द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 | 21 Nov 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिये:संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ), वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024, mRNA वैक्सीन, चिल्ड्रेन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CCRI) 2021, मिशन LIFE, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, बाल अधिकार सम्मेलन, 1989, संयुक्त राष्ट्र, शांति के लिये नोबेल पुरस्कार, एसडीजी, राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाएँ, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान। मेन्स के लिये:बच्चों का सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) ने द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 (SOWC 2024) रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2050 तक बच्चों के भविष्य को आकार देने वाली शक्तियों और प्रवृत्तियों की जाँच करती है।
- रिपोर्ट में वर्ष 2050 तक बच्चों के जीवन को आकार देने वाली तीन प्रमुख प्रवृत्तियों, जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु संकट और अग्रणी प्रौद्योगिकियाँ, पर प्रकाश डाला गया है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- बाल जीवन: वैश्विक स्तर पर नवजात शिशुओं के जीवित रहने की दर 98% से अधिक है, जबकि 5 वर्ष की आयु तक जीवित रहने वाले बच्चों की संभावना 99.5% है।
- 2000 के दशक में जन्मी लड़कियों की जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष और लड़कों की 66 वर्ष से बढ़कर क्रमशः 81 वर्ष और 76 वर्ष हो गयी है।
- जलवायु संबंधी खतरे: अनुमान है कि बच्चे चरम मौसम की घटनाओं के संपर्क में आने की दर काफी अधिक हैं: लू के कारण 8 गुना अधिक, नदी में बाढ़ के कारण 3.1 गुना अधिक, वनाग्नि के कारण 1.7 गुना अधिक, सूखे के कारण 1.3 गुना अधिक तथा उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के कारण 1.2 गुना अधिक।
- सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ: अनुमान है कि विश्व के 23% बच्चे वर्तमान में निम्न आय वर्ग के रूप में वर्गीकृत 28 देशों में रहते हैं, जो 2000 के दशक में इन देशों की हिस्सेदारी (11%) से दोगुने से भी अधिक है।
- शिक्षा: अनुमान है कि 2050 के दशक तक 95.7% बच्चों को कम-से-कम प्राथमिक शिक्षा प्राप्त होगी (जो 2000 के दशक में 80% थी) तथा 77% बच्चों को कम-से-कम उच्च माध्यमिक शिक्षा (जो 40% थी) प्राप्त होगी।
- वैश्विक स्तर पर लड़कियों और लड़कों के बीच शिक्षा का अंतर कम होने की उम्मीद है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में अधिक लड़कियाँ उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी करेंगी।
- लैंगिक समानता: 2050 तक वैश्विक स्तर पर बच्चों के जीवन में लैंगिक असमानता कम होने की उम्मीद है ।
- हालाँकि यह अनुमान लगाया गया है कि पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका तथा पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में कई बच्चे उच्च लैंगिक असमानता के साथ रह रहे हैं ।
- संघर्ष ज़ोखिम: संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की संख्या 2000 के दशक के 833 मिलियन से घटकर 2050 के दशक में 622 मिलियन हो जाने का अनुमान है।
- शहरीकरण: अनुमान है कि 2050 के दशक में वैश्विक स्तर पर लगभग 60% बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहेंगे, जबकि 2000 के दशक में यह आँकड़ा 44% था।
वे कौन से मेगाट्रेंड हैं जो बच्चों के जीवन को आकार दे रहे हैं?
- जनसांख्यिकीय बदलाव: वर्ष 2050 तक वैश्विक बाल जनसंख्या 2.3 बिलियन पर स्थिर होने की उम्मीद है। दक्षिण एशिया, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, तथा पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में बाल जनसंख्या बढ़ेगी।
- अफ्रीका की बाल जनसंख्या का हिस्सा 40% से नीचे आने की उम्मीद है (जो 2000 के दशक में 50% था), जबकि पूर्वी एशिया, पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में यह 19% से नीचे आ जाएगा।
- जलवायु संकट: लगभग 1 अरब बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं जो जलवायु संबंधी खतरों, जैसे प्रदूषण, चरम मौसम और जैवविविधता हानि, के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- बच्चों का विकासशील शरीर प्रदूषण और अत्यधिक मौसम के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है, तथा जन्म से पहले ही उनके मस्तिष्क, फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली को खतरा हो सकता है।
- वर्ष 2022 से, विश्व भर में 400 मिलियन छात्रों को अत्यधिक मौसम के कारण स्कूल बंद होने का सामना करना पड़ा है।
- अग्रणी प्रौद्योगिकियाँ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), न्यूरोटेक्नोलॉजी, अगली पीढ़ी की नवीकरणीय ऊर्जा और mRNA वैक्सीन की सफलताएँ भविष्य में बचपन में महत्त्वपूर्ण सुधार ला सकती हैं।
- हालाँकि, उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में केवल 26% लोगों तक ही इसकी पहुँच है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के भारत-विशिष्ट निष्कर्ष क्या हैं?
