भारतीय अर्थव्यवस्था
विश्व जैव ईंधन दिवस 2024
- 13 Aug 2024
- 16 min read
प्रिलिम्स के लिये:जैव ईंधन, जैव ईंधन के प्रकार, इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP), जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, विभेदक इथेनॉल मूल्य निर्धारण। मेन्स के लिये:इथेनॉल, इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम: महत्त्व, चुनौतियाँ, सरकारी नीतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, 10 अगस्त 2024 को विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया गया। इसका उद्देश्य स्थायी ऊर्जा विकल्पों के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जैव ईंधन उद्योग का समर्थन करने वाली सरकारी पहलों को उजागर करना है।
- यह दिन 9 अगस्त 1893 को जर्मन इंजीनियर सर रुडोल्फ डीजल द्वारा मूंगफली के तेल पर इंजन के सफल संचालन की याद में भी मनाया जाता है।
जैव ईंधन क्या हैं?
- परिचय:
- जैव ईंधन पौधों या पशु के अपशिष्टों के बायोमास से प्राप्त ईंधन है।
- इसे आमतौर पर मकई, गन्ना और गाय के गोबर जैसे पशु अपशिष्टों से बनाया जाता है।
- ये ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के अंतर्गत आते हैं।
- सबसे आम जैव ईंधन:
- इथेनॉल: यह मकई और गन्ने जैसे फसल अवशेषों के किण्वन द्वारा निर्मित होता है। किण्वन के बाद, इथेनॉल को पेट्रोलियम के साथ मिलाया जाता है, जिससे यह पतला हो जाता है और उत्सर्जन कम हो जाता है।
- सबसे आम मिश्रण इथेनॉल-10 है, जिसमें 10% इथेनॉल होता है।
- ईंधन में प्रयोग किया जाने वाला इथेनॉल 99.9% शुद्ध एल्कोहल है, जबकि 96% अतिरिक्त तटस्थ एल्कोहल का उपयोग पीने योग्य शराब में किया जाता है और 94% रेक्टिफाइड स्पिरिट पेंट, सौंदर्य प्रसाधन, फार्मास्यूटिकल्स एवं अन्य औद्योगिक उत्पादों में पाया जाता है।
- बायोडीजल: यह एक नवीकरणीय, बायोडिग्रेडेबल ईंधन है जो प्रयोग किये गए खाना पकाने के तेल, रीसाइकिल किये गए रेस्तरां के ग्रीस, पीले ग्रीस या पशु वसा से बनाया जाता है।
- इसके उत्पादन में उत्प्रेरक की उपस्थिति में तेल या वसा को एल्कोहल के साथ जलाया जाता है।
- इथेनॉल: यह मकई और गन्ने जैसे फसल अवशेषों के किण्वन द्वारा निर्मित होता है। किण्वन के बाद, इथेनॉल को पेट्रोलियम के साथ मिलाया जाता है, जिससे यह पतला हो जाता है और उत्सर्जन कम हो जाता है।
- महत्त्व:
- पर्यावरणीय लाभ:जैव ईंधन पर्यावरणीय स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कुछ नकारात्मक प्रभावों जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और संसाधनों की कमी को कम करने में मदद करते हैं तथा बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन समाधान भी प्रदान करते हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता है, जो अपने तेल का 85% से अधिक हिस्सा आयात करता है। बढ़ती ऊर्जा मांग और आयात पर अत्यधिक निर्भरता के साथ, जैव ईंधन ऊर्जा सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक लाभ: जैव ईंधन भारत के तेल आयात और आयात बिल में कटौती कर सकता है, साथ ही कृषि आय को बढ़ा सकता है और मक्का व गन्ना जैसी फसलों के अधिशेष उत्पादन की समस्या का समाधान भी हो सकता है।
- प्रचुर उपलब्धता: जैव ईंधन का उत्पादन विभिन्न स्रोतों से किया जा सकता है, जिनमें फसलें, अपशिष्ट और शैवाल शामिल हैं।
जैव ईंधन पर सरकार की पहल और नीतियाँ क्या हैं?
