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विदेशी योगदान  (विनियमन) अधिनियम

  • 15 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये - FCRA के दिशा-निर्देश

मेन्स के लिये - विदेशी फंड्स का दुरुपयोग रोकने के उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई गैर सरकारी संगठनों और शिक्षण संस्थानों का एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act- FCRA) के तहत पंजीकरण रद्द कर दिया है।

प्रमुख बिंदु-

  • 1800 से अधिक गैर-सरकारी संगठन और शैक्षणिक संस्थान जो कानून का उल्लंघन करते पाए गए हैं, उनके विदेशी धन प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • FCRA के तहत जिन संस्थाओं का पंजीकरण रद्द किया गया है, उनमें राजस्थान विश्वविद्यालय, इलाहाबाद कृषि संस्थान, यंग मेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन, तमिलनाडु (Young Mens Christian Association-YMCA) और स्वामी विवेकानंद एजुकेशनल सोसाइटी, कर्नाटक भी शामिल हैं।
  • मंत्रालय के अनुसार पंजीकरण रद्द करने का प्रमुख कारण संस्थाओं द्वारा FCRA कानून का उल्लंघन करना है।
  • FCRA के दिशा निर्देशों के अनुसार पंजीकृत संस्थाओं को वित्तीय वर्ष के पूरा होने के 9 महीने के भीतर आय और व्यय का विवरण, प्राप्ति और भुगतान खाते, बही खाते इत्यादि की स्कैन प्रतियों के साथ एक ऑनलाइन वार्षिक रिपोर्ट जमा करनी होती है।
  • जिन पंजीकृत संगठनों को जिस वर्ष विदेशी योगदान नहीं मिलता, उन्हें भी उक्त अवधि के तहत उस वित्त वर्ष के लिये निल रिटर्न (Nil Return) भरना होता है।

विदेशी योगदान  (Foreign contribution)

व्यक्तिगत उपयोग के लिये मिले उपहार के अलावा विदेशी स्रोत से मिली वस्तुएं, मुद्रा और   प्रतिभूतियाँ विदेशी योगदान के अंतर्गत आती हैं। 

विदेशी योगदान  (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act- FCRA)

  • भारत सरकार ने विदेशी योगदान की स्वीकृति और विनियमन के उद्देश्य से वर्ष 1976 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) लागू किया।
  • वर्ष 2010 में इस अधिनियम को प्रमुखता से संशोधित किया गया। एफसीआरए, 1976 के प्रावधानों को आमतौर पर बरकरार रखते हुए इसमें कई नए प्रावधान भी जोड़े गये।
  • इसके तहत राजनीतिक प्रकृति का कोई भी संगठन, ऑडियो, ऑडियो विजुअल न्यूज या करंट अफेयर्स कार्यक्रम के निर्माण और प्रसारण में लगे किसी भी संगठन को विदेशी योगदान स्वीकार करने के लिये प्रतिबंधित किया गया है।
  • FCRA, 2010 के तहत दिया गया प्रमाण-पत्र पाँच साल तक के लिये वैध होगा तथा पूर्व अनुमति, विशेष कार्य या विदेशी योगदान जिसके लिए अनुमति दी गई है, उस विशेष राशि की प्राप्ति के लिए वैध होगा। 
  • नए प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति जो FCRA के प्रावधानों के अनुसार विदेशी योगदान  प्राप्त करता है, उस राशि को तब तक हस्तांतरित नहीं कर सकता जब तक कि वह व्यक्ति भी केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिये अधिकृत न हो।
  • FCRA के तहत पंजीकृत होने के लिये एक गैर सरकारी संगठन को पूर्व में कम से कम तीन वर्षों के तक सक्रिय होना चाहिये। इसके अलावा इसकी गतिविधियों पर इसके आवेदन की तारीख से पूर्व के तीन वर्षों में 1,000,000 रुपए तक खर्च किये गए हों।
  • नए प्रावधानों के तहत एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रूपए से अधिक या उसके समकक्ष विदेशी योगदान की प्राप्ति होने पर आँकड़ों को तथा उस साल के साथ-साथ अगले वर्ष के विदेशी योगदान के प्रयोग को भी सार्वजनिक करना होगा।

स्रोत-द हिंदू

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