- बाल जनसंख्या: वर्ष 2050 तक भारत में सबसे अधिक बाल जनसंख्या होने की संभावना है, जो लगभग 350 मिलियन होगी, जो वैश्विक कुल जनसंख्या का 15% होगी।
- अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान में विश्व की एक तिहाई से अधिक बाल जनसंख्या होगी।
- जलवायु ज़ोखिम: बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) 2021 में 163 देशों में से भारत 26वें स्थान पर है, जो जलवायु संबंधी खतरों के प्रति उच्च ज़ोखिम को दर्शाता है।
- भारतीय बच्चों को अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखे और वायु प्रदूषण से गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है।
- CCRI को यूनिसेफ द्वारा जारी किया जाता है, जो चक्रवातों और हीटवेव जैसे जलवायु प्रभावों के प्रति बच्चों के ज़ोखिम तथा आवश्यक सेवाओं तक पहुँच के कारण उनकी संवेदनशीलता के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है।
नोट: यूनिसेफ पिछले 75 वर्षों से भारत सरकार के साथ सहयोग कर रहा है और वर्ष 1992 में भारत ने बाल अधिकार कन्वेंशन, 1989 का अनुसमर्थन किया था।
- बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें पूरा करने के लिये वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन को अपनाया गया था।
UNICEF
- परिचय: UNICEF एक अग्रणी वैश्विक संगठन है जो यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करता है कि हर बच्चा जीवित रहे, फले-फूले और अपनी क्षमता को पूरा करे, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो या वे कहीं भी रहते हों।
- UNICEF का कार्य निष्पक्ष, गैर-राजनीतिक और तटस्थ है। यह 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में कार्य करता है।
- स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन बच्चों की सहायता करने के लिये की गई थी, जिनका जीवन और भविष्य खतरे में था, चाहे उनके देश ने युद्ध में कोई भी भूमिका निभाई हो।
- UNICEF वर्ष 1953 में संयुक्त राष्ट्र का स्थायी हिस्सा बन गया।
- मुख्य गतिविधियाँ: शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, बाल संरक्षण, स्वच्छ जल और स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन तथा रोग।
- UNICEF बाल अधिकार कन्वेंशन, 1989 द्वारा निर्देशित है।
- मान्यता: वर्ष 1965 में “राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने” के लिये शांति के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रणनीतिक योजना (2022-2025): यह समावेशी कोविड-19 पुनर्प्राप्ति, सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में तीव्र प्रगति और एक ऐसे समाज के लिये समन्वित प्रयासों को आगे बढ़ाती है, जहाँ प्रत्येक बच्चे को शामिल किया जाता है, सशक्त बनाया जाता है तथा उसके अधिकारों को पूरा किया जाता है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के अनुसार बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित करें?
- जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के लिये तैयारी करना: यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और परिवार नियोजन सेवाओं के साथ-साथ मातृ, नवजात, बाल तथा किशोर स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- दिव्यांगजनों सहित हाशिये पर पड़े बच्चों के लिये सुरक्षित स्थान, बुनियादी अवसरंचना और सहायता के साथ बाल-अनुकूल शहर बनाना।
- जलवायु, शमन और शिक्षा में निवेश करना: सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और अन्य जलवायु रणनीतियों में बच्चों की आवश्यकताओं को संबोधित किया जाए।
- जलवायु अनुकूलन को स्थानीय नियोजन में एकीकृत करना, जिसमें स्कूल, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सेवाएँ तथा जल एवं स्वच्छता शामिल हों।
- कनेक्टिविटी और सुरक्षित डिज़ाइन: पारंपरिक शिक्षण के पूरक के रूप में बच्चों तथा शिक्षकों के बीच डिजिटल साक्षरता और कौशल को बढ़ावा देना।
- जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने हेतु निरीक्षण तंत्र के साथ नई प्रौद्योगिकियों के लिये अधिकार-आधारित शासन को लागू करना।
निष्कर्ष
UNICEF की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 रिपोर्ट में बच्चों के लिये एक स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने के लिये सक्रिय योजना और जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा तथा वैश्विक स्तर पर उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरणीय जोखिमों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और डिजिटल अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: जलवायु परिवर्तन का बच्चों के भविष्य पर प्रभाव, विशेष रूप से भारत में और इन जोखिमों को कम करने में सरकारी पहल की भूमिका पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: बाल-अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन सा/से बाल-अधिकार है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिए कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिए उपाय सुझाइए। (2017) प्रश्न: राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016) |