचलित रूढ़िवादिता औपचारिक रोज़गार में उनकी भागीदारी के लिये प्रतिरोध पैदा कर सकती है।
भारत में शहरी रोज़गार के लिये की गई सरकारी पहलें:
- केंद्र सरकार द्वारा:
- राज्य सरकारों द्वारा:
- केरल देश के पहले राज्यों में से एक था जिसने ‘अय्यंकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना’ (Ayyankali Urban Employment Guarantee Scheme- AUEGS) के माध्यम से 100 व्यक्ति-दिवस का गारंटीकृत वेतन रोज़गार प्रदान किया था, जिसे वर्ष 2011 में लॉन्च किया गया था। योजना दिशानिर्देशों के अनुसार केरल में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को महिलाओं को इस प्रकार प्राथमिकता देने की आवश्यकता है कि वे योजना के लाभार्थियों में कम से कम 50% हिस्सेदारी रखती हों।
- हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना वर्ष 2020 में लॉन्च की गई जो एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक परिवार को 120 दिनों की गारंटीकृत वेतन रोज़गार प्रदान करने के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर लक्षित है।
- झारखंड में मुख्यमंत्री श्रमिक योजना वर्ष 2020 में लॉन्च की गई जो एक वित्तीय वर्ष में गारंटीकृत 100 दिन का वेतन रोज़गार प्रदान कर राज्य में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर लक्षित है।
WUEGA के प्रभावी अधिनियमन के लिये आगे की राह:
- लिंग-विभेदीकृत डेटा एकत्रित करना:
- लिंग-विभेदीकृत डेटा (Gender-disaggregated data) नीति निर्माताओं को शहरी महिलाओं के समक्ष रोज़गार तक पहुँच और कार्यरत बने रहने में विद्यमान विशिष्ट चुनौतियों के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- संग्रहित डेटा में पसंद की जाती नौकरियों के रुझान, वर्ष के वे दिन जब महिलाएँ इन कार्य अवसरों से संलग्न होती हैं, योजना का चयन करने वाली महिलाओं की शिक्षा का स्तर इत्यादि को दर्ज किया जाना चाहिये।
- लैंगिक दृष्टि से शहरी रोज़गार योजना तैयार करना:
- महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (डब्ल्यूयूईजीए) को एक सर्वव्यापी कानून के रूप में प्रारूपित किया जाए, जो लिंग-विभेदीकृत डेटा के आधार पर सरकार और प्राप्तकर्ताओं दोनों के अधिकारों, विशेषाधिकारों एवं उत्तरदायित्वों को निरूपित करता हो।
- विधान में समान कार्य के लिये समान वेतन अनिवार्य किया जाना चाहिये, जहाँ यह सुनिश्चित करना चाहिये कि महिलाओं को समान कार्य भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों के लिये अपने पुरुष समकक्षों के समान वेतन प्राप्त हो।
- संसाधन आवंटन और क्षमता निर्माण:
- WUEGA के कार्यान्वयन के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित किया जाए ताकि वेतन, प्रशासनिक व्यय, अवसंरचना विकास और क्षमता निर्माण पहल के लिये पर्याप्त धन उपलब्ध हो।
- WUEGA के प्रभावी कार्यान्वयन एवं प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये सरकारी अधिकारियों, कार्यक्रम प्रशासकों और लाभार्थियों के लिये प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान किये जाएँ।
- कार्यान्वयन के लिये चरणबद्ध दृष्टिकोण:
- WUEGA को लागू करने की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिये चुनिंदा शहरी क्षेत्रों में पायलट कार्यक्रम शुरू किये जाएँ। विभिन्न शहरी क्षेत्रों की तैयारी का आकलन करने और संभावित चुनौतियों एवं अवसरों की पहचान करने के लिये व्यवहार्यता अध्ययन आयोजित किये जाएँ।
- WUEGA का कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाए। इसका आरंभ शहरी क्षेत्रों से हो जहाँ अवसंरचना एवं समर्थनकारी प्रणालियाँ अपेक्षाकृत सुविकसित होती हैं और फिर धीरे-धीरे इसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया जाए।
- कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी करना:
- रोज़गार सृजन, आय वृद्धि और कौशल विकास जैसे परिणामों पर ध्यान देने के साथ कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी करने, कार्यक्रम की प्रभावशीलता का आकलन करने तथा सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिये सुदृढ़ निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र स्थापित किये जाएँ।
- सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करना:
- सुरक्षा चिंताओं को कम करने और अधिक कार्यबल भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उपाय लागू किये जाएँ, जिनमें पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, निगरानी प्रणाली एवं पुलिस गश्त बढ़ाना शामिल है।
- महिला उद्यमियों का समर्थन करना:
- महिला उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने के लिये सहायता एवं प्रोत्साहन प्रदान किया जाए, जिसमें वित्तीय संसाधनों, परामर्श कार्यक्रमों एवं नेटवर्किंग अवसरों तक पहुँच शामिल है, ताकि रोज़गार और आर्थिक सशक्तीकरण के लिये वैकल्पिक अवसर सृजित किये जा सकें।
- साझेदारी और सहयोग:
- नागरिक समाज संगठनों, सामुदायिक समूहों, निजी क्षेत्र के हितधारकों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी का निर्माण किया जाए।
- जागरूकता बढ़ाना और दृष्टिकोण में बदलाव लाना:
- लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और कार्यबल में महिलाओं की भूमिकाओं एवं क्षमताओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने के लिये जागरूकता अभियान एवं संवेदीकरण कार्यक्रम संचालित किये जाएँ।
निष्कर्ष:
भारत का संविधान समानता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का समर्थन करता है, जहाँ रोज़गार में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिये सकारात्मक कार्रवाई का उपबंध किया गया है। WUEGA को लागू करना लैंगिक समानता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के इन संवैधानिक अधिदेशों एवं और नैतिक दायित्वों के अनुरूप है।
अभ्यास प्रश्न: भारत में महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम को लागू करने की आवश्यकता और आगे की राह की संभावित बाधाओं पर विचार कीजिये। देश में महिलाओं के प्रभावी आर्थिक सशक्तीकरण हेतु आवश्यक रणनीतियाँ बताइये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रीय निर्धनों के आजीविका विकल्पों को सुधारने का किस प्रकार प्रयास करता है? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्र. भारत में महिलाओं की सशक्तीकरण प्रक्रिया में 'गिग इकोनॉमी' की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (2021) |