भारतीय अर्थव्यवस्था
वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक रिपोर्ट-2022
- 31 Mar 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022, आईआरईएनए, डीकार्बोनाइज़ेशन, पेरिस समझौता, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, जलवायु परिवर्तन। मेन्स के लिये:वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022 के प्रमुख बिंदु। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी ( International Renewable Energy Agency- IRENA) द्वारा बर्लिन एनर्जी ट्रांज़िशन डायलॉग (Berlin Energy Transition Dialogue-BETD) में वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022 (World Energy Transitions Outlook 2022) को लॉन्च किया गया।
- बर्लिन एनर्जी ट्रांज़िशन डायलॉग (BETD) ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय मंच बन गया है।
प्रमुख बिंदु
एनर्जी ट्रांज़िशन:
- एनर्जी ट्रांज़िशन या ऊर्जा संक्रमण को वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की ऊर्जा उत्पादन और खपत को जीवाश्म-आधारित प्रणालियों जैसे-तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोयले को पवन तथा सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ लिथियम-आयन बैटरी से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में देखा जाता है।
आउटलुक का उद्देश्य:
- जारी आउटलुक उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के आधार पर उन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और कार्यों को निर्धारित करता है जिन्हें वर्ष 2030 तक प्राप्त किया जाना है ताकि मध्य शताब्दी तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
- इस आउटलुक में अब तक के सभी ऊर्जा उपयोगों की प्रगति को प्रदर्शित किया गया है, जो दर्शाता है कि नवीकरणीय आधारित ट्रांज़िशन (Renewables-Based Transition) की वर्तमान गति और मापन अपर्याप्त है।
- यह अंतिम उपयोग क्षेत्रों के डीकार्बोनाइज़ेशन हेतु विशेष रूप से प्रासंगिक दो क्षेत्रों (विद्युतीकरण और बायोएनर्जी) का गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
- यह 1.5 डिग्री सेल्सियस (पेरिस समझौते के तहत) के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का भी निरीक्षण करता है और स्वच्छ ऊर्जा (नवीकरणीय ऊर्जा) तक सार्वभौमिक पहुंँच की दिशा में प्रगति को गति देने के तरीके को भी सुझाता है।
आउटलुक के महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) की अनुशंसा के अनुसार, वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा का वैश्विक वार्षिक परिवर्धन तिगुना हो जाएगा।
- साथ ही कोल पावर को पूरी तरह से परिवर्तित करना होगा, जीवाश्म ईंधन के गुणों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना होगा और बुनियादी ढांँचे को उन्नत करना होगा।
- आउटलुक विद्युतीकरण और दक्षता को अक्षय ऊर्जा, हाइड्रोजन तथा टिकाऊ बायोमास के माध्यम से सक्षम ऊर्जा ट्रांज़ीशन के प्रमुख चालकों के रूप में देखता है।
- विद्युतीकरण, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रत्यक्ष उपयोग के माध्यम से उपलब्ध कई समाधानों के साथ अंतिम उपयोग डीकार्बोनाइज़ेशन केंद्र स्तर पर ले जाएगा।
- उच्च जीवाश्म ईंधन की कीमतें, ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताएंँ और जलवायु परिवर्तन की तात्कालिकता एक स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली में तेज़ी से आगे बढ़ने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
सिफारिशें
- वर्तमान ऊर्जा संकट को संबोधित करने वाले अल्पकालिक हस्तक्षेपों के साथ-साथ ऊर्जा ट्रांज़िशन के मध्य एवं दीर्घकालिक लक्ष्यों पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- अक्षय ऊर्जा को सभी क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर बढ़ाना होगा, ताकि कुल ऊर्जा में इसकी हिस्सेदारी 14% से बढ़कर वर्ष 2030 में लगभग 40% तक पहुँच जाए।
- सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ताओं एवं कार्बन उत्सर्जक को वर्ष 2030 तक सबसे महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को लागू करना होगा।
- सभी देशों को अधिक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने एवं ऊर्जा दक्षता बढ़ाने तथा नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती के उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।
- 1.5 डिग्री सेल्सियस परिदृश्य को पूरा करने के लिये बिजली क्षेत्र को मध्य शताब्दी तक पूरी तरह से कार्बन मुक्त करना होगा, जिसमें सौर एवं पवन ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।
अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA):
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे आधिकारिक तौर पर जनवरी 2009 में बॉन, जर्मनी में स्थापित किया गया था।
- वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 164 हैं और भारत इसका 77वाँ संस्थापक सदस्य देश है।
- इसका मुख्यालय अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है।
भारत के ऊर्जा ट्रांज़िशन की स्थिति:
- परिचय:
- 30 नवंबर, 2021 को देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावॉट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जल-विद्युत: 4.83 गीगावाट, जैव-शक्ति: 10.62 गीगावाट, हाइड्रो: 46.51 गीगावाट), जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट थी।
- भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है।
- यह कुल गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता को 157.32 गीगावाट तक लाता है जो कि 392.01 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40.1% है।
- COP26 में भारत ने घोषणा की कि वह वर्ष 2070 तक पाँच सूत्री कार्य योजना के हिस्से के रूप में कार्बन तटस्थता तक पहुँच जाएगा, जिसमें वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को 50% तक कम करना भी शामिल है।
- 30 नवंबर, 2021 को देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावॉट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जल-विद्युत: 4.83 गीगावाट, जैव-शक्ति: 10.62 गीगावाट, हाइड्रो: 46.51 गीगावाट), जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट थी।
- ऊर्जा ट्रांज़िशन सूचकांक में भारत का स्थान:
- विश्व आर्थिक मंच के बेंचमार्क ‘वैश्विक ऊर्जा ट्रांज़िशन सूचकांक’ (ETI) 2021 में भारत 110 देशों में 87वें स्थान पर है।
- संबंधित पहल/योजनाएँ:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:
- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (One Sun One World One Grid - OSOWOG)
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम)
- सोलर पार्क योजना और ग्रिड से जुड़ी रूफटॉप सौर योजना
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति 2018
- हाइड्रोजन आधारित ईंधन सेल वाहन।
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
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