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सामाजिक न्याय

किशोरों का यौन और प्रजनन स्वास्थ्य: राजस्थान

  • 16 Oct 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘राजस्थान में किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में निवेश पर रिटर्न’ नामक एक अध्ययन के निष्कर्ष जारी किये गए।

  • किशोर 10 से 19 वर्ष की आयु के विशिष्ट समूह हैं, जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं, ये अलग-अलग परिस्थितियों में रहते हैं और उनकी अलग-अलग आवश्यकताएँ हैं।

Cost-Benefit

प्रमुख बिंदु

  • अध्ययन के बारे में:
    • यह उन आर्थिक और स्वास्थ्य लाभों की जाँच करता है जो राजस्थान में किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य-विशिष्ट हस्तक्षेपों में बढ़े हुए निवेश से प्राप्त हो सकते हैं।
      • अध्ययन ने लाभ-लागत अनुपात की गणना इस निष्कर्ष के आधार पर की है कि किशोरों की अन्य ज़रूरतों को पूरा करने पर खर्च किये गए प्रत्येक 100 रुपए पर स्वास्थ्य देखभाल लागत की बचत के रूप में लगभग 300 रुपए की वापसी होगी।
    • यह गर्भ निरोधकों तक पहुँच जैसी सेवाओं को बढ़ाने की क्षमता का भी पता लगाता है; इसमें व्यापक गर्भपात देखभाल (CAC); साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (WIFS) और राज्य में मासिक धर्म स्वच्छता योजनाएँ (MHS) शामिल हैं।
  • भारत में किशोर:
    • जनसंख्या: 253 मिलियन किशोरों के साथ (जिसका अर्थ है कि भारत में प्रत्येक पाँचवाँ व्यक्ति किशोर है) भारत के पास आर्थिक विकास में तेज़ी लाने और गरीबी को कम करने का एक अभूतपूर्व अवसर है।
    • स्वस्थ विकास की चुनौतियाँ: विभिन्न कारक जिनमें संरचनात्मक गरीबी, सामाजिक भेदभाव, प्रतिगामी सामाजिक मानदंड, अपर्याप्त शिक्षा और कम उम्र में विवाह एवं बच्चे पैदा करना, विशेष रूप से आबादी के हाशिये पर तथा कम सेवा वाले वर्ग शामिल हैं।
  • राजस्थान के संदर्भ में:
    • किशोर जनसंख्या: राजस्थान की कुल किशोर जनसंख्या 15 मिलियन या राज्य की कुल जनसंख्या का 23% है। इनमें 53 फीसदी पुरुष और 47 फीसदी महिलाएँ हैं।
    • बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था: राजस्थान में यह चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि एक- तिहाई से अधिक (35.4%) लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है और 15-19 वर्ष की उम्र की 6.3% पहले से ही माँ हैं।
      • यह राष्ट्रीय औसत 27% से काफी अधिक है।
    • माँ और शिशु पर प्रभाव: 
      • जन्म से संबंधित जटिलताएँ: 10-19 वर्ष की आयु की किशोर माताओं को उच्च आयु वर्ग की महिलाओं की तुलना में एक्लम्पसिया, प्यूपरल एंडोमेट्रैटिस (गर्भाशय संक्रमण) और अन्य प्रणालीगत संक्रमण जैसी जन्म संबंधी जटिलताओं के अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।
      • नवजात शिशु के लिये जोखिम: किशोर माताओं से पैदा होने वाले शिशुओं को भी जन्म के समय कम वज़न, समय से पहले जन्म, चोट लगने, मृत जन्म और शिशु मृत्यु दर का अधिक जोखिम होता है।
      • कॅरियर विकल्पों को प्रतिबंधित करना: स्वास्थ्य समस्याएँ, शिक्षा की कमी और माता-पिता की ज़िम्मेदारियाँ किशोरों के भविष्य के आर्थिक अवसरों और कॅरियर विकल्पों को प्रतिबंधित करती हैं।
  • सुझाव: 
    • प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये नए मानकों और दिशा-निर्देशों का विकास।
    • राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये समझदारी के साथ निवेश करना चाहिये कि कार्यरत आयु की आबादी स्वस्थ और साक्षर हो और संसाधनों तक उनकी पहुँच हो।
      • जबकि किशोर-विशिष्ट स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में उनकी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखना आवश्यक है, पोषण पूरकता कार्यक्रमों को भी मज़बूती प्रदान के साथ-साथ बढ़ाया जाना चाहिये।
    • 2021-25 की अवधि में इस अंतराल को भरने के लिये आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर को मौजूदा 10.1% से बढ़ाकर 32% कर दिया गया है।
    • Increase in the modern contraceptive prevalence rate for spacing methods from the existing 10.1% to 32% in the 2021-25 period.
    • किशोरों तक पहुँचने के लिये बहुआयामी और अभिनव दृष्टिकोण अपनाना।

महत्त्वपूर्ण पहल

  • राजस्थान:
    • शून्य किशोर गर्भावस्था अभियान: अभियान का उद्देश्य राजस्थान में किशोर गर्भावस्था के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना और हितधारकों को किशोर गर्भावस्था को समाप्त करने के प्रति प्रतिबद्धता के लिये प्रोत्साहित करना है।
  • राष्ट्रीय पहलें:

स्रोत: द हिंदू

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