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जैव विविधता और पर्यावरण

वर्ल्ड सिटीज़ रिपोर्ट 2024

  • 07 Nov 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूएन-हैबिटेट, आर्द्र जलवायु, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, चक्रवात, ग्रीन जेंट्रीफिकेशन, संयुक्त राष्ट्र महासभा, शहरीकरण, असमानता, मीथेन, लैंडफिल, शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव, इलेक्ट्रिक वाहन, ग्रीन रूफ, शहरी वन, शहरी नियोजन, ग्रीन बॉण्ड। 

मेन्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग में शहरों का योगदान। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में शहरों की भूमिका।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में यूएन-हैबिटेट ने वर्ल्ड सिटीज़ रिपोर्ट 2024: सिटीज़ एंड क्लाइमेट एक्शन जारी की है।

  • इस रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ये शहर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे बड़े योगदानकर्त्ताओं में से हैं और इन पर जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक गंभीर प्रभावों में असंगतता है।

वर्ल्ड सिटीज़ रिपोर्ट, 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • तापमान में वृद्धि: वर्ष 2040 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लगभग दो अरब लोगों को तापमान में 0.5°C की वृद्धि का अनुभव होगा।
    • 14% शहरों के शुष्क जलवायु में परिवर्तित होने की उम्मीद है जबकि कम से कम 900 शहर अधिक आर्द्र जलवायु (विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र) में परिवर्तित हो सकते हैं।
  • समुद्र के जल स्तर में वृद्धि: वर्ष 2040 तक निचले तटीय क्षेत्रों में स्थित 2,000 से अधिक शहरों (जिनमें से अधिकतर समुद्र के जल स्तर से 5 मीटर से भी कम ऊँचाई पर होंगे) के 1.4 बिलियन से अधिक लोगों को समुद्र-स्तर में वृद्धि के साथ तूफानी लहरों के कारण उच्च जोखिम का सामना करना पड़ेगा।
  • असंगत प्रभाव: शहरी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से असंगत रूप से प्रभावित होते हैं लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी यह प्रमुख योगदान देते हैं, जिससे ये बाढ़ और चक्रवात जैसे जलवायु उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • निवेश की कमी: जलवायु-अनुकूल प्रणालियाँ विकसित करने के लिये, शहरों को प्रति वर्ष अनुमानित 4.5 से 5.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होती है। हालाँकि वर्तमान वित्तपोषण केवल 831 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो कि वित्तपोषण की कमी को दर्शाता है।
  • नदीय बाढ़: शहरों में बाढ़ का जोखिम काफी बढ़ गया है, वर्ष 1975 के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में यह 3.5 गुना तेज़ी से बढ़ा है।
    • वर्ष 2030 तक शहरों में 517 मिलियन लोग नदी की बाढ़ से प्रभावित होंगे
  • हरित स्थानों में गिरावट: शहरी हरित स्थानों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो वर्ष 1990 के 19.5% से घटकर वर्ष 2020 में 13.9% रह गए हैं, जिससे शहरों में पर्यावरणीय एवं सामाजिक दोनों तरह की चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं।
  • भेद्यता में वृद्धि: अनौपचारिक बस्तियाँ (झुग्गी-झोपड़ियाँ) भेद्यता की प्रमुख चालक हैं क्योंकि ये अक्सर बाढ़-प्रवण, निचले इलाकों या अनिश्चित क्षेत्रों में स्थित होती हैं।
    • सुरक्षात्मक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण ये जलवायु प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
  • ग्रीन जेंट्रीफिकेशन: कुछ जलवायु हस्तक्षेपों (जैसे पार्कों के निर्माण) के परिणामस्वरूप ग्रीन जेंट्रीफिकेशन से वंचित समुदायों को विस्थापित होना पड़ा है।
  • जेंट्रीफिकेशन का आशय है कि कम आय वाले क्षेत्र में धनी निवासियों और व्यवसायों के आगमन के कारण परिवर्तन होता है, जिसके परिणामस्वरूप संपत्ति के मूल्य एवं किराए में वृद्धि होती है।

