वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023: WMO | 22 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023: WMO, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, ग्रीनहाउस गैस, अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन मेन्स के लिये:वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023: WMO, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023 रिपोर्ट जारी की है जिसमें वर्ष 2023 में विश्व भर में महासागरीय ऊष्मा अपने रिकॉर्ड स्तर पर रही।
- इसके अतिरिक्त, मौसमी एवं जलवायवीय खतरों के कारण वर्ष 2023 में खाद्य सुरक्षा, जनसंख्या विस्थापन और कमज़ोर आबादी पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ भी बढ़ गई हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- महासागरीय ऊष्मा का रिकॉर्ड स्तर:
- वर्ष 2023 में विश्व भर में महासागरीय ऊष्मा अपने रिकॉर्ड स्तर पर रही, जो अब तक दर्ज की गई महासागरीय ऊष्मा का उच्चतम स्तर है।
- महासागरीय ऊष्मा में इस वृद्धि में ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन और भूमि उपयोग में परिवर्तन जैसे मानवजनित जलवायु कारकों की प्रमुख भूमिका रही।
- उत्तरी अटलांटिक में विरोधाभासी ताप और शीतलन पैटर्न:
- हालाँकि विश्व के अधिकांश महासागरों पर वार्मिंग में वृद्धि के प्रभाव देखे जा सकते हैं, किंतु अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र, जैसे कि उपध्रुवीय उत्तरी अटलांटिक महासागर में शीतलन का अनुभव कर रहे हैं।
- यह शीतलन महासागरीय धाराओं की प्रणाली अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन की मंदी से जुड़ा है।
- AMOC समुद्री धाराओं की एक प्रणाली है जो अटलांटिक महासागर के भीतर पानी का संचार करती है, जिससे गर्म पानी उत्तर और ठंडा पानी दक्षिण में आता है।
- जबकि विश्व के अधिकांश महासागर तापमान में वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं, अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र, जैसे कि उपध्रुवीय उत्तरी अटलांटिक महासागर, शीतलन का अनुभव कर रहे हैं।
- विश्व के समुद्र का औसत सतह तापमान:
- वैश्विक औसत समुद्र-सतह तापमान 2023 में रिकॉर्ड ऊँचाई पर था, कई महीनों में पिछले रिकॉर्ड महत्त्वपूर्ण अंतर से टूट गए।
- पूर्वी उत्तरी अटलांटिक, मैक्सिको की खाड़ी, कैरेबियन, उत्तरी प्रशांत और दक्षिणी महासागर के बड़े क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण गर्मी देखी गई।
- समुद्री हीटवेव और महासागरीय अम्लीकरण:
- वैश्विक महासागर में वर्ष 2016 में 23% के पिछले रिकॉर्ड से कहीं अधिक 32% की औसत दैनिक समुद्री हीटवेव कवरेज का अनुभव हुआ।
- वर्ष 2023 के अंत में, 20° दक्षिण और 20° उत्तर के बीच अधिकांश वैश्विक महासागर नवंबर की शुरुआत से हीटवेव की स्थिति में था।
- वर्ष 2023 के अंत में उत्तरी अटलांटिक में गंभीर और अत्यधिक समुद्री गर्मी की एक विस्तृत शृंखला देखी गई, जिसमें तापमान औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- इन ताप तरंगों का समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और प्रवाल भित्तियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, महासागरों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण के कारण महासागरीय अम्लीकरण में वृद्धि हुई है।
- वैश्विक माध्य सतह के निकट तापमान:
- वर्ष 2023 में वैश्विक औसत सतह के निकट तापमान 1.45 ± 0.12 डिग्री सेल्सियस पूर्व-औद्योगिक 1850-1900 औसत से अधिक था, जिससे यह रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष बन गया।
- वैश्विक तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की उच्च मात्रा से जुड़ी हुई है। जून से दिसंबर तक हर महीना रिकॉर्ड गर्मी वाला रहा।
- ग्लेशियल रिट्रीट एवं अंटार्कटिक सागर बर्फ हानि में तीव्रता:
- पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोप दोनों में अत्यधिक बर्फ के पिघलने के कारण दुनिया भर के ग्लेशियरों ने रिकॉर्ड पर बर्फ की सबसे बड़ी क्षति का अनुभव किया।
- अंटार्कटिक समुद्री बर्फ का विस्तार उपग्रह युग के लिये एक पूर्ण रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया और आर्कटिक समुद्री बर्फ का विस्तार सामान्य से काफी नीचे रहा।
- चरम मौसमीय की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि:
- लू, बाढ़, सूखा, जंगल की आग और उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी चरम मौसमीय घटनाओं का सभी बसे हुए महाद्वीपों पर बड़ा सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा।
- भूमध्यसागरीय चक्रवात डैनियल से अत्यधिक वर्षा से जुड़ी बाढ़ ने सितंबर 2023 में ग्रीस, बुल्गारिया, तुर्किये और लीबिया को प्रभावित किया तथा विशेष रूप से लीबिया में भारी जानमाल की हानि हुई।
- फरवरी और मार्च 2023 में उष्णकटिबंधीय चक्रवात फ्रेडी दुनिया के सबसे लंबे समय तक रहने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से एक था, जिसका मेडागास्कर, मोज़ाम्बिक तथा मलावी पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
- वर्ष 2023 में उष्णकटिबंधीय चक्रवात मोचा, बंगाल की खाड़ी में अब तक देखे गए सबसे तीव्र चक्रवातों में से एक था और इससे श्रीलंका से म्याँमार तक तथा भारत एवं बांग्लादेश के माध्यम से उप-क्षेत्र में 1.7 मिलियन विस्थापन हुआ व गंभीर खाद्य असुरक्षा बढ़ गई।
