आर्द्रभूमि संरक्षण | 11 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:आर्द्रभूमि संरक्षण, मैंग्रोव, पीटलैंड्स, इको-सिस्टम मेन्स के लिये:आर्द्रभूमि और इसका महत्त्व, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
चर्चा में क्यों?
इस एंथ्रोपोसीन युग में मानव हस्तक्षेप को पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के हर घटक में देखा जा सकता है। इस तरह के मानव की वजह से होने वाले परिवर्तनों के कारण झीलों, तालाबों जैसे उथले आर्द्रभूमि का नुकसान प्रमुख चिंता का विषय बन रहा है।
- एंथ्रोपोसीन युग भूगर्भिक समय की एक अनौपचारिक इकाई है, जिसका उपयोग पृथ्वी के इतिहास में सबसे हालिया अवधि का वर्णन करने के लिये किया जाता है जब मानव गतिविधियों का ग्रह की जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने लगा था।
उथले पानी की आर्द्रभूमि:
- परिचय:
- ये कम प्रवाह के साथ स्थायी या अर्द्ध-स्थायी जल क्षेत्र की आर्द्रभूमियाँ हैं। इनमें वर्नल पोंड (तालाब) व स्प्रिंग पूल, नमक झीलें और ज्वालामुखीय गड्ढा युक्त झीलें शामिल हैं।
- ये पारिस्थितिक महत्त्व और मानव आवश्यकता के रूप में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं (जैसे कि पीने का पानी और अंतर्देशीय मत्स्य पालन)।
- उथली प्रकृति होने के कारण सूरज की किरणें जल निकाय के तल में प्रवेश करती हैं।
- तापमान (नियमित रूप से ऊपर-से-नीचे की ओर परिसंचरण तथा) निरंतर मिश्रण के साथ होने वाला एक समतापी प्रक्रम है, जो विशेष रूप से भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में होता है।
- चिंताएँ:
- समय के साथ ये जल निकाय, पानी के साथ आने वाले तलछट से भर जाते हैं।
- इसलिये पानी की गहराई धीरे-धीरे कम हो जाती है। यह काफी स्पष्ट है कि तापमान और वर्षा प्रतिरूप में छोटे से बदलाव ने इस प्रकार के जल निकाय पर व्यापक प्रभाव डालते है।
- वर्ष 1901-2018 तक भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीनहाउस गैस को ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ भूमि-उपयोग और भूमि-क्षेत्र परिवर्तन के लिये प्रेरित कारकों के रूप में भी ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
- तापमान और गर्मी वितरण में इस तरह के क्षेत्रीय पैमाने पर बदलाव का असर वर्षा पैटर्न पर भी पड़ेगा। इसलिये भारत के प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों, मीठे पानी के संसाधनों और कृषि के लिये खतरा बढ़ रहा है, जो अंततः जैवविविधता, खाद्य, जल सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा समग्र रूप से समाज को प्रभावित करते हैं।
- सूरजपुर पक्षी अभयारण्य (यमुना नदी बेसिन में शहरी आर्द्रभूमि) का एक उदाहरण जिसमें अक्तूबर 2019 में सूरजपुर आर्द्रभूमि में जल स्तर , उच्च शैवाल उत्पादन के साथ-साथ दुर्गंध संबंधी मुद्दों को कम किया।
आर्द्रभूमि:
- परिचय:
- आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ जल पर्यावरण और संबंधित वनस्पति एवं जंतु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक उपस्थित होता है। वे वहाँ उपस्थित होते हैं जहाँ जल स्तर भूमि की सतह पर या उसके निकट होता है अथवा जहाँ भूमि जल से आप्लावित होती है।
- वे स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच की संक्रमणकालीन भूमि हैं जहाँ जल स्तर आमतौर पर भूमि सतह पर या उसके निकट होती है अथवा भूमि उथले जल से ढकी होती है।
- इन्हें प्रायः "प्रकृति का गुर्दा" और "प्रकृति का सुपरमार्केट" कहा जाता है, ये भोजन और पानी प्रदान करके लाखों लोगों की सहायता करने के साथ ही बाढ़ व तूफान की लहरों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
