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विश्व स्वास्थ्य दिवस, 2021 और भारत की जीवन प्रत्याशा

  • 09 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मनाए गए विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day), 2021 के अवसर  पर भारत की जनगणना और रजिस्ट्रार जनरल के नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SRS) पर आधारित संग्रहीत जीवन सारणी (Abridged Life Table), 2014-18 के अनुमानों के अनुसार एक भारतीय बच्चे की जीवन प्रत्याशा वैश्विक औसत से कम है।

  • प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु

जीवन प्रत्याशा:

  • यह एक दी गई आयु के बाद जीवन के शेष बचे वर्षों की औसत संख्या है। यह एक व्यक्ति के औसत जीवनकाल का अनुमान है।
    • इसे मापने का सबसे आम उपाय जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है।
  • भारत की जीवन प्रत्याशा (वर्ष 2021 में पैदा हुए बच्चे के लिये) 69 वर्ष और 4 महीना है जो वैश्विक जीवन प्रत्याशा 72.81 वर्ष से कम है।

शिशु मृत्यु दर:

  • यह अतिरिक्त वर्षों की औसत संख्या का अनुमान है यानी इतने वर्ष एक व्यक्ति जीने की उम्मीद कर सकता है।
  • भारत की शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) 33 है।

प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा का कम होना:

  • देश में बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में कमी आएगी और "जहरीली हवा" के लगातार संपर्क में रहने के कारण इनके औसत जीवन काल में दो वर्ष छह महीने की कमी होने का अनुमान है।
    • स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (State of Global Air), 2020 के अनुसार, विश्व में वर्ष 2019 के दौरान PM2.5 की सर्वाधिक वार्षिक औसत सांद्रता दर्ज की गई, भारत इस चार्ट में सबसे ऊपर है।
    • विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में थे।
      • जिसमें गाज़ियाबाद, बुलंदशहर और दिल्ली शीर्ष 10 शहरों में शामिल थे।
  • इस प्रकार भारत में बच्चों की जीवन प्रत्याशा केवल 66 वर्ष और 8 महीने तक रहने का अनुमान है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस

विश्व स्वास्थ्य दिवस के विषय में:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा वर्ष 1948 में आयोजित हुई थी तथा विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1950 में हुई थी।
  • इन वर्षों में यह मानसिक स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु देखभाल और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों को प्रकाश में लाया है।

उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य एवं उससे संबंधित समस्याओं पर विचार-विमर्श करना तथा विश्व में समान स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों एवं मिथकों को दूर करना है।

थीम:

  • इस वर्ष की थीम “सभी के लिये एक निष्पक्ष और स्वस्थ दुनिया का निर्माण”।

स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की कुछ पहलें:

SRS-आधारित संग्रहीत जीवन सारणी

संग्रहीत जीवन सारणी के विषय में:

  • एक जीवन तालिका एक संभावित समूह या अलग-अलग उम्र में जीवित रहने की संभावनाओं को बताती है, जो मृत्यु के कारण धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
  • SRS की शुरुआत के साथ जीवन तालिकाओं के निर्माण के लिये डेटा का एक वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध हो गया है।
  • SRS डेटा के आधार पर जीवन सारणी पाँच साल के अंतराल पर वर्ष 1970-75, 1976-80, 1981-85 और 1986-90 की अवधि के लिये तैयार किये गए हैं। जीवन सारणियों को वर्ष 1986-90 से पाँच वर्ष का औसत निकालकर वार्षिक आधार पर लाया गया है ताकि एक सतत् शृंखला बनाई जा सके।

उपयोग:

  • यह मृत्यु की आयु वितरण के विषय में सबसे मौलिक और आवश्यक तथ्यों को व्यक्त करने का एक पारंपरिक तरीका है तथा विभिन्न आयु समूहों के जीवन एवं मृत्यु की संभावना को मापने का एक शक्तिशाली उपकरण है।
  • यह औसत जीवन प्रत्याशा के संदर्भ में आयु-विशिष्ट मृत्यु दर के निहितार्थ को समझने में सक्षम बनाता है। इसे भारत की जनसंख्या की आयु सीमा का उपयोग करके तैयार किया जाता है जो क्रमिक रूप से होने वाली जनसंख्या गणनाओं पर आधारित होती है। यह भारत में होने वाली क्रमिक जनगणनाओं से जनसंख्या की आयु संरचना का उपयोग जीवन सरणियों के निर्माण में करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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