- लू, बाढ़, सूखा, जंगल की आग और उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी चरम मौसमीय घटनाओं का सभी बसे हुए महाद्वीपों पर बड़ा सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा।
- नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि:
- वर्ष 2023 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि हुई, नवीकरणीय क्षमता में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 50% की वृद्धि हुई।
- उत्पादन में हुई इस वृद्धि से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिये डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की संभावना है।
- जलवायु वित्तपोषण चुनौतियाँ:
- वर्ष 2021/2022 में वैश्विक जलवायु-संबंधी वित्त प्रवाह लगभग 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जो वर्ष 2019/2020 के स्तर की तुलना में लगभग दोगुना है। किंतु रिकॉर्ड किया गया जलवायु वित्तपोषण प्रवाह विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 1% है।
- जलवायु वित्तपोषण के संबंध में एक बड़ा अंतराल है। ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य प्राप्ति के लिये वार्षिक जलवायु वित्त निवेश में छह गुना वृद्धि करने की आवश्यकता है जिससे वर्ष 2030 तक कुल राशि लगभग 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2050 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी।
- वर्तमान परिदृश्य अनुकूलन वित्त अपर्याप्त बना हुआ है। यद्यपि वर्ष 2021-22 में अनुकूलन वित्त 63 बिलियन अमरीकी डालर के साथ अब तक का सर्वाधिक वित्त रहा किंतु वैश्विक अनुकूलन वित्तपोषण अंतराल बढ़ रहा है जो विकासशील देशों में वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष आवश्यक अनुमानित 212 बिलियन अमरीकी डॉलर से काफी कम है।
मौसम और जलवायु संबंधी खतरों के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या रहे?
- खाद्य असुरक्षा:
- बाढ़, सूखा और तूफान जैसी खराब मौसम की घटनाओं के कारण फसल तथा पशुधन उत्पादन प्रभावित हुआ जिससे विश्व स्तर पर खाद्य असुरक्षा बढ़ गई।
- वर्ष 2023 में तीव्र खाद्य असुरक्षा, कोविड-19 महामारी से पहले प्रभावित 149 मिलियन लोगों से दोगुनी से भी अधिक बढ़कर वर्ष 2023 में 333 मिलियन हो गई।
- कोविड-19 महामारी से पहले, 149 मिलियन लोग अत्यधिक खाद्य असुरक्षा से प्रभावित थे जो कि वर्ष 2023 में दोगुना से भी अधिक बढ़कर 333 मिलियन हो गई।
- आधुनिक मानव इतिहास में यह संकट सबसे गंभीर है जो खाद्य उपलब्धता और पहुँच पर जलवायु संबंधी घटनाओं के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
- जनसंख्या विस्थापन:
- सीरिया, लेबनान, जॉर्डन, इराक, मिस्र, सोमालिया और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रों में विस्थापन हुआ जहाँ समुदाय पहले से ही संघर्ष अथवा पूर्व की जलवायु-संबंधी घटनाओं के कारण असुरक्षित थे।
- ये विस्थापन मौजूदा संसाधनों पर दबाव डालते हैं और सामाजिक तनाव को बढ़ाते हैं जिससे प्रभावित क्षेत्रों में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न होती है।
- अस्थायी आश्रयों में रहने वाली विस्थापित आबादी विशेष रूप से बीमारी के प्रकोप के प्रति सुभेद्य होती है जो पहले से ही जलवायु-संबंधी आपदाओं के प्रभावों से ग्रसित स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर और दबाव डाल सकती है।
- आर्थिक हानि:
- इन क्षति में बुनियादी ढाँचे, कृषि उत्पादकता और आजीविका संबंधी क्षति शामिल है।
- बाढ़ और तूफान के कारण कृषि क्षेत्रों का विनाश, साथ ही आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान, आर्थिक सुधार में बाधा डालता है और प्रभावित क्षेत्रों में गरीबी को बढ़ाता है।
- असमानता:
- जलवायु संबंधी नुकसान और तनावों के कारण प्रवासन एवं विस्थापन लोगों की आजीविका को प्रभावित करते हैं जो विभिन्न सतत् विकास लक्ष्यों को प्रभावित करते हैं।
- इनमें गरीबी (SDG1) और भूख (SDG2), उनके जीवन तथा कल्याण के लिये सीधा खतरा (SDG 3), बढ़ती असमानता की खाई (SDG10), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुँच (SDG 4), पानी एवं स्वच्छता ( SDG6) साथ ही स्वच्छ ऊर्जा (SDG7)।
- पहले से मौजूद लैंगिक और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का मतलब है कि महिलाएँ तथा लड़कियाँ सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं, जो SDG5 को प्रभावित कर रही है।
- जलवायु संबंधी नुकसान और तनावों के कारण प्रवासन एवं विस्थापन लोगों की आजीविका को प्रभावित करते हैं जो विभिन्न सतत् विकास लक्ष्यों को प्रभावित करते हैं।
- वैश्विक आर्थिक प्रभाव:
- जलवायु-संबंधी आपदाओं का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव अलग-अलग देशों और क्षेत्रों से परे जाकर वैश्विक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है।
- खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान और मानवीय सहायता व्यय में वृद्धि से संसाधनों पर दबाव पड़ता है एवं वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता में योगदान होता है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) क्या है?
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. "मोमेंटम फॉर चेंज : क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ" यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल उत्तर: (c) मेन्स:Q. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017) |