- तटीय आर्द्रभूमि:
- तटीय आर्द्रभूमि: यह भूमि और खुले समुद्र के बीच के क्षेत्रों में पाई जाती है जो तटरेखा, समुद्र तट, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों की तरह नदियों से प्रभावित नहीं होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले मैंग्रोव दलदल इसका एक अच्छा उदाहरण है।
- दलदल:
- ये जल से संतृप्त क्षेत्र या पानी से भरे क्षेत्र होते हैं और गीली मिट्टी की स्थिति के अनुकूल जड़ी-बूटियों वाली वनस्पतियाँ इनकी विशेषता होती है। दलदल को आगे ज्वारीय दलदल और गैर-ज्वारीय दलदल के रूप में जाना जाता है।
- स्वैंप्स:
- ये मुख्य रूप से सतही जल द्वारा पोषित होते हैं तथा यहाँ पेड़ व झाड़ियाँ पाई जाती हैं। ये मीठे पानी या खारे पानी के बाढ़ के मैदानों में पाए जाते हैं।
- बॉग्स:
- बॉग्स दलदल पुराने झील घाटियाँ अथवा भूमि में जलभराव वाले गड्ढे हैं। इनमें लगभग सारा पानी वर्षा के दौरान जमा होता है।
- मुहाना:
- जहाँ नदियाँ समुद्र में मिलती हैं वहाँ जैवविविधता का एक अत्यंत समृद्ध मिश्रण देखने को मिलता है। इन आर्द्रभूमियों में डेल्टा, ज्वारीय मडफ्लैट्स और नमक के दलदल शामिल हैं।
- तटीय आर्द्रभूमि: यह भूमि और खुले समुद्र के बीच के क्षेत्रों में पाई जाती है जो तटरेखा, समुद्र तट, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों की तरह नदियों से प्रभावित नहीं होते हैं।
आर्द्रभूमियों का महत्त्व:
- अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र: आर्द्रभूमि अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र होते हैं जो वैश्विक रूप से लगभग दो-तिहाई मछली प्रदान करते हैं।
- वाटरशेड की पारिस्थितिकी में अभिन्न भूमिका: उथले पानी और उच्च स्तर के पोषक तत्त्वों का संयोजन जीवों के विकास के लिये आदर्श परिस्थिति होते हैं जो खाद्य जाल का आधार हैं, ये मछली, उभयचर, शंख और कीड़ों की कई प्रजातियों के भोजन प्रबंधन में सहायक होते हैं।
- कार्बन प्रच्छादन: आर्द्रभूमि के सूक्ष्मजीव, पादप एवं वन्यजीव जल, नाइट्रोजन और सल्फर के वैश्विक चक्रों का अंग हैं। आर्द्रभूमि कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में छोड़ने के बजाय अपने पादप समुदायों एवं मृदा के भीतर संग्रहीत करती है।
- बाढ़ की गति और मिट्टी के कटाव को कम करना: आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक अवरोधकों के रूप में कार्य करती हैं जो सतही जल, वर्षा, भूजल तथा बाढ़ के पानी को अवशोषित करती हैं एवं धीरे-धीरे इसे फिर से पारिस्थितिकी तंत्र में छोड़ती है। आर्द्रभूमि वनस्पति बाढ़ के पानी की गति को भी धीमा कर देती है जिससे मिट्टी के कटाव कमी आती हैं।
- मानव और ग्रह जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण: आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी पर जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण है। एक अरब से अधिक लोग जीवन यापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं एवं प्रजनन करती हैं।
आर्द्रभूमि को खतरा:
- शहरीकरण: शहरी केंद्रों के पास आवासीय, औद्योगिक और वाणिज्यिक सुविधाओं के विकास के कारण आर्द्रभूमि पर दबाव बढ़ रहा है। सार्वजनिक जल आपूर्ति को संरक्षित करने के लिये शहरी आर्द्रभूमि आवश्यक हैं।
- दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में 1,000 से अधिक झीलें, आर्द्रभूमि और तालाब हैं।
