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सूचना की अखंडता हेतु संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सिद्धांत

  • 27 Jun 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र महासचिव, ऑनलाइन गलत सूचना, दुष्प्रचार, हेट स्पीच, सूचना अखंडता हेतु संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सिद्धांत, सतत् विकास, जलवायु संबंधी कार्रवाई, AI प्रौद्योगिकियाँ 

मेन्स के लिये:

सामाज की एकता और अखंडता पर गलत सूचना और दुष्प्रचार का प्रभाव

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ‘सूचना की अखंडता हेतु संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सिद्धांत’ (United Nations Global Principles for Information Integrity) का एक समुच्चय जारी किया, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन उपलब्ध गलत सूचना, दुष्प्रचारऔर हेट स्पीच के प्रसार पर अंकुश लगाना है।

  • ये दिशानिर्देश डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना के प्रसार के कारण होने वाली व्यापक क्षति की रोकथाम करने के लिये तैयार किये गए हैं।  

सूचना की अखंडता हेतु संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सिद्धांत क्या हैं?

  • ये सिद्धांत सूचना के एक अधिक मानवोचित पारिस्थितिकी तंत्र के दृष्टिकोण की नींव तैयार करते हैं। इस पहल का उद्देश्य मानवाधिकारों को प्राथमिकता देना और सतत् विकास, जलवायु कार्रवाई, लोकतंत्र और शांति का समर्थन करना है।
  • सूचना की अखंडता हेतु पाँच वैश्विक सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
    • सामाजिक विश्वास और आघात-सहनीयता: इसका उद्देश्य गलत सूचना और हेट स्पीच के प्रसार की रोकथाम करने के लिये के लिये सामाजिक विश्वास स्थापित करना और आघात-सहनीयता विकसित करना है।
    • स्वतंत्र, मुक्त और बहुलवादी मीडिया: इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता युक्त पत्रकारिता और समाज के विविध दृष्टिकोणों का समर्थन करने के लिये मीडिया की स्वतंत्रता और विविधता सुनिश्चित करना है।
    • हेल्थी इन्सेन्टिव: इसका लक्ष्य ऐसे प्रोत्साहन की स्थापना करना है जो सत्य और रचनात्मक सामग्री को बढ़ावा देते हुए हानिकारक गलत सूचना के प्रसार को हतोत्साहित करे।
    • पारदर्शिता और अनुसंधान: इसका उद्देश्य गलत सूचना के प्रभाव को समझने और इसे कम करने तथा प्रभावी समाधान विकसित करने के लिये पारदर्शिता बढ़ाना एवं अनुसंधान का समर्थन करना है।
    • सार्वजनिक सशक्तिकरण: इसका लक्ष्य सूचना का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और सूचना पारिस्थितिकी तंत्र में ज़िम्मेदारी से भाग लेने के लिये लोगों के ज्ञान का वर्द्धन करना है।

मानवीय सूचना पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • गलत सूचना के प्रसार की गति और पैमाना: डिजिटल प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों ने गलत सूचना और घृणास्पद भाषण के प्रसार को तेज़ कर दिया है, जिससे तेज़ी से और व्यापक नुकसान हो रहा है।
    • उदाहरण के लिये वेनेजुएला में सरकारी मीडिया ने AI-जनरेटेड डीपफेक वीडियो के माध्यम से सरकार समर्थक संदेश फैलाए।
  • सामाजिक एकजुटता और लोकतंत्र पर प्रभाव: झूठे आख्यान और विकृतियाँ सामाजिक एकजुटता को कमजोर करती हैं, निराशावाद, अविश्वास और अलगाव को जन्म देती हैं तथा चुनावों की अखंडता को नुकसान पहुँचाती हैं।
    • ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2024 के अनुसार, गलत सूचना और भ्रामक सूचनाएँ पहचाने गए शीर्ष पाँच जोखिमों में शामिल हैं।
  • पूर्वाग्रहों को सुदृढ़ करना: अपारदर्शी एल्गोरिदम सूचना बुलबुले बनाते हैं जो नस्लवाद, स्त्री-द्वेष और विभिन्न प्रकार के भेदभाव सहित पूर्वाग्रहों को सुदृढ़ करते हैं।
    • उदाहरण के लिये एल्गोरिदम इको-चैम्बर प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं को वैसी ही सामग्री दिखाते हैं, जैसी उन्होंने पहले देखी है।
    • यह पूर्वधारणाओं या पूर्वाग्रहों को मज़बूत करता है, जिससे उनके लिये वैकल्पिक दृष्टिकोण पर विचार करना कठिन हो जाता है।
  • कमज़ोर समूहों को निशाना बनाना: महिलाओं, शरणार्थियों, प्रवासियों, अल्पसंख्यकों और कार्यकर्त्ताओं को अक्सर लक्षित उत्पीड़न और अपमान का सामना करना पड़ता है।
  • हानिकारक सामग्री का मुद्रीकरण: विज्ञापनदाता और PR उद्योग अक्सर हानिकारक सामग्री से लाभ कमाते हैं, जिससे गलत सूचना का प्रसार बढ़ जाता है।
  • पत्रकारों के लिये कमज़ोर सुरक्षा: पत्रकारों को धमकियों का सामना करना पड़ता है तथा उनके पास मज़बूत सुरक्षा का अभाव है, जिससे उनकी सटीक और स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करने की क्षमता प्रभावित होती है।

