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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-EU समझौता

  • 17 Jul 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन,  कॉपरनिकस कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और यूरोपीय संघ 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में आगामी पाँच वर्षों 2020-2025 के लिये वैज्ञानिक सहयोग पर समझौते को नवीनीकृत करने पर सहमत हो गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • भारत और यूरोपीय संघ दोनों ने वर्ष 2001 में हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते के अनुरूप आपसी लाभ और पारस्परिक सिद्धांतों के आधार पर अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में भविष्य में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • ज्ञात है कि वर्ष 2001 में हुआ यह समझौता 17 मई 2020 को समाप्त हो गया था।
  • दोनों पक्ष समयबद्ध तरीके से नवीनीकृत प्रक्रिया शुरू करने और अनुसंधान एवं नवाचार में 20 वर्षों के मज़बूत सहयोग को अंगीकृत करने के लिये वचनबद्ध हैं।

Europe

इस समझौते का महत्त्व

  • इससे जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, एग्रीटेक, जैव स्वायत्ता, एकीकृत साइबर-भौतिक प्रणाली, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी और स्वच्छ प्रौद्योगिकी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • इसके अलावा अनुसंधान, शोधकर्त्ताओं के आदान-प्रदान, छात्रों, स्टार्टअप और ज्ञान के सह-सृजन के लिये संसाधनों के सह-निवेश में संस्थागत संबंधों को और मज़बूती मिलेगी।

भारत-यूरोपीय संघ विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग:

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: दोनों देशों के मध्य स्थापित वैज्ञानिक सहयोग की समीक्षा के लिये भारत-यूरोपीय संघ विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचालन समिति की वार्षिक बैठक आयोजित होती है।
    • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences-MoES) और यूरोपीय आयोग (European Commission-EC) ने जलवायु परिवर्तन एवं ध्रुवीय अनुसंधान से संबंधित यूरोपीय रिसर्च एंड इनोवेशन फ्रेमवर्क कार्यक्रम ‘Hoizon 2020’ के तहत चयनित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करने के लिये एक सह-निधि तंत्र (Co-Funding Mechanism-CFM) की स्थापना की है।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: 1970 के दशक से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यूरोपीय संघ के साथ सहयोग कर रहा है।
    • इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पृथ्वी अवलोकन में सहयोग बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। इसमें वर्ष 2018 में हस्ताक्षरित कॉपरनिकस कार्यक्रम (Copernicus Programme) भी शामिल है।
    • कॉपरनिकस यूरोपीय संघ का पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम (Earth Observation Programme) है।

यूरोपीय संघ

  • यूरोपीय संघ 27 देशों (पूर्व में इस संघ में 28 देश शामिल थे) की एक आर्थिक और राजनीतिक सहभागिता है। ये 27 देश संधि के द्वारा एक संघ के रूप में जुड़े हुए हैं जिससे कि व्यापार आसानी से हो सके और लोग एक-दूसरे से कोई विवाद न करें क्योंकि अर्थव्यवस्था का एक सिद्धांत है कि जो देश आपस में जितना ज़्यादा व्यापार करते हैं उनकी लड़ाई होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है।
  • यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में यह कोशिश की गई कि सभी देश आर्थिक रूप से एक साथ आएँ और एकजुट होकर एक व्यापार समूह का हिस्सा बनें।
  • इसी व्यापार समूह की वज़ह से आगे चलकर वर्ष 1993 में यूरोपीय संघ का जन्म हुआ। वर्ष 2004 में जब यूरो करेंसी लॉन्च की गई तब यह पूरी तरह से राजनीतिक और आर्थिक रूप से एकजुट हुआ।
  • यूरोपीय संघ मास्ट्रिच संधि द्वारा बनाया गया था, जो 1 नवंबर, 1993 को लागू हुई थी।

स्रोत: PIB

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