- लेकिन इनमें से अधिकांश को बड़े पैमाने पर अतिक्रमण (नियोजित और अनियोजित दोनों), ठोस अपशिष्ट एवं निर्माण के मलबे के डंपिंग के माध्यम से होने वाले प्रदूषण का खतरा है।
- दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में 1,000 से अधिक झीलें, आर्द्रभूमि और तालाब हैं।
- कृषि: आर्द्रभूमि के विशाल हिस्सों को धान के खेतों में बदल दिया गया है। सिंचाई के लिये बड़ी संख्या में जलाशयों, नहरों और बांँधों के निर्माण ने संबंधित आर्द्रभूमि के जल स्वरूप को बदल दिया है।
- प्रदूषण: आर्द्रभूमि प्राकृतिक जल फिल्टर के रूप में कार्य करती है। हालांँकि वे केवल कृषि अपवाह से उर्वरकों और कीटनाशकों को साफ कर सकते हैं लेकिन औद्योगिक स्रोतों से निकले पारा एवं अन्य प्रकार के प्रदूषण को नहीं।
- पेयजल आपूर्ति और आर्द्रभूमि की जैवविविधता पर औद्योगिक प्रदूषण के प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ रही है।
- जलवायु परिवर्तन: वायु के तापमान में वृद्धि, वर्षा में बदलाव, तूफान, सूखा और बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि, वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड संचयन में वृद्धि तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि भी आर्द्रभूमि को प्रभावित कर सकती है।
- तलकर्षण: आर्द्रभूमि या नदी तल से सामग्री को हटाना। जलधाराओं का तलकर्षण आसपास के जल स्तर को कम करता है तथा निकटवर्ती आर्द्रभूमियों को सुखा देता है।
- ड्रेनिंग: धरती पर गड्ढों को खोदकर, जो पानी इकट्ठा करके आर्द्रभूमि से पानी निकाला जाता है इससे आर्द्रभूमि संकुचित हो जाती है और परिणामस्वरूप जल स्तर गिर जाता है।
आर्द्रभूमि संरक्षण की दिशा में किये गए प्रयास:
- वैश्विक स्तर पर पहल:
- संयुक्त राष्ट्र ने स्थलीय, जलीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण एवं पुनर्स्थापना के उद्देश्य से 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर दशक घोषित किया।
- रामसर कन्वेंशन:
- मोंट्रेक्स रिकॉर्ड:
- विश्व आर्द्रभूमि दिवस
- राष्ट्रीय स्तर पर पहल:
आगे की राह
- अनियोजित शहरीकरण और बढ़ती आबादी का मुकाबला करने के लिये आर्द्रभूमि प्रबंधन योजना, निष्पादन एवं निगरानी के संदर्भ में एक एकीकृत दृष्टिकोण होना चाहिये।
- आर्द्रभूमि के समग्र प्रबंधन के लिये पारिस्थितिकीविदों, वाटरशेड प्रबंधन विशेषज्ञों, योजनाकारों और निर्णय निर्माताओं सहित शिक्षाविदों एवं पेशेवरों के बीच प्रभावी सहयोग।
- वेटलैंड्स के महत्त्व के बारे में जागरूकता कार्यक्रम शुरू कर उनके जल की गुणवत्ता के लिये वेटलैंड्स की निरंतर निगरानी करके वेटलैंड्स को होने वाली क्षति बचाने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: ‘‘यदि वर्षावन और उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी के फेफड़े हैं, तो निश्चित ही आर्द्रभूमियाँ इसके गुर्दों की तरह काम करती हैं।’’ निम्नलिखित में से आर्द्रभूमियों का कौन-सा एक कार्य उपर्युक्त कथन को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022) (a) आर्द्रभूमियों के जल चक्र में सतही अपवाह, अवमृदा अंत:स्रवण और वाष्पन शामिल होते हैं। उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर अवधारणा की व्याख्या कीजिये। भारत के रामसर स्थलों के दो उदाहरण दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) |
स्रोत : डाउन टू अर्थ
आर्द्रभूमि संरक्षण | 24 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:आर्द्रभूमि संरक्षण, मैंग्रोव, पीटलैंड, पारिस्थितिकी तंत्र मेन्स के लिये:आर्द्रभूमि और उसका महत्त्व, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
चर्चा में क्यों?
