भारत-मालदीव रक्षा सहयोग को मज़बूत करना | 10 Jan 2025
प्रिलिम्स के लिये:सागर, तटीय रडार प्रणाली, एकुवेरिन, एकथा, दोस्ती, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, अदन की खाड़ी, होर्मुज जलडमरूमध्य, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति और सुरक्षा, हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक पहल, भारत और मालदीव संबंधों के प्रमुख पहलू |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मालदीव के रक्षा मंत्री के साथ वार्ता के दौरान रक्षा उपकरण और प्लेटफॉर्म प्रदान करके मालदीव की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- यह कदम भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" पॉलिसी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मज़बूत करने को दर्शाता है।
भारत-मालदीव रक्षा सहयोग कैसे है?
- ऐतिहासिक संदर्भ: भारत मालदीव का प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है, जो संकट के समय प्रायः प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में कार्य करता है। इसे वर्ष 1988 में ऑपरेशन कैक्टस द्वारा प्रदर्शित किया गया था, जहाँ भारत ने मालदीव में तख्तापलट के प्रयास को रोकने के लिये और वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान हस्तक्षेप किया था।
- " नेबरहुड फर्स्ट" पॉलिसी और सागर (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण, क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
- रक्षा परियोजनाएँ: भारत ने मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिये समग्र प्रशिक्षण केंद्र (CTC) और उथुरु थिला फाल्हू (UTF) एटोल में सिफावरु में तटरक्षक "एकथा" MNDF बंदरगाह और मरम्मत सुविधा के निर्माण जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- अक्तूबर 2023 में, भारत ने आपसी विश्वास को दर्शाते हुए मालदीव के तटरक्षक जहाज हुरावी की निःशुल्क मरम्मत की घोषणा की।
- भारत ने मालदीव को एक तटीय रडार प्रणाली सौंपी है, जिसमें 15.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर के भारतीय अनुदान से निर्मित 10 रडार स्टेशन शामिल हैं।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: भारत MNDF की लगभग 70% प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है, तथा 1,500 से अधिक MNDF कार्मिकों को विभिन्न भारतीय रक्षा अकादमियों में प्रशिक्षित किया गया है।
- परिचालन तालमेल और अंतरसंचालनीयता को बढ़ाने के लिये "एकुवेरिन" और "एकथा" जैसे प्रमुख द्विपक्षीय अभ्यासों के साथ-साथ "दोस्ती" (जिसमें भारत, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं) जैसे त्रिपक्षीय अभ्यास आयोजित किये जाते हैं।
- संस्थागत तंत्र: रक्षा सहयोग पर चर्चा एवं समीक्षा के लिये रक्षा सचिव स्तर पर वर्ष 2016 में वार्षिक रक्षा सहयोग वार्ता (DCD) शुरू की गई थी।
- भारत और मालदीव के बीच 5वीं रक्षा सहयोग वार्ता (DCD) सितंबर 2024 में नई दिल्ली में आयोजित की गई।
भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंध
- राजनीतिक संबंध: भारत वर्ष 1965 में स्वतंत्रता के बाद मालदीव को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और वर्ष 1972 में माले में अपना राजनयिक मिशन स्थापित किया।
- ये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के संस्थापक सदस्य हैं और दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
- व्यापार और अर्थव्यवस्था: भारत और मालदीव ने वर्ष 1981 में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिला।
- वर्ष 2024 में भारत ने मालदीव को 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता करने के साथ 3,000 करोड़ रुपए का द्विपक्षीय मुद्रा विनियमन किया। इसके अतिरिक्त, भारतीय स्टेट बैंक ने मालदीव के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल जारी किये।
- भारत वर्ष 2022 में मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहने के साथ वर्ष 2023 में सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।
- भारतीय आयात में मुख्य रूप से स्क्रैप धातुएँ शामिल हैं जबकि निर्यात में इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, सीमेंट तथा कृषि उत्पाद शामिल हैं।
- वर्ष 2022 में भारतीय व्यापारिक यात्रियों के लिये वीज़ा-मुक्त प्रवेश से वाणिज्यिक संबंधों में और वृद्धि हुई।
- वर्ष 2024 में भारत और मालदीव ने सीमापार व्यापार के लिये स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने के क्रम में एक रूपरेखा को अंतिम रूप दिया है।
- पर्यटन: पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है जिसकी सकल घरेलू उत्पाद में लगभग एक चौथाई तथा कुल रोज़गार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) में लगभग 70% हिस्सेदारी है।
- भारत, मालदीव में पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत बन गया जिसमें भारतीयों का लगातार तीन वर्षों (2020, 2021 और 2022) तक पर्यटन योगदान में अग्रणी स्थान रहा।
- मार्च 2022 में, भारत और मालदीव ने दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिये ओपन स्काई अरेंजमेंट पर सहमति व्यक्त की।
भारत-मालदीव सहयोग का क्या महत्त्व है?
