संयुक्त राष्ट्र विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2023 | 16 Jan 2023
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2023: वृद्ध जनसंख्या, जनसंख्या पर राष्ट्रीय आयोग, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY), SAMPANN परियोजना, बुज़ुर्गों के लिये सेक्रेड(Sacred) पोर्टल, स्वस्थ वृद्धावस्था दशक। मेन्स के लिये:भारत में वृद्ध जनसंख्या की स्थिति, इनसे जुड़ी समस्याएँ तथा वृद्ध जनसंख्या से संबंधित वर्तमान योजनाएँ। |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र (UN) की विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार, बढ़ती उम्र के मामलों में शीर्ष पर रहते हुए दुनिया भर में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या अगले तीन दशकों में दोगुनी होने की संभावना है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- वृद्ध आबादी वर्ष 2050 में 1.6 बिलियन तक पहुँच जाएगी, जो वैश्विक आबादी का 16% से अधिक है।
- उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में अगले तीन दशकों में वृद्ध लोगों की संख्या में सबसे तेज़ वृद्धि होने की उम्मीद है।
- साथ ही यूरोप और उत्तरी अमेरिका को मिलाकर अब वृद्ध व्यक्तियों की संख्या सबसे अधिक है।
- यह जनसांख्यिकीय बदलाव युवा और वृद्ध देशों में वृद्धावस्था सहायता की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
- लैंगिक असमानता वृद्धावस्था में भी बनी रहती है। आर्थिक रूप से महिलाओं की औपचारिक श्रम बाज़ार भागीदारी के निचले स्तर, कम कामकाज़ी जीवन और कार्य के वर्षों के दौरान कम वेतन बाद के जीवन में अधिक आर्थिक असुरक्षा का कारण बनते हैं।
वृद्ध जनसंख्या:
- परिचय:
- इससे तात्पर्य समय के साथ बढ़ रहे समाज में वृद्ध/बुज़ुर्ग व्यक्तियों के अनुपात से है।
- यह सामान्यतः जनसंख्या के अनुपात से मापा जाता है जो निर्धारित आयु से अधिक है, जैसे कि 65 वर्ष या उससे अधिक।
- भारत में स्थिति:
- राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के अनुसार, भारत की जनसंख्या में बुज़ुर्गों की हिस्सेदारी (जो वर्ष 2011 में 9% के करीब थी) तेज़ी से बढ़ रही है और वर्ष 2036 तक 18% तक पहुँच सकती है।
- स्वतंत्रता के बाद से भारत में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1940 के दशक के अंत में जो कि लगभग 32 वर्ष थी, वर्तमान में दोगुने से अधिक बढ़कर 70 वर्ष हो गई है।
- वृद्ध जनसंख्या से संबद्ध समस्याएँ:
- स्वास्थ्य देखभाल की लागत: उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति में जीर्ण शारीरिक स्वास्थ्य स्थितियों की अधिक संभावना के साथ ही उन्हें अधिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होती है।
- इससे सरकारों, बीमाकर्त्ताओं और व्यक्तियों के लिये स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि हो सकती है।
- सामाजिक सुरक्षा असंतुलन: वृद्ध जनसंख्या सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर दबाव डाल सकती है, क्योंकि जनसंख्या का एक छोटा हिस्सा कार्यशील है और तंत्र में योगदान दे रहा है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सेवानिवृत्त हो रहा है और आश्रित होकर लाभ उठा रहा है।
- इससे कर बढ़ाने या लाभों को कम करने का दबाव बढ़ सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे: हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, 30%-50% बुज़ुर्गों में ऐसे लक्षण थे जो उन्हें शक्तिहीनता, अकेलेपन के कारण उदास करते हैं।
- अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों में बड़ी संख्या महिलाओं की है, खासकर विधवाओं की।
- अन्य समस्याएँ:
- बच्चों द्वारा अपने बुज़ुर्ग माता-पिता के प्रति लापरवाही, सेवानिवृत्ति के कारण मोहभंग, शक्तिहीनता, अकेलापन, बेकारी और बुज़ुर्गों में अलगाव की भावना, पीढ़ीगत भिन्नता।
- स्वास्थ्य देखभाल की लागत: उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति में जीर्ण शारीरिक स्वास्थ्य स्थितियों की अधिक संभावना के साथ ही उन्हें अधिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होती है।
- वृद्धावस्था जनसंख्या से संबंधित वर्तमान योजनाएँ:
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY)
- वृद्ध व्यक्तियों के लिये एकीकृत कार्यक्रम
- संपन्न परियोजना (SAMPANN Project)
- बुज़ुर्गों के लिये ‘SACRED’ पोर्टल
- Elder Line (अखिल भारतीय बुज़ुर्ग सहायता हेतु टोल फ्री नंबर)
- मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन लिविंग के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-2030 को अच्छे स्वास्थ्य के साथ उम्र बढ़ने अथवा जीवन जीने के दशक के रूप में घोषित किया है। यह वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तीकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
आगे की राह
- स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना: वृद्ध नागरिकों की सहायता के लिये स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिये वित्तपोषण में वृद्धि किये जाने की आवश्यकता है।
- इसके अलावा स्वस्थ उम्र और निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने से पुरानी बीमारी का बोझ कम हो सकता है।
- बुज़ुर्गों को वित्तीय सुरक्षा: वृद्ध नागरिकों को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने के लिये पेंशन कवरेज में वृद्धि और पेंशन योजनाओं में सुधार करना।
- CSR को बुज़ुर्गों के सशक्तीकरण से जोड़ना: कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व के माध्यम से बुज़ुर्ग देखभाल सेवाओं के प्रावधान में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- निजी क्षेत्र बुज़ुर्ग नागरिकों की सहायता के लिये उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचे और वातावरण के विकास में भी मदद कर सकता है।
- वृद्धावस्था स्वयं सहायता समूह: बुज़ुर्गों को सामाजिक और शारीरिक रूप से सक्रिय तथा व्यस्त रखने के लिये हथकरघा एवं हस्तशिल्प गतिविधियों से जुड़े स्थानीय स्तर पर वृद्धावस्था स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा सकता है।
- स्थानीय स्तर पर समय-समय पर बोर्ड गेम कार्यक्रम भी आयोजित किये जा सकते हैं ताकि वृद्ध एवं युवा नागरिकों को एक साथ लाने वाली गतिविधियों के माध्यम से अंतर-पीढ़ी बंधन को बढ़ावा दिया जा सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरूकता न होने और नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण इतना प्रभावी नहीं होता है। चर्चा कीजिये। (मेन्स- 2019) |