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावी कार्बन पृथक्करण हेतु आगामी जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन वार्ता में आर्द्रभूमि संरक्षण को चर्चा के एक स्वतंत्र विषय के रूप में देखा जाना चाहिये।
- कार्बन पृथक्करण के तहत पौधों, मिट्टी, भूगर्भिक संरचनाओं और महासागर में कार्बन का दीर्घकालिक भंडारण होता है।
- वेटलैंड्स इंटरनेशनल, एक वैश्विक गैर-लाभकारी संस्था के विशेषज्ञों ने एक नए श्वेतपत्र में आर्द्रभूमि की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिये पाँच वैश्विक, विज्ञान-आधारित संरक्षण प्रयासों का सुझाव दिया।.
- ये सुझाव मॉन्ट्रियल, कनाडा में आयोजित होने वाली जैविक विविधता पर कन्वेंशन हेतु COP-15 और बाद में मिस्र में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के COP-27 में दिये गए।
वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा 2030 तक हासिल किये जाने वाले पाँच सुझाए गए लक्ष्य:
- शेष अप्रशिक्षित पीटलैंड कार्बन स्टोर को बरकरार रखा जाना चाहिये और 10 मिलियन हेक्टेयर सूखे पीटलैंड की ज़रूरत को बहाल किया जाना चाहिये।
- 20% वैश्विक मैंग्रोव कवर क्षेत्र।
- मुक्त बहने वाली नदियों और बाढ़ के मैदानों का संरक्षण, साथ ही क्षेत्र में बाढ़ के मैदान पारिस्थितिकी तंत्र और इसके कार्य को बहाल करने में वृद्धि।
- ज्वारीय समतल क्षेत्र में पश्चिम अफ्रीकी नदी वोल्टा के क्षेत्र में 10% वृद्धि।
- अनुकूल प्रबंधन के तहत आने वाले फ्लाईवे के साथ 7,000 गंभीर रूप से महत्त्वपूर्ण स्थलों में से 50 प्रतिशत की पहचान।
आर्द्रभूमि:
- आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ जल पर्यावरण और संबंधित पौधे व पशु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक है।
- आर्द्रभूमि को इस प्रकार परिभाषित किया गया है: "स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच संक्रमणकालीन भूमि जहाँ जल आमतौर पर सतह पर होता है या भूमि उथले पानी से ढकी होती है"।
आर्द्रभूमि का महत्त्व:
- अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र: वेटलैंड्स अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र हैं जो दुनिया को मत्स्य उत्पादन का लगभग दो-तिहाई हिस्सा प्रदान करते हैं।
- वाटरशेड पारिस्थितिकी में एक अभिन्न भूमिका: वेटलैंड्स वाटरशेड की पारिस्थितिकी में एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं। उथला पानी उच्च स्तर के पोषक तत्त्वों का संयोजन जीवों के विकास के लिये आदर्श है जो खाद्य वेब का आधार बनाते हैं और मछली, उभयचर, शंख व कीड़ों की कई प्रजातियों को भोजन प्रदान करते हैं।
- कार्बन पृथक्करण: आर्द्रभूमि के रोगाणु, पौधे और वन्यजीव पानी, नाइट्रोजन और सल्फर के वैश्विक चक्रों का हिस्सा हैं। आर्द्रभूमि कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में छोड़ने के बजाय अपने संयंत्र समुदायों और मिट्टी के भीतर संग्रहीत करती है।
- बाढ़ के स्तर और मिट्टी के कटाव को कम करना: आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करती हैं जो सतही जल, वर्षा, भूजल और बाढ़ के पानी को अवशोषित करती हैं और धीरे-धीरे इसे फिर से पारिस्थितिकी तंत्र में छोड़ती है। आर्द्रभूमि वनस्पति बाढ़ के पानी की गति को भी धीमा कर देती है जिससे मिट्टी के कटाव कमी आती है।
- मानव और ग्रह जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण: आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी पर जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण है। एक अरब से अधिक लोग जीवन यापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं एवं प्रजनन करती हैं।