- भौगोलिक महत्त्व: मालदीव की हिंद महासागर में रणनीतिक अवस्थिति है, जो पश्चिमी चोकपॉइंट्स ( अदन की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य) तथा पूर्वी चोकपॉइंट (मलक्का जलडमरूमध्य) के बीच एक "टोल गेट" के रूप में कार्य करता है।
- प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग मार्गों से इसकी निकटता, भारत के लिये इसे एक महत्त्वपूर्ण साझेदार बनाती है क्योंकि इसका लगभग 50% बाह्य व्यापार तथा 80% ऊर्जा आयात इन्हीं मार्गों से होता है।
- भारत के दक्षिण में स्थित मालदीव समुद्री यातायात की निगरानी एवं क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- आर्थिक और सामाजिक लाभ: भारत चावल, दवाइयों एवं बुनियादी ढाँचा सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुओं का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।
- भारत के ऑपरेशन नीर ने वर्ष 2014 के माले जल संकट के दौरान INS दीपक और INS शुकन्या के माध्यम से लगभग 2000 टन जल पहुँचाया था।
- सुनामी और कोविड-19 जैसे संकटों के दौरान भारत की सहायता ने एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में इसकी भूमिका को मज़बूत किया है।
- बाह्य प्रभाव का प्रतिकार: मालदीव के साथ भारत का सहयोग, क्षेत्र में बाह्य शक्तियों, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करता है, तथा क्षेत्रीय शांति बनाए रखने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को सुदृढ करता है।
भारत-मालदीव रक्षा संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: बेल्ट एँड रोड इनिशिएटिव (BRI) और 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' जैसी पहलों के माध्यम से चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिये चिंता का विषय है।
- मालदीव के बुनियादी ढाँचे में चीनी निवेश, जैसे सिनामाले ब्रिज़, और सैन्य समझौते, इस क्षेत्र में भारत के सामरिक प्रभुत्व को चुनौती देते हैं।
- आंतरिक राजनीतिक परिवर्तन: वर्ष 2023 में "इंडिया आउट" अभियान ने मालदीव में बढ़ती भारत विरोधी भावनाओं को उज़ागर किया है, जिसमें भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी और भारतीय बुनियादी ढाँचे के विकास को रोकने की मांग की गई।
- मालदीव के राजनीतिक नेतृत्व में इन बदलावों ने रक्षा प्राथमिकताओं और भारत के साथ विदेश नीति संरेखण को प्रभावित किया है।
- सुरक्षा संकट: मालदीव में पाकिस्तान समर्थित जिहादी गुटों और ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एँड सीरिया) समेत कट्टरपंथी इस्लामी समूहों की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिये प्रत्यक्ष सुरक्षा संकट उत्पन्न करती है, क्योंकि ये समूह भारतीय संपत्तियों को निशाना बनाने के लिये मालदीव को आधार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
आगे की राह
- बहुपक्षीय सहयोग: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे क्षेत्रीय ढाँचे में मालदीव की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिये भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करना।
- बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: भारत को चीनी निवेश के लिये व्यवहार्य विकल्प प्रदान करने हेतु ग्रेट माले कनेक्टिविटी परियोजना जैसी महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिये और उन्हें शीघ्रता से पूरा करना चाहिये।
- जन-केंद्रित पहल: चिकित्सा सहायता और सामुदायिक अवसंरचना विकास जैसी नागरिक-सैन्य परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करके सद्भावना को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक कूटनीति को मज़बूत करने के लिये दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: हिंद महासागर में क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में भारत-मालदीव रक्षा सहयोग के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)मेन्सप्रश्न 1. पिछले दो वर्षों में मालदीव में राजनीतिक विकास पर चर्चा कीजिये। क्या वे भारत के लिये चिंता का कोई कारण हो सकते हैं? (2013) |