विश्व जल सप्ताह एवं जल जीवन मिशन | 24 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:विश्व जल सप्ताह, जल जीवन मिशन, त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति योजना, पंचायती राज संस्थान, हर घर जल कार्यक्रम, कावेरी नदी विवाद, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेन्स के लिये:जल जीवन मिशन की वर्तमान स्थिति, भारत में जल संसाधन प्रबंधन से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
20 से 24 अगस्त, 2023 तक चलने वाला विश्व जल सप्ताह स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय जल संस्थान द्वारा आयोजित वार्षिक वैश्विक जल मंच है। इस वर्ष की थीम- "सीड्स ऑफ चेंज: इनोवेटिव साॅल्यूशन फॉर अ वाटर-वाइज़ वर्ल्ड" है, यह वर्तमान जल चुनौतियों से निपटने में नवाचार के महत्त्व पर प्रकाश डालती है।
- इसी क्रम में वर्ष 2019 में शुरू किये गए जल जीवन मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित व पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है।
- इस महत्त्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य विगत कार्यक्रमों की कमियों से सीखना तथा उनकी विफलताओं को सुधारना है।
ग्रामीण जलापूर्ति हेतु जल जीवन मिशन को आकार देने के प्रयास और चुनौतियाँ:
- पूर्व में किये गए प्रयास और कमियाँ:
- प्रारंभिक प्रयास (वर्ष 1950-1960): भारत की पहली पंचवर्षीय योजना (वर्ष 1951-56) के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में जल की आपूर्ति को प्राथमिकता दी गई थी। हालाँकि शुरू में इसके केंद्र में वे ही गाँव थे जहाँ इसकी सुविधा आसानी से उपलब्ध कराई जा सके।
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम (1969): संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के तकनीकी सहयोग से बोरवेल की खुदाई और पाइप के माध्यम से जल के कनेक्शन प्रदान करने का काम शुरू हुआ, लेकिन कार्यक्रम का कवरेज़ असमान रहा।
- दृष्टिकोण में बदलाव (1970-1980): इस दौरान त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति योजना (Accelerated Rural Water Supply Scheme- ARWS) और न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम जैसी विभिन्न पहलें शुरू की गईं लेकिन इनके कार्यान्वयन तथा कवरेज़ में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- मिशन संबंधी दृष्टिकोण का विकास (1986-1996): ARWS को बदलकर राष्ट्रीय पेयजल मिशन किया गया, फिर बाद में इसे राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन (1991) कर दिया गया।
- इसी क्रम में जल आपूर्ति की ज़िम्मेदारी पंचायती राज संस्थानों को सौंपी गई।
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2002 और 2007 के बीच मौजूदा योजनाएँ लक्षित बस्तियों का लगभग 50% हिस्सा ही कवर कर सकीं।
- वर्ष 2017 में हर घर जल कार्यक्रम को सरकार द्वारा सुरक्षित पेयजल के लिये हर घर में पाइप से पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
- हालाँकि पेयजल और स्वच्छता विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2018 तक केवल 20% ग्रामीण घरों को पाइप का पेयजल सफलतापूर्वक मिल पाया था।
- पिछली योजनाओं की प्रमुख कमियाँ:
- अस्थिर जल स्रोत: भूजल पर निर्भरता के कारण यह कमी देखी गई, जिससे शुरू में कवर किये गए कुछ गाँवों की समय के साथ जल तक पहुँच में कमी आई।
- सामुदायिक स्वामित्व का अभाव: समुदायों के बीच अपर्याप्त स्वामित्व की भावना के परिणामस्वरूप उन्हें खराब संरक्षण एवं निष्क्रिय मूलभूत सुविधाओं का सामना करना पड़ा।
- पारदर्शिता का अभाव: अपर्याप्त सार्वजनिक जागरूकता और भागीदारी ने प्रगति एवं संवेदीकरण प्रयासों में बाधा उत्पन्न की।
- धन का कुप्रबंधन: पर्याप्त निवेश के बावजूद धन आवंटन और उपयोग में अक्षमताओं के कारण जल आपूर्ति की समस्या बनी रही।
- जल जीवन मिशन: अतीत से सीख:
- विविध जल स्रोत: मिशन पुनर्भरण और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतही जल एवं भूजल दोनों के दोहन की अनुमति देता है।
- सामुदायिक सहभागिता: मिशन सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए समुदायों को संवेदनशील बनाने और सभी स्तरों पर अधिकारियों को उत्तरदायी बनाने पर ज़ोर देता है।
- सूचना साझा करना: एक केंद्रीय डैशबोर्ड सार्वजनिक रूप से प्रगति का डेटा साझा करता है, स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है और कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।
- समग्र दृष्टिकोण: इस कार्यक्रम में आपदा संबंधी तैयारी, पर्याप्त जल हस्तांतरण, तकनीकी हस्तक्षेप और गंदे पानी का प्रबंधन शामिल है।
जल जीवन मिशन की वर्तमान स्थिति:
- उद्देश्य:
- जल जीवन मिशन (ग्रामीण): इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (Functional Household Tap Connections FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी उपलब्ध कराना है।
- यह जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
- जल जीवन मिशन (ग्रामीण): इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (Functional Household Tap Connections FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी उपलब्ध कराना है।
नोट: भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (शहरी) भी लॉन्च किया है जो JJM(R) का पूरक है और इसे भारत के सभी 4,378 वैधानिक शहरों में कार्यात्मक नल के माध्यम से जल आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- वर्तमान स्थिति:
