लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

सामाजिक न्याय

द स्टेटस ऑफ वुमेन इन एग्रीफूड सिस्टम्स: FAO

  • 17 Apr 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

FAO, लैंगिक समानता, कृषि खाद्य प्रणाली, SDG, कोविड-19, CAC, WFP

मेन्स के लिये: 

द स्टेटस ऑफ वुमेन इन एग्रीफूड सिस्टम्स।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) ने कृषि क्षेत्र में लैंगिक समानता के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए "द स्टेटस ऑफ वुमेन इन एग्रीफूड सिस्टम्स" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु 

  • लैंगिकता आधारित बाधाएँ: 
    • महिलाएँ कृषि कार्यबल में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं, जो वैश्विक कृषि श्रम शक्ति का लगभग 40% हिस्सा है। हालाँकि महिलाओं को अक्सर महत्त्वपूर्ण लैंगिकता आधारित बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो संसाधनों, प्रौद्योगिकी एवं बाज़ारों तक उनकी पहुँच को सीमित करती हैं, साथ ही उनकी उत्पादकता तथा आय को प्रभावित कर सकती हैं।
  • अपरिवर्तित अंतराल: 
    • हाल के वर्षों में भले ही महिलाओं ने डिजिटल तकनीक और वित्तीय सेवाओं जैसे कुछ संसाधनों तक अधिक पहुँच प्राप्त की है, फिर भी कई क्षेत्रों में विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं हेतु अंतराल बना हुआ है या इसमें वृद्धि देखी जा रही है।
      • कोविड-19 महामारी के बाद से महिलाओं और पुरुषों के बीच खाद्य सुरक्षा को लेकर अंतर 4.3% हो गया है, जबकि तुलनात्मक रूप से ग्रामीण महिलाओं के बीच खाद्य असुरक्षा काफी अधिक देखी गई है।
  • अतिरिक्त चुनौतियाँ: 
    • जटिल लैंगिक मानदंडों और भूमिकाओं, असमान शक्ति वितरण और भेदभावपूर्ण सामाजिक संरचनाओं के परिणामस्वरूप महिलाओं एवं लड़कियों को पुरुषों तथा लड़कों की तुलना में अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 
    • जलवायु परिवर्तन, आर्थिक कारण और कीमतों में गिरावट, संघर्षों तथा लिंग आधारित हिंसा के बढ़ते जोखिमों से उत्पन्न अन्य चुनौतियाँ महिलाओं की प्रगति में अधिक बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
  • महिलाओं की सीमांत भूमिकाएँ:
    • आजीविका और परिवारों के कल्याण के लिये कृषि-खाद्य प्रणालियों में महिलाओं के महत्त्व के बाद भी वे हाशिये पर हैं, साथ ही पुरुषों की तुलना में उन्हें अधिक खराब स्थिति में कार्य करना पड़ता है जिसमें अनियमित, अनौपचारिक, अंशकालिक, कम-कुशल, श्रमिक-गहन आदि स्थितियाँ शामिल हैं।

सुझाव:

  • कृषि-खाद्य प्रणालियों में लैंगिक अंतर को समाप्त करने से विकासशील देशों में कृषि उत्पादकता में 4 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है, जो वैश्विक GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को 2 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। उत्पादकता और आय में यह वृद्धि गरीबी एवं भुखमरी को कम करने तथा खाद्य सुरक्षा व पोषण में सुधार करने में सहायता कर सकती है।
    • लैंगिक अंतर को कम करने और महिलाओं को सशक्त बनाने से वैश्विक GDP में 1 प्रतिशत/ लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी।
  • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG-2 की प्राप्ति के लिये कृषि-खाद्य प्रणालियों में लैंगिक समानता आवश्यक है, जिसका उद्देश्य भूख को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा एवं बेहतर पोषण प्राप्त करना और स्थायी कृषि को बढ़ावा देना है।
  • यह सतत् विकास लक्ष्य 5, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता और सभी महिलाओं तथा लड़कियों को सशक्त बनाना है, को प्राप्त करने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले और कृषि क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली ऐसी और भी नीतियों एवं कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
  • महिलाओं को अपनी आजीविका बढ़ाने के लिये आवश्यक पशुधन, जल, बीज, भूमि, प्रौद्योगिकी और वित्त तक अधिक पहुँच तथा नियंत्रण की आवश्यकता है।

खाद्य और कृषि संगठन:

  • परिचय: 
    • खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत की गई थी, यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
    • प्रत्येक वर्ष विश्व में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। यह दिवस FAO की स्थापना की वर्षगाँठ की याद में मनाया जाता है।
    • यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है जो रोम (इटली) में स्थित है। इसके अलावा विश्व खाद्य कार्यक्रम और कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) भी इसमें शामिल हैं।
  • FAO की पहलें:
  • फ्लैगशिप पब्लिकेशन (Flagship Publications): 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. FAO पारंपरिक कृषि प्रणालियों को 'सार्वभौमिक रूप से महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important System 'GIAHS’) की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016) 

  1. अभिनिर्धारित GIAHS के स्थानीय समुदायों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, आधुनिक कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना ताकि उनकी कृषि उत्पादकता अत्यधिक बढ़ जाए।
  2. पारितंत्र-अनुकूली परंपरागत कृषि पद्धतियाँ और उनसे संबंधित परिदृश्य (लैंडस्केप), कृषि जैवविविधता और स्थानीय समुदायों के ज्ञानतंत्र का अभिनिर्धारण एवं संरक्षण करना।
  3. इस प्रकार चिह्नित अभिनिर्धारित GIAHS के सभी भिन्न-भिन्न कृषि उत्पादों को भौगोलिक सूचक (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) की हैसियत प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ  

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2