यूएन-हैबिटेट

  • अधिदेश: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित यूएन-हैबिटैट सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय शहरी विकास को बढ़ावा देने पर बल देता है।
  • वैश्विक फोकल प्वाइंट: यह शहरीकरण और मानव बस्ती संबंधी मुद्दों के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत प्रमुख एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
  • मुख्य मिशन: इसका उद्देश्य समावेशी, सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहरों एवं समुदायों का निर्माण करना तथा असमानता, भेदभाव और गरीबी को कम करना है।
  • वैश्विक उपस्थिति: यह ज्ञान साझाकरण, नीतिगत सलाह और तकनीकी सहायता के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में परिवर्तनकारी बदलाव को बढ़ावा देने के लिये 90 से अधिक देशों में कार्यरत है।
  • रणनीतिक दृष्टिकोण (2020-2023 योजना): 21वीं सदी की शहरी चुनौतियों से निपटने के लिये एक समग्र एवं एकीकृत रणनीति पर बल दिया गया है।
  • चार मुख्य भूमिकाएँ:
    • थिंक: मानक कार्य, अनुसंधान, क्षमता निर्माण, नीति निर्माण और वैश्विक मानक स्थापित करने में संलग्न होना।
    • कार्य: टिकाऊ शहरीकरण को समर्थन देने के लिये तकनीकी सहायता एवं संकट प्रतिक्रिया परियोजनाएँ विकसित करना।
    • साझाकरण: विकास योजनाओं और निवेशों में परिवर्तन को प्रेरित करने के लिये संचार और आउटरीच को महत्त्व देना।
    • साझेदारी: शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिये सरकारों, अंतर-सरकारी निकायों, नागरिक समाज, शिक्षा जगत तथा निजी क्षेत्र के साथ कार्य करना।

शहरी क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग में किस प्रकार योगदान देते हैं?

  • ऊर्जा खपत: ऊर्जा-गहन उद्योग, परिवहन, तथा उच्च घनत्व वाले आवासीय और वाणिज्यिक भवन शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जो विश्व भर में अंतिम ऊर्जा उपयोग के CO2 उत्सर्जन में 71-76% का योगदान करते हैं।
    • शहरी जीवनशैली ऊर्जा-प्रधान होती है, जिसमें भवनों में बिजली, हीटिंग और शीतलन जैसी प्रणालियों की उच्च मांग होती है।
  • औद्योगिक गतिविधियाँ: कारखाने और बिजली संयंत्र जो जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) सहित विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में योगदान करते हैं।
  • भूमि उपयोग में परिवर्तन: आवास, बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक विकास के लिये भूमि को साफ करने से पृथ्वी की कार्बन को अवशोषित करने तथा संग्रहीत करने की क्षमता कम हो जाती है।
    • अनुमान है कि वर्ष 2015 और 2050 के बीच शहरी भूमि क्षेत्रों की वृद्धि तीन गुनी से भी अधिक हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप वनोंमूलन और आवासीय विनाश होगा।
  • अपशिष्ट उत्पादन और लैंडफिल: जैविक अपशिष्ट का लैंडफिल में विघटित होने से मीथेन नामक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित होती है, जिसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता CO2 से कई गुना अधिक है।
  • अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट: शहर, विशेष रूप से वे शहर जिनमें कंक्रीट, डामर और भवन शामिल है, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक ऊष्मा को अवशोषित और बनाए रखते हैं, जिससे अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट उत्पन्न होता है।

Urban_Areas_and_Global_Warming

ग्लोबल वार्मिंग से शहर किस प्रकार प्रभावित होते हैं?

  • हीटवेव: ग्लोबल वार्मिंग के कारण वैश्विक तापमान और हीटवेव की आवृत्ति में भी वृद्धि हो रही है। उदाहरण के लिये, भारत में हीटवेव जैसी घटनाएँ देखने को मिलती हैं।
  • अर्बन हीट आइलैंड (UHIs): UHIs महानगरीय क्षेत्र हैं जो ताप अवशोषित करने वाली सतहों और ऊर्जा उपयोग के कारण आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं। 
  • तटीय बाढ़: जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होती है, ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघलती हैं, जिससे महासागरों में जल की मात्रा बढ़ने से समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है। 
    • इससे तटीय क्षेत्र जलमग्न, समुदाय विस्थापित, तथा पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो जाते हैं। 
  • वनाग्नि का मौसम: बढ़ते तापमान और दीर्घकालिक सूखे के कारण वनाग्नि मौसम की अवधि अधिक और तीव्र हो गई है, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ गया है।