- आर्द्रभूमि भोजन, कच्चे माल, औषधियों के आनुवंशिक संसाधनों और जल विद्युत के लिये महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- वे परिवहन, पर्यटन और लोगों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भलाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- जानवरों और पौधों हेतु आवास: वे जानवरों एवं पौधों के लिये आवास प्रदान करते हैं साथ ही इनमें जीवन की विस्तृत विविधता होती है, पौधों और जानवरों का सहयोग करते हैं, इस तरह की विशेषता कहीं और देखने को नहीं मिलती है।
- प्राकृतिक सौंदर्य के क्षेत्र: कई आर्द्रभूमि प्राकृतिक सौंदर्य के क्षेत्र हैं और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं साथ ही कई आदिवासी समुदायों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- औद्योगिक लाभ: आर्द्रभूमि उद्योग को महत्त्वपूर्ण लाभ भी प्रदान करती है। उदाहरण के लिये वे मछली और अन्य मीठे जल तथा समुद्री जीवन के लिये संवर्द्धन स्थान प्रदान करते हैं और यह वाणिज्यिक एवं मनोरंजक मछली पकड़ने के उद्योगों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
आर्द्रभूमि को खतरा:
- शहरीकरण: शहरी केंद्रों के पास आवासीय, औद्योगिक और वाणिज्यिक सुविधाओं के विकास के कारण आर्द्रभूमि पर दबाव बढ़ रहा है। सार्वजनिक जल आपूर्ति को संरक्षित करने के लिये शहरी आर्द्रभूमि आवश्यक हैं।
- कृषि: आर्द्रभूमि के विशाल हिस्सों को धान के खेतों में बदल दिया गया है। सिंचाई के लिये बड़ी संख्या में जलाशयों, नहरों और बांँधों के निर्माण ने संबंधित आर्द्रभूमि के जल स्वरुप को महत्त्वपूर्ण रूप से बदल दिया है।
- प्रदूषण: आर्द्रभूमि प्राकृतिक जल फिल्टर के रूप में कार्य करती है। हालांँकि वे केवल कृषि अपवाह से उर्वरकों और कीटनाशकों को साफ कर सकते हैं लेकिन औद्योगिक स्रोतों से निकले पारा और अन्य प्रकार के प्रदूषण को नहीं।
- पेयजल आपूर्ति और आर्द्रभूमि की जैव विविधता पर औद्योगिक प्रदूषण के प्रभाव के बारे में चिंता बढ़ रही है।
- जलवायु परिवर्तन: वायु के तापमान में वृद्धि, वर्षा में बदलाव, तूफान, सूखा और बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि, वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड संचयन में वृद्धि और समुद्र के स्तर में वृद्धि भी आर्द्रभूमि को प्रभावित कर सकती है।
- तलकर्षण: आर्द्रभूमि या नदी तल से सामग्री को हटाना। जलधाराओं का तलकर्षण आसपास के जल स्तर को कम करता है और तथा आसन्न आर्द्रभूमियों को सुखाता है।
- ड्रेनिंग: वेटलैंड्स से पानी निकाला जाता है। इससे जल स्तर कम हो जाता है और आर्द्रभूमि सूख जाती है।
- नुकसानदेह प्रजातियाँ: भारतीय आर्द्रभूमियों को जलकुंभी और साल्विनिया जैसी नुकसानदेह पौधों की प्रजातियों से खतरा है। वे जलमार्गों को रोकते हैं और देशी वनस्पतियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
- लवणीकरण : भूजल के अत्यधिक दोहन से लवणीकरण की स्थिति उत्पन्न हुई है।
आर्द्रभूमि संरक्षण की दिशा में क्या प्रयास किये गए हैं?
- वैश्विक स्तर पर पहल:
- राष्ट्रीय स्तर पर पहल:
आगे की राह
- अनियोजित शहरीकरण और बढ़ती आबादी का मुकाबला करने के लिये, आर्द्रभूमि प्रबंधन योजना, निष्पादन और निगरानी के संदर्भ में एक एकीकृत दृष्टिकोण होना चाहिये।
- आर्द्रभूमि के समग्र प्रबंधन के लिये पारिस्थितिकीविदों, वाटरशेड प्रबंधन विशेषज्ञों, योजनाकारों और निर्णय निर्माताओं सहित शिक्षाविदों और पेशेवरों के बीच प्रभावी सहयोग।
- वेटलैंड्स के महत्त्व के बारे में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करके और उनके पानी की गुणवत्ता के लिये वेटलैंड्स की निरंतर निगरानी करके वेटलैंड्स को और खराब होने से बचाने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।