- 3 जनवरी, 2023 तक नल के पानी के कनेक्शन तक पहुँच रखने वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या बढ़कर 108.7 मिलियन हो गई, जो 56.14% के बराबर है।
- नतीजतन, मिशन को आगामी दो वर्षों के भीतर अतिरिक्त 76.3 मिलियन ग्रामीण परिवारों (47.3%) तक कवरेज को बढ़ाना पड़ सकता है।
- जैसा कि कार्यक्रम के डैशबोर्ड द्वारा बताया गया है कि अब तक हर घर जल मिशन की स्थिति, जिसमें सभी ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान शामिल है, 9 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तक पहुँच गया है जो कि हरियाणा, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुद्दुचेरी, दमन और दीव तथा दादर नागर हवेली, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश हैं।
- 3 जनवरी, 2023 तक नल के पानी के कनेक्शन तक पहुँच रखने वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या बढ़कर 108.7 मिलियन हो गई, जो 56.14% के बराबर है।
भारत में जल संसाधन प्रबंधन से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ:
- भूजल की कमी और शहरीकरण: हमारा ध्यान अक्सर सतही जल स्रोतों पर होता है, जबकि भूजल की कमी भी एक गंभीर चुनौती है।
- द्रुत शहरीकरण के कारण पानी की मांग बढ़ती है, जिससे भूजल का अत्यधिक दोहन होता है।
- जैसे-जैसे शहरों का विस्तार होता है, मिट्टी की सतह अभेद्य चीज़ों से ढक जाती है, जिससे भूजल पुनर्भरण कम हो जाता है।
- अंतर-राज्यीय जल विवाद और संघवाद: जल-बँटवारे समझौतों पर अंतर-राज्यीय संघर्ष, जैसे कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी विवाद, राज्य की स्वायत्तता एवं राष्ट्रीय हित के बीच तनाव को उजागर करते हैं।
- जल की गुणवत्ता और स्वास्थ्य: मात्रा से परे जल की गुणवत्ता एक गंभीर मुद्दा है। औद्योगिक निर्वहन, कृषि अपवाह और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण प्रदूषण से जलजनित बीमारियों का प्रसार होता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
- लिंग गतिशीलता और जल संग्रहण: कई ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ और लड़कियाँ पानी लाने की ज़िम्मेदारी उठाती हैं।
- यह न केवल उनके शैक्षिक और आर्थिक अवसरों को सीमित करता है, बल्कि दूर के जल स्रोतों तक लंबी पैदल यात्रा के दौरान उन्हें उत्पीड़न और हिंसा के खतरे में भी डालता है।
- जलवायु परिवर्तन और हिमनदों का पीछे हटना: हिमालय के ग्लेशियर, जो कई भारतीय नदियों के लिये एक प्रमुख जल स्रोत के रूप में काम करते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण घट रहे हैं।
- इससे दीर्घावधि में पानी की कमी हो सकती है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होंगे जो सिंचाई और पीने के पानी के लिए इन नदियों पर निर्भर हैं।
- कुशल अपशिष्ट जल प्रबंधन का अभाव: भारत में जल संसाधनों की घटती आपूर्ति के साथ, अकुशल अपशिष्ट जल प्रबंधन देश की क्षमता को कमजोर कर रहा है जिससे वह इसका अत्यधिक लाभकर उपयोग नहीं कर पा रहा है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board, March 2021) द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वर्तमान जल उपचार क्षमता 27.3% और सीवेज उपचार क्षमता 18.6% है।
आगे की राह
- स्थानीय जल संसाधन प्रबंधन: जल जीवन मिशन की भूमिका को दोहरे दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिये, जिसमें जल संसाधनों की आपूर्ति प्रबंधन तथा स्थिरता दोनों पर ज़ोर दिया जाना चाहिये, क्योंकि जल जीवन (Jal Jeevan) स्वयं जल के जीवन (Life of Water) का प्रतीक है। मानव जाति के स्वस्थ जीवन की कल्पना तभी की जा सकती है जब वह जल के स्वस्थ जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित करे।
- इसलिये शहर स्तर पर प्रभावी वाटरशेड प्रबंधन योजनाओं को तैनात करने की आवश्यकता है तथा सभी घरों के लिये वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- वाटर फुटप्रिंट लेबलिंग: वस्तुओं के उत्पादन में उपयोग किये जाने वाले जल के बारे में उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने हेतु कार्बन फुटप्रिंट लेबल के समान उत्पादों के लिये वाटर फुटप्रिंट लेबलिंग सिस्टम (Water Footprint Labeling System) को लागू करना। इससे जल-कुशल उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।
- जल-ऊर्जा एकीकरण प्रबंधन: संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने के लिये जल और ऊर्जा प्रबंधन रणनीतियों को एकीकृत करना।
- उदाहरण के लिये विद्युत संयंत्रों में शीतलन के लिये उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करना तथा जल शुद्धिकरण के लिये औद्योगिक प्रक्रियाओं से अतिरिक्त ऊष्मा का उपयोग करना।
- हाइड्रो-रेस्पॉन्सिव अर्बन प्लानिंग: जल की उपलब्धता के अनुकूल शहरों को डिज़ाइन करके हाइड्रो-रेस्पॉन्सिव अर्बन प्लानिंग (जलीय रूप से उत्तरदायी शहरी नियोजन) लागू करना।
- गतिशील बाढ़ अवरोधक (Movable Flood Barriers), अनुकूलनीय जल निकासी प्रणाली और मॉड्यूलर इमारतों जैसे लचीले बुनियादी ढाँचे को शामिल करना जिन्हें बदलते जल स्तर के आधार पर समायोजित किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. ‘वाटरक्रेडिट’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? (2020) प्रश्न. रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइये। (2020) |