आगे की राह   

  • समुत्थानशील बुनियादी ढाँचा: बुनियादी ढाँचा GHG को कम करने में मुख्य भूमिका निभाता है, जो कुल उत्सर्जन के 79% के लिये ज़िम्मेदार है और 72% SDG लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • बुनियादी ढाँचे को जलवायु प्रभावों का सामना करने के लिये डिज़ाइन किया जाना चाहिये तथा सामुदायिक भेद्यता को बढ़ाने वाले सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों का समाधान करना चाहिये।
  • हरित ऊर्जा: सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से व्यक्तिगत और सामूहिक गतिशीलता के कार्बन पदचिह्न में कमी आएगी।
  • विविध वित्तपोषण मिश्रण: वित्तीय अंतराल को पाटने के लिये, अच्छी तरह से संरचित ऋण और ऋण सुविधाएँ शहरों को दीर्घकालिक जलवायु समाधानों में निवेश करने में सहायता कर सकती हैं।
    • जलवायु-अनुकूल ऋण और ग्रीन बॉण्ड सहित किफायती वित्तपोषण मॉडल, शहरों को जलवायु परियोजनाओं के लिये आवश्यक पूंजी सुरक्षित करने में मदद कर सकते हैं।
  • शहरी कार्बन सिंक: शहर प्रकृति आधारित समाधानों जैसे कि हरित छतों, शहरी वनों और पार्कों में निवेश करके उत्सर्जन को कम कर सकते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।
    • सघन शहरी नियोजन से शहरी विस्तार कम होता है, जिससे व्यापक यात्रा की आवश्यकता कम होती है और संबंधित उत्सर्जन कम होता है।
  • परिपत्र अपशिष्ट प्रबंधन: प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन पद्धतियाँ, जैसे पुनर्चक्रण और खाद बनाना, लैंडफिल से मीथेन उत्सर्जन को रोकती हैं।
  • समग्र समाज दृष्टिकोण: सरकारी स्तरों के बीच ऊर्ध्वाधर समन्वय तथा विभिन्न क्षेत्रों और हितधारकों के बीच क्षैतिज समन्वय, सुसंगत, समावेशी और प्रभावी जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

Whole_of_Society_Approach

  • स्थानीय क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना: स्थानीय सरकारें अपने समुदायों की विशिष्ट चुनौतियों और आवश्यकताओं को समझने के कारण, उनके अनुरूप, स्थानीय रूप से उपयुक्त समाधान विकसित करने के लिये सर्वोत्तम स्थिति में होती हैं।
    • जीवनशैली में बदलाव को प्रोत्साहित करने से, जैसे निजी वाहन के उपयोग के स्थान पर पैदल चलना, बाइक चलाना और कारपूलिंग को प्राथमिकता देना, मांग को और कम कर सकता है।

निष्कर्ष

वर्ल्ड सिटीज़ रिपोर्ट 2024 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये शहरों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जिसमें उनकी भेद्यता और वैश्विक तापमान वृद्धि में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया है। प्रभावी समाधानों के लिये लचीले बुनियादी ढाँचे, हरित ऊर्जा और सर्कुलर अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता है जिसे जलवायु-अनुकूल एवं समावेशी शहरी वातावरण निर्माण के लिये विविध वित्तपोषण और स्थानीयकृत कार्यों द्वारा समर्थित किया जाता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि शहरी क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग में किस प्रकार योगदान देते हैं तथा उनके प्रभाव को कम करने के लिये क्या उपाय आवश्यक हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2021) 

  1. 'शहर का अधिकार' एक सहमत मानव अधिकार है और संयुक्त राष्ट्र-आवास इस संबंध में प्रत्येक देश द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं की निगरानी करता है। 
  2. 'शहर का अधिकार' शहर के प्रत्येक निवासी को सार्वजनिक स्थानों और शहर में सार्वजनिक भागीदारी को पुनः प्राप्त करने का अधिकार देता है। 
  3. शहर का अधिकार' का अर्थ है कि राज्य, शहर में अनधिकृत कॉलोनियों को किसी भी सार्वजनिक सेवा या सुविधा से वंचित नहीं कर सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a)  केवल 1 
(b) केवल 3  
(c) केवल 1 और 2  
(d) केवल 2 और 3  

उत्तर: C 


प्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावास को आज्ञापित किया गया है कि वह सामाजिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय ऐसे कस्बों एवं शहरों को संवर्द्धित करे जो सभी को पर्याप्त आश्रय प्रदान करते हों। 
  2. इसके साझीदार सिर्फ सरकारें या स्थानीय नगर प्राधिकरण ही हैं। 
  3. संयुक्त राष्ट्र पर्यावास, सुरक्षित पेयजल व आधारभूत स्वच्छता तक पहुँच बढ़ाने और गरीबी कम करने के लिये संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के समग्र उद्देश्य में योगदान करता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न: पिछले कुछ वर्षों में भारी बारिश के कारण शहरी बाढ़ की आवृत्ति बढ़ रही है। शहरी बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए, ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने के लिये तैयारियों के तंत्र पर प्रकाश डालिये। (2016)

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