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अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 2022

  • 22 Sep 2022
  • 6 min read

प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है।

  • वर्ष 2022 के लिये थीम: नस्लवाद का अंत, शांति की स्थापना (End racism, Build peace)।

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस

  • परिचय:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने इसे अहिंसा और संघर्ष विराम के माध्यम से शांति के आदर्शों को मज़बूत करने के लिये समर्पित दिन के रूप में घोषित किया है।
  • पृष्ठभूमि: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1981 में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की घोषणा की गई थी।
    • वर्ष 2001 में महासभा ने सर्वसम्मति से इस दिवस को अहिंसा और संघर्ष विराम की अवधि के रूप में नामित करने के लिये मतदान किया।
  • अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का प्रतीक:
    • जापान के संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1954 में शांति घंटी दान की। यह वर्ष में दो बार: वसंत के पहले दिन वसंत विषुव पर और 21 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर घंटी बजाने की प्रथा बन गई है

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

  • अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्तूबर, महात्मा गांधी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
  • यह UNGA द्वारा वर्ष 2007 में "शिक्षा और जन जागरूकता सहित अहिंसा के संदेश का प्रसार" करने के लिये स्थापित किया गया था।

वैश्विक शांति हेतु विभिन्न चुनौतियाँ:

  • नस्लवाद में वृद्धि: अश्वेत अमेरिकी अपने श्वेत समकक्षों की तुलना में 25% कम कमाते हैं।
    • श्वेत अमेरिकियों की तुलना में अश्वेत अमेरिकियों के बेरोज़गार होने की संभावना दोगुनी है।
    • आय और शिक्षा के समान स्तरों पर श्वेत महिलाओं की तुलना में अश्वेत महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित मौतों की संभावना तीन से चार गुना अधिक होती है।
  • वैश्विक अशांति: विश्व जनसंख्या समीक्षा के अनुसार, अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, तुर्की, सोमालिया, इराक, मैक्सिको और लीबिया सहित 8 देशों में वर्ष 2019 में सैन्य हमलों और लड़ाइयों के माध्यम से प्रत्येक (मुख्य रूप से नागरिक) में से कम से कम 1,000 मौतें हुईं।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन में युद्ध के कारण जीवन-यापन का संकट पैदा हो गया है। अनुमानित 1.6 बिलियन लोग भोजन, ऊर्जा और वित्त के संकट का सामना कर रहें हैं।
  • शरणार्थी संकट: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, सशस्त्र संघर्षों, उत्पीड़न और अन्य कारणों से  वर्ष 2019 के अंत तक 79.5 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे।
  • वैश्विक शक्तियों की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने के नाते संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन को शांति एवं अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता है। हालाँकि, इसके विपरीत, भू-राजनीतिक आधिपत्य प्राप्त करने के लिये उन्हें अस्थिरता को बढ़ावा देने वाला पाया गया है। उदाहरण:
    • यमन में त्रासदी, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने विश्व की सबसे खराब मानवीय आपदा घोषित किया है, जो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के यू.एस. समर्थित गठबंधन के हमलों का परिणाम है, जिसका भू-राजनीतिक लक्ष्य ईरान का मुकाबला करना है।
    • लीबिया का अराजकता की ओर अग्रसर होना रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका से संबद्ध खाड़ी अरब राजतंत्र द्वारा आपूर्तित किराये के सैनिकों और हथियारों की सक्रिय भागीदारी का परिणाम है ताकि तुर्की के प्रभुत्त्व को कम किया जा सके।
    • अपने पड़ोसियों के खिलाफ चीन के वर्चस्ववादी विस्तारवाद और अमेरिका के साथ उसके 'नये शीत युद्ध' ने एशिया में सैन्य संघर्ष के ज़ोखिम को काफी बढ़ा दिया है।
  • नई शक्तियों क द्वंद्व: अमेरिका-चीन के बीच नया शीत युद्ध के रूप में इन शक्तिशाली देशों के बीच संघर्ष और प्रतिस्पर्द्धा भी चल रही है, जो वैश्विक शांति को खतरे में डाल रही है।
  • महामारी और जलवायु संकट: विश्व भर में चरम जलवायु घटनाओं के बढ़ने और कोविड -19 जैसी महामारियों के प्रसार ने एक नई चिंता पैदा कर दी है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संसाधनों, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, विस्थापन आदि तक पहुँच की कमी के माध्यम से वैश्विक शांति को प्रभावित कर सकती है।

आगे की राह:

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर, किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण संरचना जो महान शक्तियों को विशेषाधिकार देती है और उनके भयानक दाव-पेंचो की अनुमति देती है, के निदान के साथ-साथ उन्हें चुनौती दी जानी चाहिये। बुद्धिजीवियों, सामाजिक आंदोलनों और ज़िम्मेदार राज्यों को समान रूप से विश्व व्यवस्था के लिये संघर्ष को प्राथमिकता देनी चाहिये।

स्रोत: इंडिया टुडे

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