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018: इसका उद्देश्य जैव इथेनॉल, जैव डीजल और जैव-CNG के साथ ईंधन मिश्रण को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता को कम करना है।
- प्रमुख तत्त्वों में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल (वन और कृषि अवशेषों से प्राप्त) का उत्पादन, “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम के तहत स्थानीय ईंधन योजक उत्पादन में वृद्धि और फीडस्टॉक में अनुसंधान एवं विकास शामिल हैं।
- मई 2022 में, नीति में संशोधन करके वर्ष 2030 से वर्ष 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रित लक्ष्य को आगे बढ़ाया गया।
- इथेनॉल पर GST में कमी:
- इथेनॉल मिश्रण को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत मिश्रण के लिये प्रयुक्त इथेनॉल पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दर 18% से घटाकर 5% कर दी है।
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019:
- इसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके पेट्रोकेमिकल मार्गों सहित सेल्यूलोसिक और लिग्नोसेल्यूलोसिक स्रोतों से दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना है।
- लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास (या LC बायोमास) प्लांट बायोमास को संदर्भित करता है जो सेल्यूलोज, हेमिसेल्यूलोज और लिग्निन से बना होता है। उदाहरण के लिये पुआल, खोई (गन्ने को पेरकर रस निकालने के बाद बचा ठोस पदार्थ), वन अवशेष और वनस्पति घास जैसी उद्देश्यपूर्ण ऊर्जा फसलें।
- सरकार ने योजना के कार्यान्वयन की समय सीमा को 5 वर्ष बढ़ाकर वर्ष 2028-29 तक करने की मंजूरी दे दी है।
- गोबर (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources- GOBAR) धन योजना 2018:
- यह खेतों में मवेशियों के गोबर और ठोस अपशिष्ट को उपयोगी खाद, बायोगैस और बायो-CNG में परिवर्तित करने एवं प्रबंधित करने पर केंद्रित है, ताकि गाँवों को साफ रखा जा सके तथा ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि हो सके।
- इसे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत लॉन्च किया गया था।
- प्रयुक्त कुकिंग ऑइल का पुनरुपयोग (Repurpose Used Cooking Oil- RUCO):
- इसे भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा लॉन्च किया गया था तथा इसका लक्ष्य एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, जो प्रयुक्त कुकिंग ऑइल के संग्रहण और बायोडीजल में इनके रूपांतरण को सक्षम करेगा।
- वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA): यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने और सतत् जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक बहु-हितधारक गठबंधन है।
- इसे औपचारिक रूप से वर्ष 2023 में भारत द्वारा नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान USA, ब्राज़ील, इटली, अर्जेंटीना, सिंगापुर, बांग्लादेश, मॉरीशस और UAE के नेताओं द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य वैश्विक जैव ईंधन व्यापार को सुविधाजनक बनाना और राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करना है।
नोट:
- सर्वप्रथम 2G इथेनॉल प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2022 में हरियाणा के पानीपत में की गई।
- इथेनॉल मिश्रण वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 500 करोड़ लीटर से अधिक हो गया।
- मिश्रण प्रतिशत 1.53% से बढ़कर 12.06% हो गया, जो जुलाई 2024 में 15.83% तक पहुँच गया।
- तेल विपणन कंपनियों (OMC) का लक्ष्य इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2025-26 के अंत तक 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य हासिल करना है, जिसके लिये लगभग 1,100 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
- मिश्रण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये कुल 1,750 करोड़ लीटर इथेनॉल आसवन क्षमता की आवश्यकता है।
जैव ईंधन से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- पर्यावरण संबंधी मुद्दे: जैव ईंधन उत्पादन से भूमि और जल संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है जो प्रदूषण का कारण बन सकता है तथा फसल पैटर्न को बदल सकता है।
