शासन व्यवस्था
भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल ऑपरेशंस का निलंबन
- 30 Sep 2020
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेएमनेस्टी इंटरनेशनल, विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 मेन्स के लियेभारत के आतंरिक मुद्दों में गैर-सरकारी संगठनों का बढ़ता अनैतिक हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल के बैंक खातों को फ्रीज़ करने के कारण एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया (Amnesty International India) ने भारत में अपने मानव अधिकारों के संचालन को रोक दिया है। भारत सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) की एक जाँच समिति भी स्थापित की है।
प्रमुख बिंदु:
एमनेस्टी इंटरनेशनल का तर्क:
- यूरोपीय संघ (European Union- EU) ने भी दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के मूल्यवान कार्यों का हवाला देते हुए भारत सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
- हाल ही में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान पुलिस द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के सभी आरोपों की स्वतंत्र जाँच और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Commission for Human Rights) की स्थापना की मांग थी।
भारत सरकार का तर्क:
- भारत सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भूमि कानून की अवहेलना करने का आरोप लगाया है।
- भारत, विदेशी दान से वित्त पोषित संस्थाओं को अपनी घरेलू राजनीतिक मुद्दों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देता है। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और यह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होता है।
- विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (Foreign Contribution (Regulation) Act, 2010) के तहत FCRA नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके (Amnesty International UK) ने भारत में पंजीकृत चार संस्थाओं को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) के रूप में वर्गीकृत करके बड़ी मात्रा में धनराशि का भुगतान किया है।
- FCRA के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमोदन के बिना विदेशी धन की एक महत्त्वपूर्ण राशि भी एमनेस्टी इंटरनेशनल (भारत) को भेजी गई है। पैसा भेजने की यह पुनरावृत्ति मौजूदा कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करती थी।
पृष्ठभूमि:
- पिछले पाँच वर्षों में भारत सरकार ने FCRA के उल्लंघन के आधार पर कई गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की है जिसमें कंपैसन इंटरनेशनल (Compassion International), वर्ल्ड मूवमेंट फॉर डेमोक्रेसी (World Movement for Democracy- WMD), ग्रीनपीस (Greenpeace) आदि शामिल हैं।
FCRA संशोधन, 2020 के तहत गैर-सरकारी संगठनों के लिये नए नियम:
- विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 (Foreign Contribution (Regulation) Amendment Bill, 2020) संसद द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (Foreign Contribution (Regulation) Act, 2010) में संशोधन करके पारित किया गया था।
- विदेशी धन प्राप्त करने के लिये एक गैर सरकारी संगठन को गृह मंत्रालय के पास पंजीकरण कराना होता है। इसे एक विशिष्ट FCRA पंजीकरण संख्या सौंपी जाती है, जिसे प्रत्येक पाँच वर्ष में नवीनीकृत किया जाता है।
- प्रत्येक FCRA-पंजीकृत एनजीओ को नई दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक की एक नामित शाखा में FCRA-चिह्नित बैंक खाता खोलना होगा।
- प्रशासनिक व्यय पर धनराशि को प्राप्त विदेशी फंड के 50% से घटाकर 20% तक कर दिया गया है।
- यह अधिनियम एक इकाई द्वारा एक सहयोगी संगठन या एक संबंधित व्यक्ति को प्राप्त विदेशी अनुदान के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाता है।
आलोचना:
- सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाने वाले एनजीओ को दबाने के लिये एक अधिनियम के रूप में इसकी आलोचना की गई है।
- ये संशोधन भारत में कार्य कर रहे कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को प्रभावित करेंगे।
लाभ:
- इन संशोधनों ने अनुपालन तंत्र को मज़बूत किया है, पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ाया है तथा गैर-सरकारी संगठनों के नाम पर देश की संप्रभुता से धोखाधड़ी एवं खतरों को रोकने में मदद की है।