बाल विवाह पर राज्यव्यापी कार्यवाही | 08 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:लड़कियों के लिये विवाह की कानूनी उम्र बढ़ाना, बाल विवाह, जया जेटली समिति, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA) 2006, बाल विवाह से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन। मेन्स के लिये:न्यूनतम विवाह आयु संबंधी मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
असम सरकार ने पिछले कुछ दिनों में राज्य में हुए बाल विवाह के खिलाफ एक अभियान में 2,000 से अधिक पुरुषों को गिरफ्तार किया है।
- पुलिस पिछले सात वर्षों में बाल विवाह में शामिल लोगों को भूतलक्षी रूप से गिरफ्तार करेगी, साथ ही विवाहों को आयोजित करने वाले "मुल्ला, काज़ी और पुजारी" पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह गिरफ्तारी मुस्लिम महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र पर बढ़ती बहस की पृष्ठभूमि में की गई है।
गिरफ्तारी से संबंधित कानून:
- 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों को बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाएगा और 14 से 18 साल के बीच की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
- बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) अधिनियम:
- POCSO अधिनियम, 2012 एक नाबालिग और एक वयस्क के बीच यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कानून नाबालिग की सहमति को वैध नहीं मानता है।
- पॉक्सो के तहत यौन उत्पीड़न एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है। इसका तात्पर्य है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।
- इसलिये 14 वर्ष से कम आयु की नाबालिग लड़कियों से जुड़े बाल विवाह के मामलों में यौन उत्पीड़न की संभावना का अनुमान लगाया जा रहा है।
- वे यौन उत्पीड़न, जो कि पेनिट्रेटिव नहीं हैं, में न्यूनतम तीन वर्ष की सज़ा हो सकती है जिसे ज़ुर्माने के साथ पाँच वर्ष तक के लिये बढ़ाया जा सकता है।
- धारा 19 के तहत यह अधिनियम "अनिवार्य रिपोर्टिंग दायित्त्व" लागू करता है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति जिसे किसी बच्चे के खिलाफ किये जा रहे यौन अपराध के संबंध में संदेह या जानकारी हो, उसे पुलिस या विशेष किशोर पुलिस इकाई को अनिवार्य रूप से इसकी रिपोर्ट करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कारावास, ज़ुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है।
- PCMA, 2006:
- कानून के अनुसार, बाल विवाह अवैध है लेकिन शून्य नहीं है। बाल विवाह नाबालिग के विवेक पर शून्य हो सकते हैं यदि वह विवाह को अमान्य घोषित करने के लिये न्यायालय में याचिका दायर करता/करती है।
- अधिनियम लड़कियों के लिये न्यूनतम विवाह योग्य आयु 18 वर्ष, जबकि पुरुषों के लिये 21 वर्ष निर्धारित करता है।
- अधिनियम में बाल विवाह के लिये कठोर कारावास की सज़ा है जिसकी अवधि दो साल या एक लाख रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- यह सज़ा ऐसे सभी व्यक्तियों के लिये है जो बाल विवाह को करता है, संचालित करता है, निर्देशित करता है या उकसाता है।
- कानून के अनुसार, बाल विवाह अवैध है लेकिन शून्य नहीं है। बाल विवाह नाबालिग के विवेक पर शून्य हो सकते हैं यदि वह विवाह को अमान्य घोषित करने के लिये न्यायालय में याचिका दायर करता/करती है।
मुसलमानों की शादी की उम्र पर बहस:
- मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत युवा परिपक्वता अवस्था प्राप्त करने वाली दुल्हन के विवाह पर विचार किया जाता है।
- तरुण अथवा यौवन (Puberty) की शुरुआत तब मानी जाती है जब कोई व्यक्ति पंद्रह वर्ष का हो जाता है।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ और विशिष्ट कानूनों के बीच यह अंतर बाल विवाह या नाबालिगों को यौन गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है, ऐसे विवाहों की वैधता पर संदेह पैदा करता है।
अन्य धर्मों के व्यक्तिगत कानून:
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 जो हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों के बीच संपत्ति विरासत के दिशा-निर्देश देता है।
- पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 पारसियों द्वारा उनकी धार्मिक परंपराओं के अनुसार पालन किये जाने वाले नियमों को निर्धारित करता है।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 ने हिंदुओं के बीच विवाह से संबंधित कानूनों को संहिताबद्ध किया था।
केंद्र सरकार का पक्ष:
- भारत की स्वतंत्रता के समय न्यूनतम विवाह योग्य आयु लड़कियों हेतु 15 वर्ष और पुरुषों के लिये 18 वर्ष थी।
- वर्ष 1978 में सरकार ने इसे बढ़ाकर लड़कियों के लिये 18 और पुरुषों हेतु 21 वर्ष कर दिया।
- वर्ष 2008 में विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये न्यूनतम विवाह योग्य आयु 18 वर्ष होनी चाहिये।
- वर्ष 2020 में जया जेटली समिति की स्थापना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी, जिसने प्रजनन स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसे कारकों पर भी अपनी सिफारिश में प्रकाश डाला।
- वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने सभी धर्मों की महिलाओं के लिये विवाह की आयु को 18 से 21 वर्ष तक बढ़ाने के लिये बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2021 पेश करने की मांग की थी।
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के अनुसार, यह संशोधन देश के सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार अधिनियमित हो जाने के बाद यह मौजूदा विवाह एवं व्यक्तिगत कानूनों का स्थान लेगा।
नोट:
- भारतीय कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं परंपराएँ देशों को विवाह के लिये न्यूनतम कानूनी उम्र निर्धारित करने का आदेश देती हैं लेकिन बाल विवाह को भारत के बड़े हिस्से में धार्मिक मान्यता प्राप्त है।
- कुछ सम्मेलन निम्नलिखित हैं:
- विवाह के लिये सहमति पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) अभिसमय (1962)
- विवाह के लिये न्यूनतम आयु और विवाह का पंजीकरण (1962)
- महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (1979)
- बीजिंग घोषणा (1995)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये।। (मुख्य परीक्षा, 2016) |