गलत सूचना, भ्रामक सूचना और हेट स्पीच

  • गलत सूचना:
    • गलत सूचना वह झूठी सूचना है जो नुकसान पहुँचाने के इरादे के बिना साझा की जाती है। 
      • गलत सूचना का उदाहरण है जब कोई व्यक्ति पुराने मौसम पूर्वानुमान को वर्तमान मानकर साझा कर देता है।
  • दुष्प्रचार:
    • दुष्प्रचार से तात्पर्य जानबूझकर गलत या भ्रामक सूचना से है जो दूसरों को धोखा देने या गुमराह करने के उद्देश्य से प्रसारित की जाती है।
    • उदाहरण: एक फर्जी समाचार वेबसाइट लोगों में भय और अविश्वास पैदा करने के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के बारे में एक मनगढ़ंत कहानी प्रकाशित करती है।
  • हेट स्पीच : 
    • हेट स्पीच से तात्पर्य जाति, धर्म या लिंग जैसी अंतर्निहित विशेषताओं के आधार पर किसी समूह या व्यक्ति को लक्षित करके की जाने वाली आपत्तिजनक संभाषण से है, तथा जो सामाजिक शांति के लिये खतरा बन सकती है।
    • इसमें आमतौर पर विशेषण, दुर्भावनापूर्ण रूढ़िवादिता तथा किसी विशेष समूह के विरुद्ध घृणा अथवा हिंसा भड़काने के उद्देश्य से दिये गए वक्तव्य शामिल होते हैं।

आगे की राह

  • बिग टेक कंपनियों की जवाबदेही: बिग सोशल मीडिया कंपनियों को अपने उत्पादों से होने वाली हानि को स्वीकार करना चाहिये तथा गलत सूचना एवं घृणा से लाभ प्राप्त करने वाले व्यवसाय मॉडल को परिवर्तित करके हानि को कम करने का प्रयास भी किया जाना चाहिये।
  • उत्तरदायित्वपूर्ण विज्ञापन तथा PR प्रैक्टिस: विज्ञापनदाताओं तथा PR एजेंसियों को हानिकारक सामग्री से आय प्राप्त करना समाप्त करना चाहिये, और साथ ही ऐसे ग्राहकों की तलाश भी करनी चाहिये जो ग्राहक को न ही गुमराह करे या न ही हानि पहुँचाएँ और साथ ही सूचना अखंडता को मज़बूत करने के लिये प्रयासरत रहे।
  • मीडिया में सामग्री या सूचना मानकों में सुधार करना: मीडिया संगठनों को तथ्यों एवं वास्तविकता पर आधारित गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता सुनिश्चित करने के लिये विषय-वस्तु अथवा सूचना मानकों को बढ़ाना चाहिये तथा ऐसे विज्ञापनदाताओं की खोज करनी चाहिये जो सत्य विषय-वस्तु का समर्थन करते हों।
  • स्वतंत्र मीडिया के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता: सरकारों को एक मुक्त, स्वतंत्र तथा बहुलवादी मीडिया परिदृश्य के निर्माण तथा बनाए रखने, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ नियमों में मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिये भी प्रतिबद्ध होना चाहिये।
  • सार्वजनिक सशक्तीकरण: जनता को अपने सूचना परिवेश पर जवाबदेही, विकल्प तथा नियंत्रण की मांग करनी चाहिये, ताकि हमले के डर के बिना स्वतंत्र अभिव्यक्ति सुनिश्चित हो सके और साथ ही एल्गोरिदम द्वारा हेरफेर से भी बचा जा सके।
  • सामूहिक कार्रवाई: सूचना की अखंडता की रक्षा तथा सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये प्रौद्योगिकी कंपनियों, विज्ञापनदाताओं, मीडिया, सरकारों तथा जनता सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग महत्त्वपूर्ण है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

Q. "सूचना अखंडता के लिये संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सिद्धांतों" पर चर्चा कीजिये। स्पष्ट कीजिये कि वे ऑनलाइन गलत सूचना, भ्रामक सूचना एवं हेट स्पीच भाषण द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान कैसे करते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न. आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (2014)

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