- शर्करा से एक लीटर इथेनॉल के विरचन के लिये लगभग 2,860 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
- खाद्य बनाम ईंधन चुनौती: जैव ईंधन के लिये फीडस्टॉक और उत्पादन विधियों के विकल्प के आधार पर खाद्य सुरक्षा एवं ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के संदर्भ में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- इन फीडस्टॉक की उपलब्धता और लागत में ऋतु, मौसम, बाज़ार की स्थितियों एवं नीतिगत परिवर्तनों जैसे कारकों के आधार पर उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- रूपांतरण दक्षता और उत्पादन: इथेनॉल उत्पादन में प्रीट्रीटमेंट, हाइड्रोलिसिस/जल अपघटन, किण्वन और आसवन शामिल है, जिसमें फीडस्टॉक के प्रकार, प्रक्रिया प्रौद्योगिकी एवं स्थितियों के आधार पर अलग-अलग दक्षता व उत्पादन होता है।
- उदाहरण के लिये लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास, जो गन्ने या मकई की तुलना में अधिक प्रचुर और विविध है, को सेल्यूलोज़ व हेमिसेल्यूलोज़ को किण्वनीय शर्करा में तोड़ने के लिये अधिक गहन-जटिल प्रीट्रीटमेंट और जल अपघटन की आवश्यकता होती है।
- इथेनॉल की रूपांतरण दक्षता और उत्पादन भी उत्पादन प्रक्रिया की आर्थिक व्यवहार्यता एवं पर्यावरणीय प्रभाव को प्रभावित करती है।
- अवसंरचना और वितरण: इथेनॉल उत्पादन के लिये फीडस्टॉक और ईंधन के परिवहन, भंडारण एवं वितरण के लिये मज़बूत अवसंरचना की आवश्यकता होती है, जो महँगा हो सकता है, जिससे रसद तथा नियामक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिये इथेनॉल संक्षारक और हाइग्रोस्कोपिक होता है, जिसका अर्थ है कि यह मौजूदा पाइपलाइनों, टैंकों एवं पंपों, जो गैसोलीन या डीजल के लिये डिज़ाइन किये गए हैं, को नुकसान पहुँचा सकता है या दूषित कर सकता है।
- वाहन अनुकूलता और प्रदर्शन: वाहनों को इथेनॉल-मिश्रित ईंधन या शुद्ध इथेनॉल पर चलाने के लिए संशोधन की आवश्यकता होती है, जिससे इंजन, ईंधन प्रणाली और रखरखाव कार्य प्रभावित होते हैं।
- उदाहरण के लिये इथेनॉल का ऊर्जा घनत्व गैसोलीन से कम होता है, जिसका अर्थ है कि समान मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने हेतु अधिक मात्रा में इथेनॉल की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप परिवहन और भंडारण लागत अधिक होती है।
आगे की राह
- उत्पादन में वृद्धि: गैर-खाद्य स्रोतों और अपशिष्ट का उपयोग करके फीडस्टॉक में विविधता लाना, उन्नत जैव ईंधन के लिये अनुसंधान एवं विकास को समर्थन देना, उत्पादन सुविधाओं का विस्तार तथा आधुनिकीकरण करना तथा लागत कम करने एवं रसद बढ़ाने हेतु ईंधन डिपो के पास डिस्टिलरी स्थापित करना।
- नीति और बाज़ार तंत्र: वर्ष 2025 तक धीरे-धीरे इथेनॉल मिश्रण अधिदेश को 20% से अधिक बढ़ाना, बाज़ार स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये तेल कंपनियों के साथ निश्चित मूल्य अनुबंध स्थापित करना तथा मिश्रण अनुपात, इंजन अनुकूलता और रूपांतरण प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन हेतु अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना।
- तकनीकी उन्नति: बेहतर भंडारण और परिवहन बुनियादी ढाँचे में निवेश करें, इथेनॉल-संगत इंजन विकसित करने के लिये वाहन निर्माताओं के साथ सहयोग करें तथा प्रदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु इथेनॉल के लिये सख्त गुणवत्ता मानकों को लागू करें।
- जन जागरूकता और शिक्षा: इथेनॉल मिश्रण के लाभों के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने, गलत धारणाओं को दूर करने और अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिये अभियान शुरू करें। विकल्पों की जानकारी देने हेतु स्टेशनों पर इथेनॉल-मिश्रित ईंधन की स्पष्ट लेबलिंग सुनिश्चित करें।
दृष्टि मुख्य प्रश्न प्रश्न: ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भारत के इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. नीचे चार ऊर्जा फसलों के नाम दिये गए हैं। इनमें से किसकी खेती इथेनॉल के लिये की जा सकती है? (2010) (a) जट्रोफा उत्तर: (b) प्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) |